Locomotive WAG-12: लोकोमोटिव WAG-12 है दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंजन, होंगे ट्विन सेक्शन
आपने रेलवे के बहुत लोकोमोटिव देखे होंगे जो अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव WAG-12 के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि भारतीय रेलवे में है।

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में आपने मालगाड़ियों से लेकर पैसेंजर ट्रेनों में अलग-अलग लोकोमोटिव देखे होंगे, जिनका इस्तेमाल कर रेलवे ट्रेनों का संचालन करती है। दिखने में यह लोकोमोटिव काफी बड़े और शक्तिशाली होते हैं। वहीं, इन सभी लोकोमोटिव के अलावा भी भारतीय रेलवे ने दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव WAG -12 तैयार किया है, जो अकेले 600 ट्रकों की क्षमता रखता है।
फ्रांस की Alstom कंपनी की मदद से बना
भारतीय रेलवे ने वैग 12 लोकोमोटिव का निर्माण फ्रांस की Alstom कंपनी के साथ मिलकर बिहार के मधेपुरा में किया है। इसके लिए अलग से एक वेंचर का निर्माण किया गया है, जिसका काम लोकोमोटिव निर्माण करना ही है।
ट्विन सेक्शन वाला है यह लोकोमोटिव
भारतीय रेलवे का यह लोकोमोटिव ट्विन सेक्शन वाला लोकोमोटिव है। इसमें दो इंजन हैं। आमतौर पर आप किसी मालगाड़ी में कई बार दो लोकोमोटिव को लगा हुआ देखते होंगे, जिससे अधिक वजन को खींचा जा सके। वहीं, रेलवे ने इस समस्या का हल निकालते हुए यह पहला लोकोमोटिव बनाया है, जिसमें स्थायी रूप से दो इंजन लगे हुए हैं, जिससे एक बार में अधिक से अधिक वजन को खींचा जा सके और दूसरा लोकोमोटिव लगाने की आवश्यकता नहीं पड़े।
12,000 हॉर्स पावर का है इंजन
भारतीय रेलवे के इस लोकोमोटिव में 12,000 हॉर्स पावर का इंजन लगाया गया है, जो अकेले ही 6,000 टन वजन को खींच सकता है। उदाहरण के तौर पर देखें, तो एक ट्रक आमतौर पर 10 टन तक वजन खींच सकता है, यानि यह इंजन अकेले ही 600 ट्रकों की क्षमता से वजन खींच सकता है।
दो जगह बनाए गए हैं मेंटेनेंस सेटंर
रेलवे के इस शक्तिशाली लोकोमोटिव के लिए दो जगह मेंटेनेंस सेंटर बनाए गए हैं। इसमें से एक सेंटर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर और दूसरा सेंटर महाराष्ट्र के नागपुर में बनाया गया है, जिससे अलग-अलग लाइनों पर चलने के दौरान इस लोकोमोटिव की मरम्मत की जा सके।
इंजन का वजन है 180 टन
रेलवे द्वारा इस लोकोमोटिव में लगाए गए इंजन का वजन ही 180 टन है, जबकि इंजन के अलावा लोकोमोटिव का वजन अलग है। ऐसे में यह लोकोमोटिव अन्य लोकोमोटिव की तुलना में बहुत भारी है। रेलवे ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि वजन कम होने पर कई बार चढ़ाई पर पटरियों पर पहियों के फिसलने की समस्या आ जाती है। ऐसे में अधिक वजन होने के साथ इस लोकोमोटिव के पहिए नहीं फिसलेंगे और यह आगे बढ़ता रहेगा।
लोकोमोटिव की रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा
इस लोकोमोटिव की अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है, लेकिन यह 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलता है। आपको बता दें कि आमतौर पर मालगाड़ी की औसत रफ्तार 25 से 30 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है।
लोकोमोटिव क्यों हुआ शुरू
इस लोकोमोटिव का निर्माण विशेषतौर पर डेडिकेडिड फ्रेट कॉरिडोर के लिए किया गया है। इस ट्रैक पर सिर्फ मालगाड़ी जाती है, जिससे मालगाड़ी तेजी से चलकर समय पर पहुंच सकती है। ऐसे में अधिक वजन खींचने के साथ तेज रफ्तार से चलने के लिए इस इंजन का निर्माण किया गया है।
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