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    Budget 2025: देश में खुलेंगे AI एक्सिलेंस सेंटर, स्किल डेवलपमेंट के लिए भी बड़ी घोषणा; जानिए कितने करोड़ मिले

    Updated: Sat, 01 Feb 2025 07:30 PM (IST)

    मोदी सरकार ने ही सत्ता में आने पर पहली बार अलग से कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय बनाया। लेकिन एक दिन पहले ही सामने आए आर्थिक सर्वेक्षण ने यह सच भी उगल ही दिया कि कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने युवाओं को रोजगारपरक कौशल देने के लिए जितनी भी योजनाओं पर काम किया उनका अभी तक अपेक्षित परिणाम नहीं मिला है।

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    सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एआई के लिए 500 करोड़ रुपये स्वीकृत (फोटो: जागरण)

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में भी मोदी सरकार ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि कौशल विकास करते हुए युवाओं को रोजगार के लायक बनाना उसकी प्राथमिकता में है।

    देश में कौशल विकास के लिए पांच सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और शिक्षा क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस स्थापित करने की घोषणा की है।

    आर्थिक सर्वेक्षण से सामने आया सच

    यह दोनों निर्णय कौशल विकास की दिशा में सही नीति और नीयत का संकेत तो देते हैं, लेकिन एक दिन पहले ही सामने आए आर्थिक सर्वेक्षण ने यह सच भी उगल ही दिया कि कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने युवाओं को रोजगारपरक कौशल देने के लिए जितनी भी योजनाओं पर काम किया, उनका अभी तक अपेक्षित परिणाम नहीं मिला है।

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    उद्देश्य और लक्ष्यपूर्ति के बीच इस अंतराल का कारक शायद जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसरों का स्किल गैप ही है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग की स्थापना इस उद्देश्य के साथ की जा रही है कि इसमें युवाओं को वैश्विक मानक की विशेषज्ञता की भागीदारी रखते हुए कौशल विकास किया जाएगा।

    एआई पर रहेगा जोर

    • ताकि वह युवा भारत ही नहीं, विश्व के श्रम बाजार में रोजगार के लिए तैयार हो सकें। इसी तरह एआई के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए विशेषज्ञों ने एआई को फाउंडेशनल कोर्स में शामिल करने का सुझाव दिया है।
    • इसे देखते हुए शिक्षा मंत्रालय द्वारा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एआई की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का बजटीय प्रविधान किया है। यह दोनों घोषणाएं महत्वपूर्ण है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसे प्रयासों को काफी गति देने की जरूरत विशेषज्ञ मानते हैं।
    • दरअसल, आर्थिक सर्वेक्षण में ही यह तथ्य सामने आया है कि देश में 65.3 प्रतिशत कार्यबल के पास किसी भी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण ही नहीं है। निस्संदेह सरकार स्थिति बदलने के लिए प्रयास करती रही है।

    मोदी सरकार ने बनाया अलग मंत्रालय

    मोदी सरकार ने ही सत्ता में आने पर पहली बार अलग से कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय बनाया। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना सहित कई योजनाएं शुरू कीं। इस मंत्रालय का बजट भी लगातार बढ़ रहा है।

    हाल के ही वर्षों को देखें तो वर्ष 2023-24 में 2982.17 करोड़ रुपये आवंटन हुआ तो वर्ष 2024-25 में इस मंत्रालय का पुनरीक्षित बजट बढ़कर 3300.83 करोड़ हो गया। अब इस वर्ष ने 6100 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट रखा है।

    तेज गति से नहीं हो रहा काम

    इस लिहाज से देखें तो सरकार पैसा खर्च करने में संकोच नहीं कर रही, लेकिन परिणाम देखिए। पिछले बजट में घोषणा की गई थी कि 30 इंडिया इंटरनेशनल स्किल सेंटर खोले जाएंगे, लेकिन सूत्र बताते हैं कि दो ही कार्यशील हैं और दो पर काम चल रहा है।

    जिस तेजी से एआई और अन्य तकनीकी परिवर्तनों के साथ वैश्विक श्रम बाजार करवट ले रहा है, उस हिसाब से यह गति बहुत धीमी है। इसके अलावा जिन्होंने विभिन्न योजनाओं में प्रशिक्षण लिया, उन्हें रोजगार या स्वरोजगार का लाभ कितना मिला, इसका आंकड़ा भी कुछ उत्साहजनक नहीं रहा, जिसकी वजह से कई बार योजना में बदलाव भी करने पड़े।

    आईटीआई में ग्रेडिंग सिस्टम लागू

    • बहरहाल, अब मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय जरूर कुछ गंभीरता से काम करता दिख रहा है। यह मंत्री जयंत चौधरी का सराहनीय निर्णय है कि देशभर की जिन 5358 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) का प्रदर्शन अच्छा नहीं था, उनकी कुल 449636 सीटों की मान्यता ही इस वर्ष खत्म कर दी गई है।
    • इनमें 403 आईटीआई तो ऐसी हैं, जिनकी पूरी तरह मान्यता रद कर दी गई। यह ऐसे संस्थान थे, जिनकी सीटें लगातार छह वर्ष तक खाली रहीं। चूंकि, मंत्रालय ने अब आईटीआई में सुधार के लिए ग्रेडिंग व्यवस्था शुरू की है, इसलिए यह सख्त निर्णय लिया है।
    • ऐसे कदमों से जरूर कुछ बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है। स्किल इंडिया डिजिटल हब प्लेटफॉर्म भी अच्छा प्रयास है, लेकिन कौशल विकास की इन योजनाओं को गांव-कस्बों तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत की जरूरत है।

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