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    Hindi Diwas Speech 2025: हिंदी दिवस के मौके पर इस बेहतरीन अदांज में दें स्पीच

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 02:08 PM (IST)

    भारत में प्रत्येक 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। विशेषतौर पर कई संस्थानों स्कूलों और कॉलेजों में निबंध स्पीच पेंटिंग आदि प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। ऐसे में यदि आप भी स्पीच प्रतियोगिता में शामिल होने वाले हैं तो यहां आपके लिए आसान शब्दों में एक बेहतरीन स्पीच तैयार की गई है।

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    Hindi Diwas Speech 2025: यहां देखें बेहतरीन स्पीच।

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली: भारत में प्रत्येक 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर संस्थानों, स्कूलों व कॉलेजों में युवाओं को हिंदी के महत्व से प्रेरित करने के लिए निबंध, पेंटिंग, वाद-विवाद और स्पीच प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। कल यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस है। ऐसे में यदि आप भी हिंदी दिवस के मौके पर अपनी भाषा को गौरवान्वित करने के लिए स्पीच प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हैं, तो यहां आपकी मदद के लिए एक बेहतरीन स्पीच तैयार की गई है, जिसकी मदद से आप अपने स्कूल या कॉलेज में स्पीच प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।

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    आदरणीय शिक्षक और मेरे प्यारे साथियों, जैसा की आप सब जानते हैं कि आज हम सब हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर यहां शामिल हुए हैं। हिंदी केवल हमारी भाषा नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान, शान और सम्मान का प्रतिक है। आज का दिन हमारे लिए बेहद ही खास है, क्योंकि यह दिन हमें अपनी भाषा के महत्व को जानने व समझने और अपनी विरासत को याद करने का अवसर देती है। क्या आप सब जानते हैं, प्रत्येक 14 सितंबर को ही भारत में हिंदी दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है। दरअसल आज ही के दिन यानी 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकृति दी थी। तब से ही भारत में प्रत्येक 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

    हिंदी भाषा जितनी सरल, मधुर और सहज है, उतनी ही यह हमें हमारी संस्कृति और विरासत से जोड़ती है। हिंदी भाषा को हमारे लोकप्रिय कवि व लेखक जैसे तुलसीदास, सूरदास, कबीर, प्रेमचंद जैसे महान लेखकों ने अपनी कविताओं और कहानियों से और भी ज्यादा सुंदर व रोमांचक बना दिया है। इन लेखकों व कवियों के योगदान से हिंदी साहित्य का न केवल भारत में विशेष महत्व है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले छात्रों ने भी हिंदी साहित्य के प्रति अपनी रुचि व रुझान को बढ़ चढ़कर प्रदर्शित किया है।

    हालांकि हम सब यह अच्छे से जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से हिंदी का प्रभाव थोड़ा कम हो गया है। लेकिन भारत के नागरिक और हिंदी प्रेमी होने के नाते हमें खुद से यह संकल्प लेना होगा कि हम अपनी भाषा के महत्व को न केवल समझेंगे, बल्कि हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे और हमेशा हिंदी भाषा को सम्मान देंगे। अंत में यह कहना चाहूंगा कि हिंदी भाषा हमारी एक प्रमुख धरोधर है। हमारा कर्तव्य इसे संजोकर रखना है और हम इसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना है।

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