डीयू में 2025-26 से पीजी के लिए मूल्यांकन के नए नियम, उपस्थिति और ट्यूटोरियल का भी मिलेगा वेटेज
दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए 2025-26 से नया मूल्यांकन पैटर्न लागू करने का निर्णय लिया है। अब आंतरिक मूल्यांकन में 25% अंक शामिल होंगे जिसमें उपस्थिति कक्षा परीक्षण और असाइनमेंट शामिल हैं। ट्यूटोरियल और प्रायोगिक परीक्षाओं के मूल्यांकन में भी बदलाव किए गए हैं जिससे पारदर्शिता और नियमित अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों (पीजी कोर्स) के लिए 2025-26 से नया मूल्यांकन पैटर्न लागू करने की घोषणा की है। यह बदलाव पोस्ट स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम रूपरेखा (पीजीसीएफ) 2025 के तहत किए गए हैं।
विश्वविद्यालय का कहना है कि इस कदम से मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता, एकरूपता और नियमित अध्ययन की आदत को प्रोत्साहन मिलेगा। नए नियमों के अनुसार, किसी भी पाठ्यक्रम के कुल थ्योरी मार्क्स में से 25 प्रतिशत अंक आंतरिक मूल्यांकन (इंटरनल एसेसमेंट) से आएंगे।
इसमें कक्षा परीक्षण (क्लास टेस्ट), असाइनमेंट- प्रेजेंटेशन और उपस्थिति (अटेंडेंस) शामिल होंगे। उदाहरण के लिए, यदि कोई पेपर चार क्रेडिट का है, तो कुल अंक 160 होंगे।
थ्योरी का हिस्सा 120 अंकों का होगा, जिसमें से 90 अंक अंतिम परीक्षा के लिए और 30 अंक (25 प्रतिशत) आंतरिक मूल्यांकन के लिए होंगे। आंतरिक मूल्यांकन के 30 अंकों में छह अंक उपस्थिति के लिए, 12 अंक कक्षा परीक्षण और 12 अंक असाइनमेंट- प्रेजेंटेशन के लिए निर्धारित किए गए हैं।
उपस्थिति के अंक भी चरणबद्ध रूप से दिए जाएंगे। इसके तहत 67 प्रतिशत उपस्थिति पर 1.2 अंक से लेकर 85 प्रतिशत या अधिक उपस्थिति पर पूरे छह अंक मिलेंगे। पहले 100 अंक का पेपर होता था।
ट्यूटोरियल्स में पांच अंक उपस्थित के होंगे
ट्यूटोरियल गतिविधियों के लिए एक ऑब्जेक्टिव असेसमेंट प्रोसेस तैयार किया जाएगा। छात्रों को साहित्य समीक्षा, बुक रिव्यू, मूवी रिव्यू, प्रोजेक्ट वर्क (ग्रुप में), शोध व प्रस्तुति, रचनात्मक लेखन, समूह चर्चा, समस्या समाधान अभ्यास या अन्य रचनात्मक- नवाचार परियोजनाओं में भाग लेने का विकल्प दिया जाएगा।
ट्यूटोरियल के कुल 40 अंकों में पांच अंक केवल उपस्थिति के लिए होंगे। उपस्थिति का वेटेज क्रमशः 67 प्रतिशत से 85 प्रतिशत तक अलग-अलग दिया जाएगा।
प्रैक्टिकल के मूल्यांकन में भी बदलाव
चार क्रेडिट के प्रायोगिक पाठ्यक्रमों में अब 25 प्रतिशत अंक सतत मूल्यांकन, 50 प्रतिशत अंक एंड-टर्म प्रैक्टिकल परीक्षा और 25 प्रतिशत अंक वाइवा से आएंगे। दो क्रेडिट वाले प्रायोगिक पाठ्यक्रमों में भी यही अनुपात लागू होगा।
समानता और पारदर्शिता पर जोर
विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों का कहना है कि यह बदलाव पीजी पाठ्यक्रमों में स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा 2022 की तरह समानता और पारदर्शिता लाएंगे।
अब सभी विभागों में आंतरिक मूल्यांकन के लिए अंक और क्रेडिट का वितरण एक समान रहेगा। इससे छात्रों को पूरे वर्ष नियमित अध्ययन करना होगा और शिक्षकों को भी नियमित आकलन व रिकार्ड बनाए रखना होगा।
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