किंडल पर किताबें लिखकर कर सकते हैं कमाई, सभी तक आसानी से पहुंच रहीं बुक्स
किंडल पर स्वप्रकाशन से न सिर्फ लेखकों को अपनी किताब के लिए प्रकाशक ढूंढने से मुक्ति मिल जाती है बल्कि उनकी रचनाओं की पहुंच भी दुनिया भर में हो जाती है।
नई दिल्ली, स्मिता। किंडल अब न सिर्फ किताबें पढ़ने का इंस्ट्रूमेंट रह गया है, बल्कि किताबें लिखकर खुद पब्लिश करने, ग्लोबल पाठक तैयार करने और लेखन से कमाई का भी जरिया बन गया है।
रॉयल्टी के जरिये मिलती है कमाई
अनुरक्ति कार्डियोलॉजिस्ट हैं और पिछले 27 सालों से कविता-कहानियां लिख रही हैं, पर किसी भी प्रकाशक ने उनकी कविता-कहानियों को कभी पब्लिश नहीं किया। उनके दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि प्रकाशकों की बाट जोहने की बजाय वे किंडल पर अपना कविता संग्रह प्रकाशित कर सकती हैं। दोस्त की सलाह मानकर अनुरक्ति ने न सिर्फ किंडल पर अपनी बुक पब्लिश की, बल्कि अब रॉयल्टी के माध्यम से कमाई भी कर रही हैं।
अनुरक्ति कहती हैं, 'अपने पेशे से उन्हें इतनी फुर्सत नहीं मिलती थी कि वे प्रकाशकों से किताब छापने के लिए बातचीत करें इसलिए मैंने किंडल पर कविता संग्रह 'आत्मन' प्रकाशित करना सुनिश्चित किया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हाल में मैंने किंडल डायरेक्ट पब्लिश (केडीपी) प्रतियोगिता में भाग लिया और कविता श्रेणी की विजेता बन गई।' इन दोनों किंडल पर बुक पब्लिश करने का ट्रेंड बड़ी तेजी से बढ़ा है। किंडल पर स्वप्रकाशन से न सिर्फ लेखकों को अपनी किताब के लिए प्रकाशक ढूंढने से मुक्ति मिल जाती है, बल्कि उनकी रचनाओं की पहुंच भी दुनिया भर में हो जाती है।
लोकप्रिय हो रहीं कहानियां
नंदिनी कुमार ने मंगेतर से शादी टूटने के बाद एक लड़की का हाल बयां किया है अपनी किताब 'नीली' में। उनकी यह कहानी इतनी लोकप्रिय साबित हुई कि वे केडीपी के हिंदी लॉन्ग फॉर्म की विजेता बन गईं। नंदिनी कुमार के अनुसार, मैंने किंडल पर एक लेखक की रचना पढ़ी और उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैंने किताब लिखना शुरू किया। इसके जरिए मेरा लेखन हजारों पाठकों के पास डिजिटल तरीके से पहुंचा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस पर प्रकाशन में मेरे कुछ पैसे भी खर्च नहीं हुए।
कई लेखक तो किंडल पर सिर्फ अपनी रोजमर्रा की कहानियां लिखते हैं और पाठक उन्हें भी चाव से पढ़ते हैं। बेस्टसेलर राइटर दिव्य प्रकाश दूबे ने एक महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की कि पाठक तनावमुक्त होने के लिए किंडल पर कहानियां पढ़ते हैं। क्योंकि इस प्लैटफॉर्म पर नए लेखकों की मौजूदगी अधिक है और उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है। उनकी कहानियां छोटी होने के साथ-साथ मजेदार भी होती हैं।
हिंदी ही नहीं अन्य भाषाओं में कर सकते हैं प्रकाशन
किंडल न सिर्फ हिंदी, बल्कि अंग्रेजी, तमिल और कई दूसरी भारतीय भाषाओं के भी किताबें पब्लिश करता है। ज्यादातर मामलों में किताबों की बिक्री के बारे में प्रकाशक लेखकों से कभी-भी बिक्री का आंकड़ा शेयर नहीं करते हैं। वे हमेशा यही कहते हैं कि उनकी किताब बिकी नहीं, जबकि किंडल नए लेखकों को भी रॉयल्टी देता है। किंडल पर तमिल में लिखने वाले विग्नेश सी सेल्वाराज कहते हैं कि किताब बिक्री होने के बाद उन्हें समय समय पर रॉयल्टी भी मिलने लगी।
दीपिका प्रिया अंग्रेजी में मां होने के अनुभवों को 'बीइंग अ मदर: इट्स ए डिफरेंट हार्मोन ऑल-टु-गेदर' लिखकर किंडल की श्रेष्ठ लेखकों में से एक बन गईं। अंग्रेजी नॉवेल 'इस्केप रूट्स' की लेखिका अपर्णा दास जब भी यात्रा करतीं या छोटी-मोटी घटनाओं से रूबरू होतीं तो उन्हें नोट करती जातीं। इसे ही किंडल पर उन्होंने 'इस्केप रूट्स' के स्प में प्रकाशित किया। अपर्णा कहती हैं कि मोबाइल पर भी किंडल की कहानियों की पहुंच होने के कारण लोगों को जब भी समय मिलता है, वे पढ़ लेते हैं।
लेखकों को प्रतियोगिता में मिलते हैं पुरस्कार
किंडल इंडिया के कंटेंट हेड संजीव झा बताते हैं कि भारत में अच्छे लेखकों की कमी नहीं है। जरूरत है तो सिर्फ उन्हें प्रोत्साहन देने की। इसलिए किंडल की केडीपी प्रतियोगिता का आयोजन हर साल किया जाने लगा। इसके अंतर्गत लेखकों को 50 हजार से 5 लाख रुपये तक के भी पुरस्कार मिलते हैं। किंडल न सिर्फ लेखकों को वैश्विक पाठक मुहैया कराता है, बल्कि यह जल्दी किताबें प्रकाशित करने का सरल और नि:शुल्क तरीका भी है। ई बुक्स की बिक्री पर 70 प्रतिशत तक रॉयल्टी मिलती है।
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