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    UGC ने इन यूनिवर्सिटीज में पीएचडी नामांकन पर लगाई रोक, नियमों की अनदेखी के चलते लिया फैसला

    Updated: Thu, 16 Jan 2025 05:32 PM (IST)

    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इन यूनिवर्सिटीज को अपना पक्ष रखने के लिए निर्धारित समय दिया था लेकिन इस दौरान विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध कराया गया जवाब संतोषजनक नहीं था जिसके चलते UGC ने इन यूनिवर्सिटीज में इस प्रोगाम में नामांकन पर पांच सालों के लिए रोक लगा दी है। ज्यादा जानकारी के लिए अभ्यर्थी पोर्टल पर विजिट कर सकते हैं।

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    UGC: ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी की है सूचना

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों में पीएचडी छात्रों के नामांकन पर रोक लगा दी है। विश्वविद्यालयों द्वारा पीएचडी प्रोगाम में यूजीसी के नियमों का पालन नहीं करने के चलते यह फैसला लिया है। इसके तहत, अब ये विश्वविद्यालय अगले पांच वर्षों तक इस पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं ले पाएंगे।

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    यूजीसी ने इस बारे में आधिकारिक नोटिफिकेशन ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी किया गया है। इसके तहत, यूनिवर्सिटी की ओर से पेश किए डाटा का मूल्यांकन करने के बाद स्टैंडिंग कमेटी ने यह पाया है कि राजस्थान की तीन यूनिवर्सिटीज पीएचडी में यूजीसी रेगुलेशंस को फॉलो नहीं कर रही हैं। इन विश्वविद्यालयों को एक बार अपना पक्ष रखने का भी मौका दिया गया था, जिसमें उन्हें यह बताना था कि, आखिर वे यूजीसी पीएचडी रेगुलेशंस को क्यों नहीं फॉलो कर रहे थे, हालांकि, यूनिवर्सिटीज की ओर से पेश किए गए जवाब संतोषजनक नहीं था।

    इस वजह से स्टैंडिंग कमेटी ने तीन विश्वविद्यालयों को अगले पांच सालों के लिए बैन करने का फैसला लिया है। आयोग ने जिन यूनिवर्सिटीज को बैन किया है, उनमें- चूरू स्थित ओपीजेएस विश्वविद्यालय, अलवर स्थित सनराइज विश्वविद्यालय और झुंझुनू स्थित सिंघानिया विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस नोटिस में आगे यह भी कहा गया है कि, कैंडिडेट्स को सलाह दी है कि वे अब से तीन विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तावित पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश न लें।

    यूजीसी लेगा एक्शन 

    यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि, विश्वविद्यालयों को पीएचडी प्रोगाम में उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए खुद निर्देशों का पालन करना चाहिए। अध्यक्ष ने आगे कहा कि,  हम कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में पीएचडी प्रोगाम की क्वालिटी की भी जांच कर रहे हैं। अगर वे पीएचडी नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं तो, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

    इससे इतर बात करें तो हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती और प्रमोशन से जुड़े नए ड्राफ्ट की जानकारी दी गई है। इसके तहत, अब एमटेक और एमई करने वाले अभ्यर्थियों को सहायक प्रोफेसर पद पर आवेदन करने के लिए यूजीसी नेट क्वालिफाई होना जरूरी नहीं होगा। इसके साथ ही, कुलपति की नियुक्ति के नियमों को लेकर भी बदलाव की जानकारी दी गई है। इसके तहत, अब कुलपति की नियुक्ति के लिए कैंडिडेट्स को दस साल का टीचिंग एक्सपीरिंयस जरूरी नहीं होगा।  

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