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    NEET Success Story 2025: दिन में फुटपाथ पर बेचा मोबाइल कवर, देर रात तक की पढ़ाई, लेकिन गरीबी और असफलता ने रोहित के हौसलों को और मजबूत बनाया

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 07:55 PM (IST)

    झारखंड के एक छोटे गांव और गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रोहित कुमार ने नीट यूजी परीक्षा में 720 में से 549 अंक हासिल करके यह साबित कर दिखाया है कि गरीबी और असफलता आपको सफल होने से रोक नहीं सकती है। दिन भर काम करने के बावजूद भी रोहित कुमार ने नीट यूजी परीक्षा में सफलता हासिल की है।

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    NEET Success Story 2025: यहां पढ़िए रोहित कुमार की सक्सेस स्टोरी

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली: जिनके हौसलों में जुनून और कुछ कर दिखाने का जज्बा होता है, वह अपनी सफलता की कहानी खुद लिखते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, नीट यूजी परीक्षा में सफल हुए झारखंड के जमशेदपुर के रहने वाले रोहित कुमार ने। रोहित ने अपनी कामयाबी से सबको यह बता दिया है कि यदि आपके अंदर कुछ करने का जुनून हैं, तो आपको गरीबी और असफलता आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती हैं। आपको बता दें, इस वर्ष नीट यूजी की परीक्षा में रोहित कुमार ने 720 में से 549 अंक प्राप्त किए है और ऑल इंडिया रैंक (AIR) 12,484 हासिल की है। रोहित ने अपने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। इससे पहले साल 2024 में रोहित ने नीट यूजी की परीक्षा में 485 अंक हासिल किए थे। असफलता के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा परीक्षा देने का निर्णय किया। हालांकि नीट यूजी में सफल होना उनके लिए आसान नहीं था। परिवार में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें दिन में काम करना पड़ता था। फुटपाथ पर मोबाइल कवर बेचने और नीट परीक्षा में सफल होने की उनकी यह पूरी ही यात्रा बेहद ही प्रेरणादायक है।

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    फुटपाथ पर किया दिनभर काम

    परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए रोहित कुमार साकची बाजार में अपने बड़े भाई के साथ मिलकर मोबाइल एक्सेसरीज की दुकान चलाते थे। रोहित दिन भर सड़क किनारे मोबाइल एक्सेसरीज बेचने का काम करते और जब काम से घर लौटते थे, तो तुरंत खाना खाकर पढ़ाई करने के लिए बैठ जाया करते थे। दिन में उनके पास पढ़ने के लिए ज्यादा समय नहीं होता था, जिस वजह से वह देर रात 3 बजे तक पढ़ाई किया करते थे और सुबह 7 बजे उठकर दोबारा दुकान लगाते थे।

    बड़े भाई को अपना मेंटर मानते हैं

    नीट यूजी में सफल हुए रोहित कुमार अपने बड़े भाई को अपना मेंटर मानते हैं। रोहित बताते है कि कोविड के दौरान आर्थिक तंगी के कारण उन्हें एक मेडिकल स्टोर में मजबूरन काम करना पड़ा। लेकिन इसने उन्हें मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट में पीसीएम विषय का चयन किया। रोहित बताते है, इस दौरान उन्होंने देर रात तक पढ़ाई की और दिन में स्टोर में काम किया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बोर्ड परीक्षा में टॉप किया। साथ ही वह यह भी बताते हैं कि नीट परीक्षा के दौरान उनके बड़े भाई ने उनका खूब साथ दिया है।

    पिता सब्जी बेचते हैं

    रोहित एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जहां उनके पिता परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सब्जी बेचने का काम करते हैं और उनकी मां घर संभालती हैं।

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