भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की कहानी, जागरण की जुबानी, देखें 1880 से शुरू होकर 1947 में कैसे बना तिरंगा
दुनियाभर में भारत की पहचान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे द्वारा की जाती है। इंडियन नेशनल फ्लैग को देश की आजादी से पहले 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुन लिया गया था। आपको बता दें कि देश के लिए पहली बार औपचारिक रूप से झंडे का उपयोग वर्ष 1906 से माना जाता है।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag) द्वारा दुनियाभर में हमारे देश को पहचान मिलती है। इंडियन नेशनल फ्लैग दुनियाभर में तिरंगे के नाम से प्रसिद्ध है। यह भारत के इतिहास, संस्कृति और स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक है। भारतीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। लेकिन क्या आपको पता है कि 1880 से पहले तक भारत देश का कोई भी ध्वज नहीं था।
उस दौर में भारत के हर एक राजा अपने राज्य के लिए अलग-अलग ध्वज का उपयोग करते थे। 1880 में पहली बार भारत को एक झंडे के रूप में पहचान मिली। इसके बाद कई बार इसमें बदलाव होते रहे। अंत में देश आजाद होने पर तिरंगे को अपनाया गया। आप यहां से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की पूरी यात्रा यहां से पढ़ सकते हैं।
1980 से पहली बार देश के लिए ध्वज का हुआ उपयोग
1880 में भारतीय ध्वज को सबसे पहले श्रीश चंद्र बसु ने डिजाइन किया था। लेकिन इस बात को वर्तमान में कोई भी सबूत नहीं है कि 1880 में किसी भारतीय द्वारा इस झंडे को फहराया गया हो। उस दौर में यह झंडा भारत के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व के लिए डिजाइन हुआ, मगर इसे देशभर में स्वीकार्यता नहीं मिली थी।
1880 से पहले भारत की पहली आजादी की लड़ाई 1857 में भी एक झंडे का उपयोग किया गया था। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान बहादुर शाह जफर ने झंडा राष्ट्रीय ध्वज के रूप में इस्तेमाल किया था। इसमें हरे रंग की पृष्ठभूमि में एक चांद और कमल का फूल बना हुआ था।
1880 से 1904
1980 से लेकर 1904 तक की अवधि में भारत का कोई भी राष्ट्रीय ध्वज नहीं था। लेकिन 1880 के दशक में और 1904 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने लाल और पीले रंग का झंडा डिजाइन किया, जिसपर बंगाली में 'वन्दे मातरम्' और इंद्र देवता के वज्र का चिह्न तथा सफेद कमल का उपयोग किया गया।
1906 में राष्ट्रीय ध्वज मिली पहचान
7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौक में पहला तिरंगा फहराया गया। यहीं से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की शुरुआत मानी जाती है। इस झंडे में तीन पट्टियां थीं। यह पट्टियां हरी, पीली, और लाल रंग की थीं। हरी पट्टी पर आठ कमल, पीली पट्टी 'वन्दे मातरम्', लिखा गया और लाल पट्टी पर सूरज व चांद के प्रतीक बने हुए थे।
1907 में फिर हुआ बदलाव, जानें भिकाजी कामा के झंडे की डिटेल
वर्ष 1907 में झंडे में बदलाव हुआ। भिकाजी कामा और उनके साथियों ने 1907 में पेरिस में झंडा फहराया। इस झंडे में ऊपर लाल, बीच में पीली, और नीचे हरी धारियां थीं और साथ ही सात सितारे थे जो सप्त ऋषि को दर्शाते थे। इसके साथ ही चंद्र-सूर्य के चिह्न भी शामिल थे।
1917 में होम रूल आंदोलन में नए ध्वज का हुआ आगाज
वर्ष 1917 में एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने 1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान एक नया ध्वज प्रस्तुत किया। इस ध्वज में पांच लाल और चार हरी पट्टियां थीं। इसके किनारे पर यूनियन जैक और सितारों को जगह दी गई थी।
1921 में पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया ध्वज
वर्ष 1921 में विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन में पिंगली वेंकैया ने दो रंगों- लाल एवं हरे रंग को इस्तेमाल किया। लेकिन गांधी जी के सुझाव के बाद इसमें सफेद रंग (अन्य समुदायों के लिए) जोड़ा गया। इसके साथ ही इसके बीच में चरखा (सशक्तिकरण का प्रतीक) को जगह दी गई।
1931 में मिला आधिकारिक झंडा
वर्ष 1931 में झंडे में बदलाव कर लाल की जगह केसरिया रंग का इस्तेमाल किया गया। केसरिया के साथ ही सफेद और हरा रंग का प्रयोग किया गया और बीच में चरखा जोड़ा गया। 1931 से इस झंडे को भारत का आधिकारिक झंडा मान लिया गया।
1947: स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज
1947 में देश की आजादी के साथ ही स्वतंत्र भारत के झंडे में एक बार फिर से बदलाव किया गया। हालांकि झंडे को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुन लिया गया था जिसमें चरखे की जगह अशोक चक्र को जगह दी गई। चरखे की जगह नीले रंग का धर्मचक्र (Ashoka Chakra) सत्य, धर्म और जीवन का प्रतीक है।
भारतीय तिरंगे की डिटेल
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों- केसरिया, सफेद और हरा रंग के समागम से तैयार हुआ है जिसे तिरंगे के नाम से जाना जाता है। इसके केंद्र में गहरे नीले रंग का चक्र है। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है, और हरा रंग समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक है। अशोक चक्र धर्म और कानून का प्रतीक है। अशोक चक्र धर्म के नियम के चक्र का चित्रण है। अशोक चक्र में 24 तीलियां हैं। यह नियम और धार्मिकता के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करता है और यह सत्य, न्याय और धर्म के सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
भारतीय ध्वज संहिता
भारतीय ध्वज संहिता को 26 जनवरी 2002 को लागू किया गया। था। इसके अंतर्गत विभिन्न ऐसे नियमों को लागू किया गया जिससे किसी भी प्रकार से तिरंगे झंडे का अपमान न हो। इस नियम के अनुसार जिस भी झंडे का उपयोग ध्वजारोहण के लिए किया जा रहा है वो आयताकार होना चाहिए और उसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा। झंडे पर किसी भी प्रकार से कुछ भी लिखा हुआ नहीं होना चाहिए। अगर झंडा किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त है और कटा-फटा है तो उसको उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
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