Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    IAS Success story: चौथे प्रयास में 68वीं रैंक पाकर बनीं IAS, जानिए अभिलाषा शर्मा की कहानी

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News Network
    Updated: Thu, 27 Apr 2023 06:07 PM (IST)

    IAS Success story प्रथम तीन प्रयासों में प्रीलिम एग्जाम में असफल रहने वाली अभिलाषा शर्मा ने चौथे अटेंप्ट में न केवल प्रीलिम एग्जाम क्रैक किया बल्कि मे ...और पढ़ें

    Hero Image
    IAS Success story, चौथे प्रयास में 68वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनीं अभिलाषा शर्मा

    IAS Success story: आज हम अपनी सक्सेज स्टोरी में बात करने जा रहे हैं अभिलाषा शर्मा की जिन्होंने विफलता देखने के बाद भी आईएएस बनने का सपना न ही अपने अंदर जिंदा रखा बल्कि उसे पूरा करके भी दिखाया। उन्होंने दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शुमार यूपीएससी सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 68वीं रैंक पाकर आईएएस बनने का सपना साकार किया। इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्होंने कठिन परिश्रम किया। इससे पहले उनको तीन बार असफलता हाथ लगी। पहले तीन प्रयासों में वे हर बार प्रीलिम एग्जाम फेल हो गयीं। लेकिन हौंसला न हारते हुए और कठिन मेहनत के दम पर वे आखिरकार इसे पास करने में सफल रहीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कब शुरू की तैयारी

    गुरुग्राम, हरियाणा के पुरानी दिल्ली रोड स्थित सेक्टर 12 की रहने वाली अभिलाषा शर्मा ने आईएएस परीक्षा की तैयारी वर्ष 2013 से शुरू की थी। उन्होंने इस परीक्षा को पास करने के लिए डेली 8 से 11 घंटे तक पढ़ाई की। पढ़ाई को धार देने के लिए उन्होंने पॉलिटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशन को अपने ऑप्शनल विषय के रूप में चुना।

    शादी के बाद भी जिंदा रखा सपना

    सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के साथ ही अभिलाषा शर्मा की शादी अंकित से हो गयी जो पेशे से एक बिसनेसमैन थे। उन्होंने बताया की उनके पति और ससुराल के सभी सदस्यों ने आईएएस की तैयारी के लिए उनका साथ दिया।

    तैयारी के लिए अपनाए ये टिप्स

    पहले तीन प्रयासों से सीख लेते हुए उन्होंने अपनी कमियों पर काम किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया की अपनी तैयारी को बेहतर बनाने के लिए समाचार पत्र को अपने दैनिक जीवन का अहम हिस्सा बनाया। दैनिक अखबार को पढ़ने से करेंट अफेयर्स पर बेहतर पकड़ बनी जो मेरे लिए बहुत मददगार साबित हुई। इसके साथ पहले दो प्रयासों में मैंने महसूस किया कि मैं एप्टीटयूड टेस्ट में कमजोर थी जिस पर मैंने कठिन परिश्रम किया जिसका फल मुझे चौथे अटेंप्ट मिला।