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    Jagran Josh Education Summit: केंद्रीय राज्य मंत्री मजूमदार बोले- नई शिक्षा नीति से बढ़ेगी छात्रों के सीखने की क्षमता

    Updated: Wed, 09 Apr 2025 05:13 PM (IST)

    Jagran Josh Education Summit में शिक्षा से जुड़े मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद सहित शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट ने अपने विचार रखे। इस पांचवें संस्करण में केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि शिक्षा से भारत के चिंतन को सभी को रूबरू कराना है। शिक्षा आपके गुणों को बाहर निकालता है।

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    Jagran Josh Education Summit के पांचवें संस्करण में देश की एजुकेशन को बेहतर बनाने के लिए मंथन किया गया।

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। Jagran Josh Education Summit में शिक्षा से जुड़े मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार, पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद सहित शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट ने अपने विचार रखे। इस पांचवें संस्करण में पुरस्कार भी वितरित किए गए। केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि शिक्षा से भारत के चिंतन को सभी को रूबरू कराना है। शिक्षा आपके गुणों को बाहर निकालता है। एनईपी का उद्देश्य है कि बच्चे में जो भी खूबी है उसमें उसे निपुण बनाया जाए।

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    Jagran Josh Education Summit & Awards 2025 इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य मंत्री, शिक्षा एवं विकास, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (DoNER) सुकांत मजूमदार ने कहा कि भारत में हजारों सालों से बात हो रही है कि शिक्षा क्या है। इसको लेकर चिंतन हुआ। सबका सार निकाला जाए तो शिक्षा क्या है। एक संस्कृत में श्लोक है 'सा विद्या या विमुक्तये है' जिसका अर्थ है कि विद्या वही है जो मुक्त करे। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा के बारे कहा कि हर व्यक्ति के अंदर जो गुण है उसे बाहर ला सके वह शिक्षा है। उन्होंने कहानी के माध्यम से शिक्षा की उपयोगिता के बारे में प्रकाश डाला।

    एनईपी से बच्चों को सीखने की क्षमता को बढ़ाना है

    उन्होंने कहा कि शिक्षा से भारत के चिंतन को बाहर लाना है। शिक्षा आपके गुणों को बाहर निकालता है। एनईपी का उद्देश्य है कि बच्चे में जो भी खूबी है उसमें उसे निपुण बनाया जाए। हमारी पिछली शिक्षा प्रणाली ने हमें रट्टामार बना दिया। इसी कारण से हम शिक्षा और खेल दोनों में ही आगे नहीं बढ़ सके। एनईपी 2020 हमने शुरू की है। इसमें सभी ने अपना योगदान दिया है। एनईपी से बच्चों को सीखने की क्षमता को बढ़ाना है। यह बचपन से नींव अच्छी करने का काम करेगी।

    अनुभव के आधार पर सीखने पर एनईपी 2020 में सबसे ज्यादा जोर दिया गया है। मातृ भाषा में कक्षा पांच तक शिक्षा होनी चाहिए। कक्षा आठ तक हो तो और भी बेहतर है। उन्होंने कहा कि रविद्र नाथ ठाकुर ने कहा था कि मातृ भाषा मां के दूध के समान है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी बेटी को भी मातृ भाषा में प्रारंभिक शिक्षा दिलाई है। क्रिटिकल थिकिंग मातृ भाषा में करते हैं। जर्मनी और जापान मातृ भाषा में शिक्षा देते हैं। वे कितने आगे हैं क्योंकि मातृ भाषा में शिक्षा लेते हैं। जापान में फिजिक्स में बहुत सारे नोबेल मिले हैं क्योंकि ये लोग मातृ भाणा में पढ़ते हैं। हमारा इंग्लिश से विरोध नहीं है लेकिन शुरू में मातृ भाषा में पढ़ाएं।

    उन्होंने कहा कि बच्चे जितनी भाषा सीखेंगे वह उनकी लिए उतना ही अच्छा रहेगा। एक समस्या है कि हम एक राज्य के लोग दूसरे राज्य के बारे में नहीं जान पा रहे हैं। बच्चा दूसरे राज्य की भाषा सीखेंगे तो यह हमारे देश की एकता के लिए भी अच्छा रहेगा। इस शिक्षा नीति में हम गांव और शहर की दूरी को कम करने का काम कर रहे हैं। हम तकनीक से हर क्षेत्र के बच्चों को सिखाना चाह रहे हैं। एनईपी भारत निर्माण का एक दस्तावेज है। हमने प्रारंभिक शिक्षा में निपुण भारत शुरू किया है।

