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    मेडिकल कॉलेज में बढ़ेंगी 75000 सीटें, IIT के लिए भी कई बड़े एलान; जानिए छात्रों को बजट में क्या मिला

    Updated: Sat, 01 Feb 2025 10:00 PM (IST)

    केंद्र सरकार अगले पांच सालों में मेडिकल की 75 हजार सीटों के बढ़ाने के क्रम में है। वहीं देश के पांच आईआईटी में साढ़े छह हजार और सीटों के बढ़ाने का एलान किया गया है। निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जब बजट पेश किया तो छात्रों के लिए कई बड़े एलान किए। मेडिकल और आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए ये एलान किसी तोहफे से कम नहीं हैं।

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    अगले 5 साल में मेडिकल में बढ़ाई जाएगी सीट (फोटो: जागरण)

    अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने भले ही देश की शिक्षा को बहुआयामी बना दिया है, जहां से वह किसी भी क्षेत्र में अपने कैरियर को संवार सकते है, बावजूद इसके देश के अधिकांश माता-पिता का सपना अभी भी अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाने का है।

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    यही वजह है कि मेडिकल व इंजीनियरिंग से जुड़े कोर्सों में प्रवेश को लेकर देश में भारी मारामारी है। फिलहाल सरकार ने मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले की इन चुनौतियों देखते हुए अगले साल अकेले मेडिकल की ही दस हजार और नई सीटें बढ़ाने का एलान किया है।

    75 हजार सीटें बढ़ेंगी

    • यह एलान अगले पांच सालों में मेडिकल की 75 हजार सीटों के बढ़ाने के क्रम में है। वहीं छात्रों को राहत देते हुए आईआईटी में भी साढ़े छह हजार और नई सीटें बढ़ाने की घोषणा की है। मेडिकल और आईआईटी की सीटें बढ़ाने को लेकर सरकार का यह जोर लगातार पिछले दस सालों से है।
    • जिसमें इन दस सालों में मेडिकल के स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्सों में 1.1 लाख सीटें जोड़ी गई है। वहीं आईआईटी में भी 70 हजार नई सीटें जोड़ी जा चुकी है। यह बात अलग है कि इस क्षेत्र में जिस तरह की मांग है उस लिहाज से सीटों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
    • यही वजह है कि दाखिला से वंचित बड़ी संख्या में छात्र हर साल उच्च शिक्षा के विदेशों की ओर से पलायन कर जा रहे है। मेडिकल में दाखिले को लेकर स्थिति और उलट है।

    निजी कॉलेजों में फीस ज्यादा

    यहां दाखिले की पात्रता होने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्र इसलिए एमबीबीएस जैसे कोर्सों में दाखिला नहीं ले पाते है, क्योंकि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस इतनी ज्यादा है, कि वह निम्न मध्यम और मध्यमवर्गीय की पृष्ठिभूमि से आने वाले छात्र की क्षमता से बाहर की बात है।

    मौजूदा समय में निजी मेडिकल कॉलेजों की सालाना फीस 60 लाख से एक करोड़ या उससे भी अधिक है। वहीं मेडिकल की कुल सीटों में 48 प्रतिशत से अधिक सीटें निजी कॉलेजों के पास है।

    खास बात यह है कि निजी मेडिकल की महंगी फीस को लेकर शुक्रवार को सरकार की ओर से पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में भी इसे लेकर चिंता जताई गई और उसे उचित सीमा में रखने का सुझाव दिया गया है। देखना होगा कि सरकार इस दिशा में कोई कदम कब उठाती है।

    आईआईटी में भी बढ़ेंगी सीटें

    बजट में देश के जिन पांच आईआईटी में साढ़े छह हजार और सीटों के बढ़ाने का एलान किया गया है, उनमें 2014 के बाद बनाए गए आईआईटी भिलाई, धनवाद, धारवाड, जम्मू और गोवा शामिल है। इसके साथ ही बजट में आईआईटी पटना में छात्रावास और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी क्षमता को बढ़ाने का भी एलान किया गया है।

    गौरतलब है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले की मारामारी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अकेले नीट की प्रवेश परीक्षा में पिछले साल करीब 24 लाख छात्र शामिल हुए थे, जबकि जेईई मेन की प्रवेश परीक्षा में भी दस लाख से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया था।

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