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    NDRF में बनाएं करियर, सरकारी से लेकर प्राइवेट तक हर सेक्टर में तेजी से बढ़ रही मांग

    कोर्स के बाद सरकारी विभागों आपातकालीन सेवाओं लॉ इंर्फोसमेंट एजेंसीज लोकल अथॉरिटीज रिलीफ एजेंसीजसार्वजनिक प्रतिष्ठानों और यूनाइटेड नेशन जैसी जगहों पर जॉब मिल सकती है।

    By Neel RajputEdited By: Updated: Wed, 31 Jul 2019 02:49 PM (IST)
    NDRF में बनाएं करियर, सरकारी से लेकर प्राइवेट तक हर सेक्टर में तेजी से बढ़ रही मांग

    नई दिल्ली, जेएनएन। भारी बारिश के चलते ट्रैक पर पानी आ जाने के कारण बदलापुर-वांगणी (मुंबई) के बीच कुछ दिन पहले महालक्ष्मी एक्सप्रेस करीब 17 घंटे ट्रैक पर फंसी रही। एनडीआरएफ, नौसेना ने बचाव अभियान चलाकर यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। भूकंप, बाढ़, सुनामी या भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत और बचाव की आवश्यकता को देखते हुए आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित लोगों की बड़ी संख्या में जरूरत होती है।

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    अगर आप भी खतरों से खेलते हुए लोगों की मदद में आगे रहना चाहते हैं, तो आपदा प्रबंधन एक प्रमुख विकल्प हो सकता है...

    अभी बिहार और असम का ताजा उदाहरण हमारे सामने है। बाढ़ के कारण शहरों में पानी, गांवों में पानी, सड़कों पर पानी, घरों में पानी, स्कूलों में पानी...। हर तरफ पानी ही पानी है। लोगों के न रहने का ठिकाना है, न खाने का। यह सिर्फ इस साल की बात नहीं है। देश में कहीं बाढ़, कहीं भूकंप तो कहीं भूस्खलन या फिर आगजनी की घटनाएं अक्सर देखने-सुनने में आती हैं। ऐसे में इस दौरान मुसीबत में लोगों का सहारा बनते हैं डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़े प्रोफेशनल्स, जो प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत और बचाव कार्य के द्वारा लोगों के जान-माल की हिफाजत करते हैं। यही वजह है कि सरकारी से लेकर प्राइवेट प्रतिष्ठानों में पिछले कुछ सालों से डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़े प्रोफेशनल्स की मांग तेजी से बढ़ी है। 

    लगातार बढ़ रहे मौके

    आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित लोगों के लिए आजकल सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों में नौकरी के अनगिनत अवसर हैं। यह कोर्स पूरा करने के बाद सरकारी विभागों, आपातकालीन सेवाओं, लॉ इंर्फोसमेंट एजेंसीज, लोकल अथॉरिटीज, रिलीफ एजेंसीज, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और यूनाइटेड नेशन जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में जॉब तलाश सकते हैं।

    इसके अलावा, जितने भी केमिकल, माइनिंग, पेट्रोलियम जैसे रिस्की कार्यों से जुड़ी इंडस्ट्रीज हैं, वहां भी इस तरह के पेशेवरों की काफी मांग है। इन जगहों पर ऑपरेशनल एनालिस्ट, सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटर, सिक्योरिटी सुपरवाइजर के रूप में करियर बनाया जा सकता है। हाल के वर्षों में देश में उद्योगों को बढ़ावा मिलने से विभिन्न फैक्ट्रीज में कर्मचारियों की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया जाने लगा है, इसके लिए भी डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़े प्रोफेशनल्स की हायरिंग हो रही है।

    समाज सेवा और आपदा प्रबंधन से जुड़े तमाम एनजीओ में भी आपदा प्रबंधन के जानकारों को रखा जाता है। आप चाहें, तो सामाजिक कार्यकर्ता बनकर या फिर किसी संस्थान से जुड़कर आपदा प्रबंधन में टीचिंग, ट्रेनिंग के जरिए भी इस फील्ड में करियर बना सकते हैं।

    कोर्स एवं योग्यता

    डिजास्टर मैनेजमेंट के नाम से अभी विभिन्न संस्थानों में यह कोर्स कराया जा रहा है, जहां से अपनी योग्यतानुसार सर्टिफिकेट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, मास्टर डिग्री जैसे प्रोग्राम्स की पढ़ाई कर सकते हैं। किसी भी स्ट्रीम के स्टूडेंट यह कोर्स कर सकते हैं। इस विषय में सर्टिफिकेट एवं बैचलर कोर्स के लिए 12वीं पास एवं पीजी डिप्लोमा या मास्टर डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश के लिए ग्रेजुएशन होना जरूरी है। इस क्षेत्र से जुड़े कुछ अन्य कोर्स भी हैं, जैसे-एमएससी इन डिजास्टर मिटिगेशन, डिग्री/डिप्लोमा इन फायर इंजीनियरिंग ऐंड सेफ्टी मैनेजमेंट आदि।

    सैलरी पैकेज

    आपदा प्रबंधन में सर्टिफिकेट/डिप्लोमा की पढ़ाई के बाद शुरुआत में 20 से25 हजार रुपये की सैलरी आसानी से पा सकतेहैं। आगे अनुभव बढ़ने के साथ ही सैलरी भी बढ़ती रहती है।

    प्रमुख संस्थान

    • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
    • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, दिल्ली
    • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेसिंग, देहरादून
    • डेल्ही कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग, दिल्ली 

    मुस्तैद रहते हैं एनडीआरएफ के जवान

    देश में आजकल कहीं भी बाढ़, तूफान या भूकंप जैसी आपदा आने पर लाल जैकेट पहने एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीमें वहां रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तुरंत पहुंच जाती हैं। ये जवान, सेना और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर आपदा में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए देश के विभिन्न लोकेशंस पर पहले से इनको तैनात रखा जाता है। देशभर में अभी एनडीआरएफ के कुल 12 बटालियंस हैं। इसके हर एक बटालियन में 18 टीमें होती हैं। हर टीम में करीब 47 जवान शामिल होते हैं। फिलहाल, एनडीआरएफ या एसडीआरएफ में सीधी भर्ती नहीं होती है यानी इसमें आम लोगों को नहीं लिया जाता है। जो जवान पहले से अद्र्धसैनिक बलों में हैं, वही प्रतिनियुक्ति पर सात साल के लिए इस फोर्स में आते हैं। अगर आप भी एनडीआरएफ-एसडीआरएफ का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो पैरामिलिट्री फोर्सेज के जरिए इस फोर्स में एंट्री पा सकते हैं।

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