    आपको जो पसंद है वह विषय पढ़ें

    उन्होंने कहा कि हम बच्चों प्रत्साहित कर रहे हैं कि आप को जो पसंद है वह विषय पढ़ें। अगर आप साइंस पढ़ रहे है तो आप आर्ट का विषय नहीं पढ़ सकते है। अब आपको ये सुविधा मिलेगी। ये आपको लचीलापन देगी। उन्होंने कहा तक्षशिला और नालंदा और महान विश्वविद्याल रहे हैं। मद्रास आईआईटी हर दिन एक नया पेटेंट दाखिल कर रहा है। भारत के युवा बेहतरीन काम कर रहे हैं। विदेशी विश्वविद्यालय यहां पर आकर यहां कैंपस बनाने जा रहे हैं।

    पहले दुनिया में भारत एक मात्र देश था जो पूरी तरह शिक्षित था

    नई शिक्षा नीति पर मातृ भाषा पर उठे विवाद के बारे में पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एनईपी पर मातृ भाषा पर चर्चा की जा रही है। भारत विश्व गुरु रहा है। जब इस देश में तक्षशिला, नालंदा विश्वविद्यालय होते थे। तब दुनिया के लोग बता नहीं सकते है कि इनके पास कोन सा विश्वविद्यालय था। पूरी दुनिया हमसे सीखती थी। हमारी लीडरशिप थी हम किसी एक विषय में आगे नहीं बल्कि ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, आचार, व्यवहार, प्रकृति, संस्कृति .. कौन सा ऐसा विषय था जो हमारे पास नहीं था। मैं आपको 1835 में ले जाना चाहूंगा कि इसके साथ आप चौथी और दसवीं सदी की बात करेंगे। भारत के लोगों को समझना पड़ेगा कि हम क्या थे जो समाज अपने अतीत को भूलता है वह अधिक दिनों तक जिंदा नहीं रह सकता हमने थपेड़ सहे हैं। इसलिए हमें सजग होना होगा। मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक समय हम शत प्रतिशत साक्षर थे। पूरी दुनिया में भारत एक मात्र देश था जो पूरी तरह शिक्षित था।

    उन्होंने कहा कि लार्ड मैकाले ने कहा कि जब तक हम भारत की शिक्षा, भाषा और संस्कृति को नहीं बदल सकते तब तक यहां पर राज्य कर सकते। हमारी शिक्षा को समाप्त किया गया और अपनी अंग्रेजी को थोप दिया। 200 साल में हमारे अंदर हीन भावना को भरा गया। उन्होंने कहा कि हमने अंग्रेजी का विरोध नहीं किया लेकिन इस देश के लोगों को समझना चाहिए कि अंग्रेजी हमारी भाषा नहीं है। संविधान की आठवीं अमुसूची में 22 भारतीय भाषाएं हैं। अंग्रेजी भारतीय भाषा नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो नई शिक्षा नीति आई है वह ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, आचार, व्यवहार, नवाचार से भारत को पूरी दुनिया में आगे बढ़ने का काम करेगी।

    उन्होंने कहा कि एनईपी पूरे वर्ल्ड में गेमचेंजर का काम करेगी। एनईपी दुनिया का सबसे बड़ा नवाचार है। इसमें ग्राम प्रधान से लेकर पीएम को इसमें शामिल किया गया। देश के 33 करोड़ छात्र छात्राओं से लेकर उनके अभिभावकों तक, 1 करोड़ 10 लाख अध्यापकों से लेकर 1 हजार विश्वविद्यालयों के कुलपति से चर्चा की गई। जब हमने एनईपी को लागू किया तो कोई विरोध नहीं हुआ। हिंदी के विरोध की बात पर आप महात्मा गांधी जी और अंबेडकर जी को पढ़ें। गांधी जी ने कहा था कि वह राष्ट्र जिसकी अपनी राष्ट्र भाषा न हो तो वह गूंगा है। बाबा साहेब अंबेडर ने कहा था कि जिसकी राष्ट्र भाषा नहीं है वह चौराहे पर खड़ा है। हिंदी सिर्फ उत्तर भारत की भाषा नहीं है। यह पूरे देश की भाषा है। हिंदी पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली है। हम चाहते हैं कि मातृ भाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा होनी चाहिए। व्यक्ति जो अभिव्यक्ति अपनी भाषा में कर सकता है। वह दूसरी भाषा में नहीं कर सकता है। एनईपी में 22 भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण की बात की गई है।

