NEET PG: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नीट पीजी स्टेट मेरिट लिस्ट की रद्द, नई लिस्ट पारदर्शी तरीके से बनाने का आदेश
जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सारफ की बेंच ने नीट पीजी काउंसिलिंग 2024 में पाई गई गड़बड़ियों के चलते एमपी स्टेट मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही बेंच ने पारदर्शी तरीके से नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है। इस फैसले से ऐसे छात्रों को फायदा होगा जिनकी ओवर ऑल रैंकिंग अच्छी थी लेकिन स्टेट रैंकिंग में नुकसान हुआ था।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से नीट पीजी स्टेट मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही जबलपुर कोर्ट की ओर से नीट पीजी मामले में नई मेरिट लिस्ट पारदर्शी तरीके से तैयार करने का निर्देश भी दिया है। आपको बता दें कि यह सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सारफ की बेंच ने की थी। आपको बता दें कि हाई कोर्ट की ओर से यह फैसला मेडिकल कॉलेजों में नीट पीजी काउंसिलिंग 2024 में पाई गई गड़बड़ियों के चलते लिया गया है।
याचिकाकर्ता ने दी ये दलील
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट आदित्य संघी कोर्ट में बताया कि इंसेंटिव अंकों को जोड़ने में कई खामियां देखने को मिली हैं और इसके साथ ही नॉर्मलाइजेशन में भी दिक्कतें थीं। इसके बाद कोर्ट ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) को फॉर्मूले को सार्वजनिक न करने के चलते प्रक्रिया को गंभीरता से लिया और इसके बाद स्टेट मेरिट लिस्ट को रद्द करके नए सिरे से बनाने का आदेश दिया।
पर्सेंटाइल के बदले नॉर्मलाइजेशन स्कोर जारी करने का भी आदेश
इसके साथ ही जबलपुर कोर्ट ने पर्सेंटाइल स्कोर के बदले नॉर्मलाइजेशन स्कोर जारी करने को कहा है। कोर्ट के आदेश के बाद अब स्टूडेंट्स के इंसेंटिव अंक रॉ स्कोर में न जोड़कर नॉर्मलाइज स्कोर में जोड़े जाएंगे।
किन छात्रों को होगा फायदा
हाई कोर्ट के इस फैसले से ऐसे छात्रों को फायदा होगा जिनकी ओवर ऑल रैंकिंग तो अच्छी आई थी लेकिन स्टेट रैंकिंग में उन्हें नुकसान होता था। अब नए नियमों के तहत दोबारा से पारदर्शी तरीके से मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।
छात्रों को कैसे हो रहा था नुकसान
आपको बता दें कि इन सर्विस के अंक जोड़ने की प्रक्रिया में गड़बड़ी के चलते छात्रों की रैंकिंग में नुकसान हो रहा था। उदहारण के लिए आपको जानकारी दे दें कि जैसे किसी छात्र को ऑल इंडिया रैंक के आधार पर अगर किसी छात्र को 42959वीं रैंक प्राप्त हुई थी तो इस हिसाब से स्टेट लेवल पर उसकी रैंक 212 होनी चाहिए। लेकिन इन सर्विस इंसेंटिव अंकों के बाद जिसकी ऑल इंडिया रैंक 44 हजार से भी ज्यादा था उसे स्टेट लेवल पर 192वीं रैंक प्राप्त हुई। इसी गड़बड़ी को देखते हुए कोर्ट ने इस पर ठोस कदम उठाते हुए पूरी लिस्ट को रद्द करने का फैसला सुना दिया।
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