Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इंटरनेट की लत पर कैसे लगाएं लगाम, ऑनलाइन कोर्स के जरिए AIIMS दे रहा शिक्षकों को ज्ञान

    एम्स के डॉक्टर शिक्षकों को यह ज्ञान दे रहे हैं कि कैसे छात्रों में इंटरनेट की लत को पहचान कर वे उस पर लगाम लगा सकते हैं।

    By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 14 Jul 2019 03:30 PM (IST)
    इंटरनेट की लत पर कैसे लगाएं लगाम, ऑनलाइन कोर्स के जरिए AIIMS दे रहा शिक्षकों को ज्ञान

    नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल के साथ इंटरनेट की लत बड़ी समस्या बन रही है। स्कूली बच्चे सोशल मीडिया व ऑनलाइन वीडियो गेम पर ज्यादा समय दे रहे हैं। इससे व्यवहारिक परिवर्तन तो होता ही है, स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। इसके मद्देनजर एम्स के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा संचालित विहैबियरल एडिक्शन क्लीनिक (बीएसी) के डॉक्टरों ने एक खास पहल की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने शिक्षकों व काउंसलरों के लिए एक ऑनलाइन कोर्स शुरू किया है। इसके जरिये एम्स के डॉक्टर शिक्षकों को यह ज्ञान दे रहे हैं कि कैसे छात्रों में इंटरनेट की लत को पहचान कर वे उस पर लगाम लगा सकते हैं। इस ऑनलाइन कोर्स के पहले बैच में शामिल शिक्षकों व काउंसलरों पर एम्स के डाक्टरों ने एक अध्ययन भी किया है। जिसमें यह पाया गया कि कोर्स करने के बाद शिक्षकों में इंटरनेट की लत के बारे में समझ बढ़ी है। साथ ही बच्चों में इसकी स्क्रीनिंग करने की क्षमता भी बढ़ी। खास बात यह है कि यह कोर्स निशुल्क उपलब्ध है। देश के किसी भी स्कूल या कॉलेज के शिक्षक व काउंसलर कोर्स में प्रशिक्षण ले सकते हैं।

    एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा ने बताया कि यह कोर्स पिछले साल अक्टूबर में शुरू किया गया। पहले बैच में 28 शिक्षक व काउंसल शामिल हुए। उन्हें 10 सप्ताह तक प्रशिक्षण दिया गया। तय पाठ्यक्रम के अनुसार यह कोर्स करने वाले शिक्षकों को सप्ताह में 90 मिनट समय देना जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान इंटरनेट की लत के बारे में बताया गया। इसके अलावा छात्रों में इसकी स्क्रीनिंग और फिर उससे छुटकारा दिलाने का तरीका बताया गया। प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों व काउंसलरों के ज्ञान में क्या परिवर्तन आया यह भी परखा गया।

    इसलिए जरूरी है शिक्षकों के लिए यह कोर्स : एम्स ने पिछले साल 25 स्कूलों के 6291 छात्रों पर एक अध्ययन किया था, जिसमें यह बात सामने आई थी कि 19 फीसद छात्रों को इंटरनेट की लत है। इसमें माध्यमिक स्कूलों के छात्रों के अलावा 10वीं व 12वीं के छात्र भी शामिल थे। अध्ययन में पाया गया था कि हर पांचवे बच्चे को इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल के कारण मानसिक व शारीरिक परेशानी हो सकती है। डॉ. बलहारा ने बताया कि शिक्षक छात्रों से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं, इसलिए वे बच्चों में यह लत छुड़ाने में अहम साबित हो सकते हैं। इसीलिए यह ऑनलाइन कोर्स शुरू किया गया है। इंटरनेट की लत होने पर कुछ व्यवहारिक बदलाव आता है। शिक्षक प्रशिक्षित होंगे तो छात्रों में उसको महसूस कर स्क्रीनिंग कर सकेंगे।

    वीडियो कांफ्रेंसिंग से शिक्षकों के सवालों का देते हैं जवाब

    डॉ. बलहारा ने बताया कि इस ऑनलाइन कोर्स का लिंक संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके माध्यम से कोई भी शिक्षक कोर्स कर सकता है। इसके प्रशिक्षण के दौरान लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस), वीडियो प्रजेंटेशन, ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी (क्विज) इत्यादि तैयार की गई है। इसके अलावा ऑनलाइन ही कुछ काम भी दिए जाते हैं। शिक्षक या काउंसलरों द्वारा सवाल पूछने पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये डॉक्टर शिक्षकों से रूबरू होते हैं और उनके सवालों का जवाब भी देते हैं।

    कोर्स को बनाया जाएगा और बेहतर

    अध्ययन में देखा गया कि 28 में से 15 शिक्षक व काउंसलर ही इस कोर्स को पूरा कर पाए। सप्ताह में 90 मिनट समय देने की बाध्यता से कई शिक्षक इसे पूरा नहीं कर पाए। अब डॉक्टर कोर्स को और बेहतर व सुविधाजनक बनाने पर विचार कर रहे हैं।

     दिल्ली-NCR की ताजा खबरों को पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक