ऑफलाइन एजुकेशन का एक बेहतर विकल्प बन कर उभरा Online Education
आज के दौर में बदलती शिक्षा व्यवस्था में ऑनलाइन एजूकेशन प्लेटफॉर्म्स की भरमार है। ऐसे में स्टूडेन्टस ऑनलाइन में ऑफलाइन से कहीं ज्यादा सीख और समझ पा रहे हैं।
नई दिल्ली, अंशु सिंह। ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉम्स ने स्टूडेंट कम्युनिटी को परीक्षाओं की तैयारी से लेकर क्वालिटी कंटेंट उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई है। यही कारण है कि देश में इसका तेजी से विस्तार हुआ है। 2015 में शोभित भटनागर ने भी दो दोस्तों के साथ मिलकर परीक्षाओं की तैयारी में मदद करने वाले प्लेटफॉर्म ग्रेडअप की शुरुआत की थी। आज भारत में इसके 1.3 करोड़ के करीब रजिस्टर्ड यूजर्स हैं।
कंपनी के सह-संस्थापक एवं सीईओ शोभित भटनागर की मानें, तो ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉम्स के आने से दूर-दराज के स्टूडेंट्स तक कम खर्च में क्वालिटी कंटेंट उपलब्ध हो सका है। इससे उन्हें बड़े शहरों या कोचिंग संस्थानों की शरण में जाने की जरूरत नहीं पड़ती और जब ये स्टूडेंट्स कामयाबी का परचम लहराते हैं, तो इससे उन्हें संतुष्टि मिलती है।
शोभित कहते हैं कि सक्सेस का मतलब ही है कि अपना एक लक्ष्य रखना और अपनी खींची लकीर तक पहुंचना... मैं दिल्ली के एक मध्यवर्गीय परिवार से हूं। चंडीगढ़ से इंजीनियरिंग करने के बाद आइआइएम कोलकाता से एमबीए किया है। परिवार में हमेशा से अच्छी शिक्षा और बेहतर नौकरी हासिल करने पर जोर रहा। इसलिए मैंने पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली और न्यूयॉर्क में कुछ वर्षों तक कंसल्टेंट के रूप में कार्य किया। शिक्षा के क्षेत्र में हुए अनुभवों से जान पाया कि वहां कितना बड़ा गैप है। स्टूडेंट्स ऑनलाइन एजुकेशनल सर्विस की तलाश कर रहे थे, लेकिन उनके सामने सीमित क्वालिटी विकल्प थे। फिर वह क्वालिटी कंटेंट हो या इंटरैक्टिविटी। इसके बाद ही हमने ग्रेडअप लॉन्च करने का निर्णय लिया।
इस प्लेटफॉर्म के जरिये स्टूडेंट्स सरकारी नौकरियों से लेकर पीएसयू जॉब्स और उच्च शिक्षण संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं। इसमें एक्सपर्ट फैकल्टी द्वारा लाइव क्लासेज, लाइव क्विज, मॉक टेस्ट्स, लाइव एनालिसिस और चौबीस घंटे मेंटर सपोर्ट शामिल है।
एक्सप्लोर करने में रहा विश्वास:
मैंने कॉरपोरेट कल्चर भी देखा है और स्टार्टअप भी। स्टार्टअप में काम करना कहीं अधिक संतोषप्रद रहा। काम के साथ संतुष्टि का मतलब होता है कि आपको अपना स्पेस मिलना। बहुत से लोगों के लिए स्पेशलाइजेशन अहमियत रखती है। वहीं, हम जैसे लोग बाहर निकलकर एक्सप्लोर करने और कुछ नया क्रिएट करने में विश्वास रखते हैं। इसी तरह, मैं मानता हूं कि जब स्टूडेंट्स साथ मिलकर तैयारी करते हैं, सवाल करते हैं, तो एक-दूसरे की बेहतर मदद कर पाते हैं। चुनौतियों से निपट पाते हैं।
विश्वसनीयता से बढ़ेगा बाजार:
शुरुआत से लेकर पिछले कुछ वर्षों में एडु-टेक स्पेस में बहुत कुछ बदला है। हमने इन सालों में स्टूडेंट्स और पैरेंट्स दोनों की सोच को बदलते देखा है। अब दोनों ही यह समझने लगे हैं कि ऑफलाइन एजुकेशन का एक बेहतर विकल्प बन सकता है ऑनलाइन एजुकेशन। विशेषकर परीक्षाओं की तैयारी और ट्यूशन के मामले में ऑनलाइन पोर्टल्स की विश्वसनीयता बढ़ी है।
टैलेंट को ट्रेन करने की जरूरत: मैं मानता हूं कि भारत में टैलेंट की कमी नहीं है, सिर्फ उन्हें ट्रेन करने की जरूरत है। क्योंकि मिडल लेवल पर असली चुनौती सामने आती है, जहां आप कुछ अनुभवी लोगों को अपनी टीम में नियुक्त करना चाहते हैं। जो काम के साथ टीम को भी मैनेज कर सकें।