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    Indian Navy: क्या आपको पता है इंडियन नेवी की फुल फॉर्म? जानें नौसेना के 400 सालों का इतिहास

    Updated: Tue, 19 Nov 2024 03:50 PM (IST)

    Indian Navy की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सन 1612 में “इंडियन मरीन” के नाम से की गई थी जिसे वर्तमान समय में भारतीय नौसेना के रूप में जाना जाता है। इंडियन नेवी की फुल फॉर्म Nautical Army of Volunteer Yeomen होता है। भारतीय नौसेना समुद्र में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखती है और देश की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने का काम करती है।

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    Indian Navy का पूरा इतिहास यहां से करें चेक।

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। हमारे देश में हर साल 4 दिसंबर के दिन को भारतीय नौसेना दिवस यानी कि (Indian Navy Day) के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इंडियन नेवी हमारे देश की सेनाओं का अभिन्न अंग है जो हमारे देश की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने का काम करती हैं और साथ ही समुद्र में होने वाली आपराधिक गतिविधियों को रोकने का काम भी करती है। भारतीय नौसेना समुद्र की सुरक्षा के साथ ही वायु सेना को भी सहायता प्राप्त करती है। नेवी के कई युद्धपोतों से एयरफोर्स के फाइटर प्लेन सीधा उड़ान भरते हैं।

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    क्या आप जानते हैं इंडियन नेवी की फुल फॉर्म?

    हम सभी भारतीय नौसेना को NAVY के नाम से जानते हैं लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जिन्हें अभी तक इसकी फुल फॉर्म नहीं पता होगी। तो हम आपको बताते हैं कि Navy की Full Form “Nautical Army of Volunteer Yeomen” है। इसका मतलब किसी देश की संगठित सेना जो भारतीय सशस्त्र बलों की एक शाखा है। यह सेना समुद्री गतिविधियों में विशेषज्ञता रखती है और देश की सुरक्षा करने में अहम भूमिका निभाती है।

    400 साल से अधिक का हो गया है इतिहास

    आपको बता दें इंडियन नेवी का इतिहास 412 साल का हो गया है। पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से सन 1612 में “इंडियन मरीन” के नाम से इसकी स्थापना की गई थी। इसके बाद सन 1685 में इसका नम बदलकर “बंबई मरीन” कर दिया गया। इस नाम का प्रयोग सन 1830 तक किया गया है। इसके कुछ सालों बाद 8 सितंबर 1934 को भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया गया और इसके तहत "रॉयल इंडियन नेवी" का गठन किया गया।

    आजादी के बाद इंडियन नेवी का हुआ विस्तार

    आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा इंडियन नेवी में विस्तार किया गया और इसके सैनिकों की संख्या 30 हजार तक पहुंच गई थी। लेकिन आजादी के बाद देश के बंटबारा हुआ और इस दौरान एक तिहाई संख्या पाकिस्तान के पास चली गई। लेकिन भर्ती ने जरूरत को भांपते हुए आजादी के बाद इसमें विस्तार किया। सबसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री ने एक क्रूजर को खरीदा। इसके बाद भारत लगातार इसमें बढ़ोत्तरी करता गया।

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