नील आर्मस्ट्रांग: कचरा बताकर चांद से छिपाकर लाए थे मैकडिविट पर्स, 45 वर्षों तक छिपाए रखी जानकारी
नीट आर्मस्ट्रांग को दुनियाभर में चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले इंसान के रूप में जाना जाता है। आपको बता दें कि आर्मस्ट्रांग चांद से अपने साथी को कचरा बताकर कुछ चीजें वापस लाये थे जिसे उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने खोजा था। उस बैग को मैकडिविट पर्स के नाम से जाना जाता है।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। चांद पर पहले कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग से पूरी दुनिया वाकिफ है। नील ने अपने साथी बज एल्ड्रिन ने 21 जुलाई 1969 को चांद की सतह पर कदम रखा था और वहां 21 घंटे और 36 मिनट बिताए थे। आर्मस्ट्रांग की इस ऐतिहासिक यात्रा ने अंतरिक्ष रिसर्च के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहायो में हुआ था। 25 अगस्त 2012 में आर्मस्ट्रॉन्ग का निधन हुआ था।
निधन के बाद भी उनकी ऐतिहासिक यात्रा चर्चा में रही
चांद की सैर करने वाले नील आर्मस्ट्रांग के निधन के बाद भी उनकी यात्रा चर्चा में रही। दरअसल वे चांद से कुछ चीजें छिपाकर वापस लाए थे और उसका जिक्र उन्होंने 45 साल बीतने के बाद भी किसी से नहीं किया। उन्होंने इसके बारे में अपने साथी माइकल कोलिन्स से सिर्फ इतना कहा कि इसमें सिर्फ कचरा है जो वे पृथ्वी पर वापस ले जाना चाहते हैं।
लेकिन उनके निधन के बाद उनकी पत्नी कैरल आर्मस्ट्रांग को नील की अलमारी से सफेद कपड़े का बैग मिला। इस बैग में 1969 के अपोलो 11 मिशन से जुड़ी कुछ वस्तुएं थीं। इस बैग में 16 मिमी का कैमरा जिससे पहली मून लैंडिंग को रिकॉर्ड किया गया था, एक कमर की रस्सी, जिसका इस्तेमाल आर्मस्ट्रांग ने चांद पर आराम करते समय अपने पैरों को सहारा देने के लिए किया था, कुछ लाइटें और उनके ब्रैकेट, सामान रखने वाली जाली और एक रिंच थी।
वापस लाए बैग को मैकडिविट पर्स दिया गया नाम
आर्मस्ट्रांग की पत्नी को जो सामान मिला उन्होंने उस पूरे बैग को वॉशिंगटन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष संग्रहालय को दी। कुछ समय बाद इस बैग को "मैकडिविट पर्स" के रूप में पहचाना गया और इसे अंतरिक्ष संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया।
अपोलो 11 मिशन की कुछ मुख्य बातें
- अपोलो 11 मिशन को को 16 जुलाई 1969 को फ्लोरिडा के केप कैनेडी से लॉन्च किया गया था।
- नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी बज एल्ड्रिन ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की और लगभग 21 घंटे और 36 मिनट तक वहां रहे।
- उन्होंने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग किए और नमूने भी इकट्ठे किए।
- मिशन के बाद दोनों ही अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लौट आए और अपने साथ 21.5 किलोग्राम चंद्रमा के नमूने लाए।
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