दिल्ली सरकार और डीयू आमने-सामने, 'लेटर वार' से संकट में 28 कॉलेज
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध 28 कॉलेजों में गवर्निग बॉडी के गठन को लेकर दिल्ली सरकार और डीयू प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध 28 कॉलेजों में गवर्निग बॉडी के गठन को लेकर दिल्ली सरकार और डीयू प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार की ओर वित्तीय मदद दी जाती है। दिल्ली सरकार ने डीयू को फिर से पत्र लिखकर गवर्निग बॉडी के पैनल के सदस्यों के कुल 400 नामों की सूची नामांकन के लिए भेजने को कहा है।
डीयू प्रशासन ने 4 अप्रैल को सरकार को पत्र लिखकर इन कॉलेजों की गवर्निग बॉडी के कुल 188 सदस्यों के नामों की सूची भेजी थी। इसके बाद बीते हफ्ते सरकार ने एक पत्र डीयू को लिखा था, जिसमें कहा गया था कि जब तक गवर्निग बॉडी का गठन नहीं होता है, तब तक वह इन कॉलेजों के फंड पर रोक लगाएगी। इसके जवाब में डीयू प्रशासन ने बीते बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर अपनी तरफ से सदस्यों के नाम भेजने को कहा था। डीयू प्रशासन का कहना है कि उसे अब तक सदस्यों के नाम नहीं मिले हैं।
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी आरपी मीणा ने डीयू के कॉलेजों के संयुक्त रजिस्ट्रार बी राजा रंजन को 24 अप्रैल को पत्र लिखकर कहा कि डीयू प्रशासन ने जो नाम भेजे हैं, क्या वे कार्यकारी परिषद से पास किए गए थे। उन्होंने पत्र में लिखा कि गवर्निग बॉडी के मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से विस्तार से बातचीत हुई थी। हम डीयू को 188 नामों के बजाय 400 नामों की सूची भेजने के लिए कह रहे हैं, जिससे कि सरकार के पास पर्याप्त विकल्प हो। डीयू इन 28 कॉलेजों में मौजूदा गवर्निग बॉडी के सदस्यों की अवधि बढ़ाए।
वहीं, शिक्षक चाहते हैं कि कॉलेजों का फंड न रोका जाए। डीयू प्रशासन जिन सदस्यों का नाम गवर्निग बॉडी के लिए चयनित कर रहा है, उसके लिए डीयू की कार्यकारी परिषद से मंजूरी ली जाए। अरबिंदो कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि गवर्निग बॉडी में प्रात:कालीन कॉलेज में 15 और सांध्यकालीन कॉलेज में 18 सदस्य होते हैं।
इनमें 5 सदस्य दिल्ली सरकार और 5 सदस्य विश्वविद्यालय प्रशासन चुनता है। बाकी सदस्यों के नाम डीन ऑफ कॉलेज की ओर से कुलपति की सहमति से तय किए जाते हैं। शिक्षकों का कहना है कि मई में दाखिला प्रक्रिया शुरू होने वाली है। प्रशासन और सरकार आमने-सामने हैं, ऐसे में इन 28 कॉलेजों पर संकट भी मंडरा रहा है।