    स्त्रियां काफी शिक्षित थीं

    जागरण टीवी की राजनीतिक एंकर स्मृति रस्तोगी ने लेखिका अमी गनात्रा से चर्चा की। इस दौरान लेखिका अमी गनात्रा ने कहा कि हमारे दिमाग में आज यह डाल दिया गया है कि हमने भूतकाल में कुछ नहीं किया है। जबकि हमने विश्व को बहुत कुछ दिया है। हम अपने इतिहास से काफी कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने पौराणिक कहानियों से माध्यम से बताया कि स्त्रियों की स्थिति कैसी थी। उन्होंने बताया कि स्त्रियां काफी शिक्षित थीं।

    इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  दिल्ली सरकार के गृह, विद्युत, शहरी विकास, शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंत्री आशीष सूद कि सबसे पहले मैं जागरण समूह का जागरण जोश का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम को आयोजित किया। जागरण समूह और भारतीय जनता पार्टी का पुराना लंबा संबंध रहा है। हम परस्पर विश्वास से एक दूसरे से जुडे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं इस कार्यक्रम में हूं। जागरण जोश को हमने पिछले 15 सालों से देख रहे हैं। इस दौरान बहुत सारे सस्थानों ने अपनी विश्वसनीयता को खो दिया लेकिन जागरण समूह ने बदलाब करते हुए लोगों की जरूरतों को पूरा किया है। यह काफी विश्वनीय है। शिक्षा के बारे में जानकारी देने का काम जागरण जोश ने किया है। सभी को लगता है कि मैंने जो परेशानी झेली है। वह हमारी अगली पीढ़ी नहीं झेले।

    लोग जॉब पाने वाले नहीं बल्कि देने वाले बनें

    उन्होंने कहा कि अगर किसी को फिर से जीवन जीने का मौका दिया जाए तो अधिकतर लोग कहते हैं कि अगर उन्हें फिर से मौका मिले तो वे शिक्षा लेने की मंशा जताते हैं। जागरण जोश अपनी जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभा रहा है। हमारी सरकार चाहती है लोग जॉब पाने वाले नहीं बल्कि देने वाले बनें। इसके लिए सारे प्रयास कर रहे हैं। तकनीक शिक्षा बहुत जरूरी है।

    उन्होंने कहा कि शिक्षा महत्वपूर्ण क्यों हैं। व्यक्ति निर्माण शिक्षा का काम है। ऐसे में मैं एक लाइन कहकर अपनी बात को स्पष्ट करना चाहता हूं कि रोशनी सिर्फ चिरागों से हीं नहीं बल्कि शिक्षा से समाज को रोशन किया जा सकता है। शिक्षा वह है जो युवा को आत्मलोकन करने में सक्षम बनाए। उसकी क्षमता को बढ़ाए और समाज को प्रगति के पथ पर ले जाए। मैं कहना चाहता हूं कि एक दशक ऐसा गुजरा है जहां पर शिक्षा पर काम करने की जगह सिर्फ मतदाताओं को लुभाने का उपकरण बनाया गया।

