National Youth Day 2025: देशभर में आज मनाया जा रहा है "राष्ट्रीय युवा दिवस", जानें इसका महत्व, इतिहास एवं थीम
हमारे देश में प्रतिवर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 1984 से की गई थी। आपको बता दें राष्ट्रीय युवा दिवस 2025 को युवा एक स्थायी भविष्य के लिए लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार देना थीम के साथ मनाया जा रहा है।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। 12 जनवरी को प्रतिवर्ष देशभर में स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) मनाया जाता है। इस दिन का महत्व स्वामी विवेकानन्द जी के विचार और कार्यों को को युवाओं के बीच पहुंचाना होता है ताकी देश विकास के लिए युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। देशभर में स्कूल, विद्यालयों, कॉलेज सहित विभिन्न संस्थानों में इस दिन कई कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन शहरों में रैलियां आदि भी निकाली जाती हैं ताकी ज्यादा से ज्यादा विवेकानंद के विचारों को युवाओं तक पहुंचाया जा सके।
National Youth Day 2025 Theme: क्या है इस वर्ष की थीम और विषय
इस वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस का विषय "राष्ट्र निर्माण के लिए युवा सशक्तिकरण" है। इसके साथ ही इस वर्ष इसकी थीम "युवा एक स्थायी भविष्य के लिए: लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार देना" (Youth for a Sustainable Future: Shaping the Nation with Resilience and Responsibility) है।
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राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व
इस दिन को सेलिब्रेट किये जाने का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद की विचारों, मूल्यों और आदर्शों को बढ़ावा देना है और उनको विचारों को देश के हर युवा तक पहुंचाना है जिससे वे देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें।
आपको बता दें कि इस दिन को भारत सरकार की ओर से वर्ष 1984 में मान्यता दी गई थी। इसके बाद प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप मनाया जाता है।
इतिहास, स्वामी विवेकानंद के बारे में
आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। इनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे। नरेंद्र बाल्यावस्था से प्रतिभा के धनी थे। उन पर मां सरस्वती की कृपा थी। स्वामी जी को ईश्वर से बेहद ही लगाव था। 16 वर्ष की आयु में 1869 में स्वामी जी ने कलकत्ता विश्व विद्यालय के एंट्रेंस एग्जाम में बैठे और इस एग्जाम में उन्हें सफलता मिली। इसके बाद इसी विश्वविद्यालय ने उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इस दौरन उनकी भेंट परमहंस महाराज जी से हुई। इसके बाद स्वामी जी ब्रह्म समाज से जुड़े।
सन 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित धर्म सम्मेलन में स्वामी जी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इस सम्मेलन में स्वामी जी के भाषण की पूरी दुनिया में प्रशंसा की गई। इससे भारत देश को एक नई पहचान मिली। 4 जुलाई 1902 को बेलूर के रामकृष्ण मठ में ध्यानावस्था में महासमाधि धारण कर स्वामी जी पंचतत्व में विलीन हो गए।
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