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    MPhil Admission 2024: वैलिड नहीं है एमफिल डिग्री, UGC ने विश्वविद्यालयों को दाखिला न लेने के निर्देश दिए

    Updated: Thu, 28 Dec 2023 08:07 AM (IST)

    यूजीसी सचिव मनीष आर. जोशी की तरफ से 26 दिसंबर को जारी पब्लिक नोटिस के मुताबिक कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा MPhil दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा रहे ...और पढ़ें

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    MPhil Admission 2024: उच्च शिक्षा संस्थान (HEIs) एमफिल प्रोग्राम संचालित नहीं करेंगे।

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) में वर्ष 2024 में एमफिल में एडमिशन लेने की योजना बना रहे स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण अपडेट। केंद्रीय, राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों तथा इन सभी से सम्बद्ध महाविद्यालयों में संचालित होने वाले मास्टर ऑफ फिलॉस्फी (MPhil) के 2023-24 सत्र में दाखिला न लेने की गुजारिश सभी छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने की है। साथ ही, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के लिए निर्देश जारी किए हैं कि वे एमफिल पाठ्यक्रमों में दाखिले (MPhil Admission 2024) के लिए फ्रेश अप्लीकेशन आमंत्रित न करें।

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    MPhil Admission 2024: एमफिल नहीं है वैलिड डिग्री

    यूजीसी के सचिव मनीष आर. जोशी की तरफ से मंगलवार, 26 दिसंबर 2023 को जारी पब्लिक नोटिस के मुताबिक कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा एमफिल कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में आयोग ने अपने नोटिस में स्पष्ट किया कि एमफिल वैलिड डिग्री नहीं है। ऐसे में स्टूडेंट्स को किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा ऑफर किए जा रहे एमफिल कोर्स में एडमिशन नहीं लेना चाहिए।

    यह भी पढ़ें - Allahabad University Recruitment 2024: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में टीचिंग पदों की भर्ती के लिए आवेदन शुरू

    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नोटिस के अनुसार यूजीसी (मिनिमम स्टैंडर्ड्स एण्ड प्रोसीजर्स फॉर अवॉर्ड ऑफ पीएचडी डिग्री) रेग्यूलेशंस 2022’ के नियम संख्या 14 में स्पष्ट है कि उच्च शिक्षा संस्थान एमफिल प्रोग्राम संचालित नहीं करेंगे। बता दें कि यूजीसी द्वारा इस अधिनियम को 7 नवंबर 2022 को अधिसूचित किए जाने के बाद से विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में एमफिल डिग्री कोर्स पर प्रतिबंध लग गया था।

    बता दें कि यूजीसी द्वारा नियमों में बदलाव किए जाने पहले एकेडेमिक रिसर्च में करियर बनाने के इच्छुक स्टूडेंट्स पीएचडी से पहले एमफिल में दाखिला लेते थे। इसके पीछे यह धारणा थी कि एमफिल के बाद पीएचडी में न सिर्फ दाखिला आसानी से मिल जाता है, बल्कि इससे रिसर्च को पूरा करने में भी सहुलियत रहती है।