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    Literacy Rate in India: 40 सालों में 33 फीसदी बढ़े साक्षर

    By Vineet SharanEdited By:
    Updated: Sat, 15 Aug 2020 01:18 PM (IST)

    Literacy Rate 1947 में आजादी हासिल करने के बाद भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता यही थी कि कैसे उसे उसका पुराना गौरव वापस दिलाया जाए।

    Literacy Rate in India: 40 सालों में 33 फीसदी बढ़े साक्षर

    नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। Literacy Rate in India: हिंदुस्तान आज अपनी आजादी की 74वीं सालगिरह मना रहा है। पिछले सात दशकों के महान सफर में कई मामलों में भारत ने नई इबारतें लिखी हैं। खूबसूरत तस्वीर का एक पहलू यह है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहां की सभ्यता करीब दस हजार वर्ष पुरानी है। अंग्रेजों के आने से पहले हमारा मुल्क विश्व का सबसे धनी देश था और यही नहीं पूरी दुनिया को विज्ञान से लेकर चिकित्सा तक का इल्म समझाने का काम किया। पर गुलामी के दौरान अंग्रेजों ने सोने की चिड़िया भारत को जमकर लूटा। 1947 में आजादी हासिल करने के बाद भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता यही थी कि कैसे उसे उसका पुराना गौरव वापस दिलाया जाए। पिछले 73 सालों में हम अपने इस मकसद में काफी हद तक कामयाब हुए हैं, जिसके दम पर आज भारत एक नया भारत बन चुका है।

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    शिक्षा किसी भी देश की बुनियादी रीढ़ होती है। भारत एक ऐसा देश रहा है, जिसने युगों-युगों तक दुनिया को ज्ञान की ज्योति से रास्ता दिखाया। दुनिया के लिए भारत एक विश्व गुरु था। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वप्रसिद्ध विद्यालयों में लोग दूर-दूर से आते थे। आजादी के 7 दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, जो अभी भी जारी हैं। हमारे विभिन्न संस्थानों से निकले वैज्ञानिक, टेक्नोक्रेट कारपोरेट से लेकर दुनिया की बड़ी लैब में सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं।

    1951 में 5 वर्ष और अधिक उम्र के प्रत्येक 10 भारतीयों में केवल 02 साक्षर थे। उस समय साक्षरता की परिभाषा यह थी कि एक मित्र को एक पत्र लिख सकता है और उत्तर पढ़ सकता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 1981 में जहां भारत की साक्षरता दर 41 फीसदी थी, जो 2018 में बढ़कर 74 फीसदी हो गई।

    बीते कुछ दशकों में में देश में व्यापक स्तर पर साक्षरता दर में मिली कामयाबी की बड़ी वजह शिक्षा को लेकर जारी की गई स्कीम और स्कूलों में अधिक नामांकन होना है। इससे पहले, देश के सुदूर हिस्से में बहुत से बच्चे स्कूल पहुंच ही नहीं पाते थे। 2001 से लेकर 2018 तक साक्षरता दर में 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। सर्व शिक्षा अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिड डे मील जैसी योजनाओं ने साक्षरता दर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। वयस्क साक्षरता दर का मतलब है कि जो लोग 15 साल या उससे अधिक उम्र के हैं उन्हें वह रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाले छोटे वक्तव्यों को लिख या पढ़ सकते हैं।