होटल का वेटर बना IAS ऑफिसर, पढ़िए अंसार अहमद शेख की संघर्ष भरी कहानी
पापा हर रोज सिर्फ सौ से डेढ़ सौ रुपये तक कमाते थे। जिसमें उनकी अम्मी-अब्बा समेत दो बहनें एक भाई और अहमद का खर्चा चलता था।
नई दिल्ली, जेएनएन। 'अगर आपके इरादे पक्के हों तो आप जिंदगी में कोई भी मुकास हासिल कर सकते हैं' ये लाइन महाराष्ट्र के जालान के छोटे से गांव में रहने वाले अंसार अहमद शेख पर एकदम फिट बैठती है। अहमद शेख ने महज 21 साल की उम्र में देश की प्रतिष्ठित यूपीएससी की परीक्षा में 371वीं रैंक हासिल की। उनकी इस कामयाबी ने सभी को हैरत में ड़ाल दिया, क्योंकि जिस परिस्थिति में अंसार ने परीक्षा दी थी उसमें इतनी कठिन परीक्षा पास कर पाना किसी सपने से कम नहीं है। लेकिन अहमद की लगन और कड़ी मेहनत ने उनको उनके मुकाम तक पहुंचा ही दिया।
पुणे के फर्गुसन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में बीए की परीक्षा पास करने वाले अंसार अहमद शेख ने अपने कठिनाई भरे दिनों को याद करते हुए कहा कि सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए ही वह शहर आए थे। मुस्लिम होने की वजह से उन्हें शहर में रहने के लिए अच्छा घर नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने बताया कि इस बात का ध्यान रखते हुए अपना नाम शुभम बताने लगा। नाम बदलने के बाद आसानी से पीजी मिल गया।
अंसार ने खुद बताया कि उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे और मां खेती में मजदूरी करती थी। पापा हर रोज सिर्फ सौ से डेढ़ सौ रुपये तक कमाते थे। जिसमें उनकी अम्मी-अब्बा समेत दो बहनें, एक भाई और अहमद का खर्चा चलता था। ऐसे में पढ़ाई-लिखाई करना काफी मुश्किल था।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता की तीन बीवियां हैं। घर में पढ़ाई-लिखाई का कोई माहौल नहीं था। उनके छोटे भाई ने स्कूल में ही पढ़ाई छोड़ दी और बड़ी दो बहनों की शादी छोटी उम्र में ही कर दी गई थी। उन्होंने जब अपने घर में सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने की बात बताई तो सब हैरान हो गए।
घर के हालात इतने बुरे थे कि पढ़ाई छोड़ने की भी नौबत आ गई थी। उन्होंने बताया कि घर के हालात खराब होने की वजह से रिश्तेदारों और अब्बा ने उनसे पढ़ाई छोड़ने को कहा। ये कहने अब्बा मेरे स्कूल भी चले गए लेकिन मेरे टीचर ने ऐसा करने से मना कर दिया। जब टीचर ने मेरे अब्बू को समझाया कि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा हूं। मुझे रोकना नहीं चाहिए। तब जाकर मैंने किसी तरह दसवीं की। इसके बाद अहमद ने 12वीं कक्षा में 91 फीसद अंक हासिल करके सबको चौंका दिया था। उन्होंने अपने उस दौर का जिक्र करते हुए बताया कि उस वक्त मिड डे मील ही भूखमिटाने का जरिया होता था और अक्सर उन्हें इस खाने में कीड़े मिलते थे। जब 12वीं में 91 फीसद अंक हासिल किए तो घरवालों ने फिर कभी उन्हें पढ़ाई के लिए नहीं रोका।
अहमद कहते हैं, मैंने बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने के लिए पैसे जुटाने का सोचा इसलिए मैंने होटल में वेटर का काम किया। यहां लोगों को पानी सर्व करने से लेकर मैं फर्श पर पौछा तक लगाता था। यहां सुबह आठ बजे से रात के ग्यारह बजे तक काम करता था।
आईएएस अधिकारी अंसार बताते हैं कि मैंने 2015 में UPSC की परीक्षा पास की थी जिसमें मुझे 371वीं रैंक हासिल हुई थी। आज खुश हूं अपनी मेहनत पर और सफलता पर भी। फिलहाल मैं MSME और पश्चिम बंगाल सरकार में OSD पर अधिकारी के रूप में कार्यरत हूं।
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