    मंत्री ने कहा कि हम कक्षा छह से लेकर 12 तक के छात्रों के लिए उद्मिता की भावना को प्रेरित करने का काम शुरू कर रहे हैं। इस दौरान उनकी स्किल को बढ़ाया जाएगा कि वे सफल बिजनेस कर सकें। दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चों को की ट्रेनिंग सफल स्टार्ट अप में कराने का काम भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता की इच्छा होती है कि हमारे बच्चे उनसे अच्छी स्थिति में हो। लोगों की भावना होती है कि मेरा बच्चा अच्छी अंग्रेजी हो लेकिन उनके पास संसाधन नहीं होते हैं। इसी कारण से सरकारी बच्चों के लिए दिल्ली सरकार डाक्यर कलाम लैब शुरू करने जा रही है। इसमें भाषाओं को सिखाने का काम किया जाएगा। इससे बच्चे बेहतर बनेंगे। हम दिल्ली से ऐसे युवा तैयार करेंगे जो कि पूरे देश में नाम रोशन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जागरण इस मुद्दे पर जो भी सुझाव देंगे हम उसको मानना चाहेंगे। दिल्ली में लर्निंग नवाचार, इंफ्रा और शिक्षा से जुड़े लर्निंग आउटकम के साथ इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

    इसके बाद पैनल डिस्कशन हुआ। भविष्य के लिए शिक्षा तैयार करना: क्या हम बच्चों को ऐसी नौकरियों के लिए पढ़ा रहे हैं जो अभी तक अस्तित्व में नहीं हैं? संस्थानों को छात्रों को तेज़ी से विकसित हो रहे नौकरी बाज़ार के लिए कैसे तैयार करना चाहिए, इस पर बातचीत की गई। इस सेशन में दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अशोक कुमार नागावत, करियर मेंटर के सौरभ नंदा, मैजिकपिटारा के सीईओ पार्थ घई और फिजिक्स वाला के प्रोफेसर विक्रांत कथूरिया ने अपनी बात रखी। इस सेशन को जागरण जोश की एजीएम और कंटेंट हेड रुशति घोष ने मोडरेट किया।

    एनईपी और एकीकृत सीखने की क्षमता को लेकर चर्चा की गई। इस सेशन में टुटेविज की अकादमिक प्रमुख श्रद्धा कौल, आईएमटी गाजियाबाद के डीन (अकादमिक), प्रोफेसर (मार्केटिंग और रणनीति) डॉ. अशोक शर्मा, गलगोटिया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ. विक्रम बाली और प्रथम फाउंडेशन की सीईओ रुक्मिणी बनर्जी अपने विचार रखे। इस सेशन को मोडरेड फिजिक्स वाला के प्रोफेसर विक्रांत कथूरिया ने किया। सभी ने एनईपी में छात्रों को पढ़ाई के दौरान मिलने वाले लचीलेपन को सराहा।

    'वित्तीय साक्षरता और डिजिटल शिक्षा - अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना' इस मुद्दे पर जेएनएम के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट और सोशल मीडिया हेड वरुण शर्मा ने फिल्मी फाइनेंस की नेहा नागर से चर्चा की। इस दौरान नेहा से पूछा गया कि स्कूल में फाइनेंस लिटरेसी क्यों नहीं है। इस पर नेहा ने कहा कि स्कूलों में हम कई विषय पढ़ा रहे हैं। इसी कारण से पर्सनल फाइनेंस को जगह नहीं मिल पा रही है। अगर हम बच्चों को स्कूल से ही पर्सनल फाइनेंस सिखाएं तो यह उनके लिए बेहतर रहेगा।

    जलगांव जिला परिषद की सीईओ मीनल कर्णवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

    कार्यक्रम में दिए गए अवार्ड्स 

    तमिलनाडु में सबसे प्रोमिसिंग निजी विश्वविद्यालय - सत्यभामा विश्वविद्यालय चेन्नई, तमिलनाडु

    बेहतरीन प्लेसमेंट वाला विश्वविद्यालय - पारुल विश्वविद्यालय वडोदरा गुजरात

    सबसे प्रभावशाली शिक्षा कंपनी - एमवर्सिटी

    दिल्ली एनसीआर में इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता - ग्रेटर नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ग्रेटर नोएडा, यूपी

    नवाचार और उद्यमिता के लिए नए युग का विश्वविद्यालय - एमआईटी आर्ट डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी पुणे, महाराष्ट्र

    उत्तर प्रदेश में अग्रणी निजी विश्वविद्यालय -  श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ, यूपी

    उत्तर भारत में प्रबंधन शिक्षा में अग्रणी - एक्यूरेट इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी

    उत्तर भारत में प्रबंधन शिक्षा में अग्रणी - मीनल करनवाल, सीईओ, जिला परिषद, जलगांव महाराष्ट्र सरकार