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    शहर एवं गांव के नाम में क्यों जुड़ा होता है 'पुर', यहां से जानें रोचक तथ्य

    By Amit YadavEdited By: Amit Yadav
    Updated: Wed, 05 Jul 2023 05:01 PM (IST)

    Explainer भारत के अलावा अफगानिस्तान और ईरान में शहर एवं गांवों के नाम के अंत में पुर जोड़ा जाता है। क्या आपको पता है कि पुर शब्द आखिर नामों के अंत में क्यों जोड़ा जाता है। इससे जुड़ा हुआ क्या इतिहास है। अगर नहीं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी है। आप यहां से पुर शब्द के इस्तेमाल और इसके पीछे के इतिहास की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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    शहर एवं गांव के नाम में क्यों जोड़ा जाता है 'पुर', यहां से प्राप्त करें पूरी जानकारी।

    Explainer: दुनियाभर में लोग किसी न किसी गांव या शहर से जुड़े होते हैं। हम जहां रहते हैं उस शहर या गांव का कोई नाम होता है और उसी से हमारी पहचान होती है कि हम कहां के निवासी है। हमने बहुत से ऐसे शहर या गांव देखें हैं या उनमें रहे हैं जिनमें नाम के अंत में 'पुर' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। पुर शब्द से हमारे देश में कई बड़े शहर जैसे कानपुर, जयपुर, उदयपुर, नागपुर, रायपुर, जोधपुर, गोरखपुर जैसे प्रसिद्ध हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन नामों के पीछे पुर शब्द का इस्तेमाल क्यों किया जाता है, पुर शब्द का क्या मतलब होता है। अगर नहीं तो आप इस आर्टिकल माध्यम से 'पुर' के बारे में रोचक तथ्य और इतिहास जान सकते हैं।

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    कहां से आया 'पुर' शब्द और क्या होता है इसका मतलब

    'पुर' एक प्राचीनतम शब्द है जो कि संस्कृत भाषा से लिया गया है। पुर का उल्लेख सनातन धर्म के प्रसिद्ध वेदों में से एक ऋग्वेद में मिलता है। पुर का मतलब होता है कोई किला या शहर। इसके साथ ही पुर शब्द का उपयोग भारतीय ऋग्वेद के अलावा अरबी भाषा में भी देखने को मिलता है। इसीलिए भारतीय शहरों एवं गावों के अलावा अफगानिस्तान और ईरान की कई जगहों के नाम के अंत में भी पुर शब्द का उपयोग देखने को मिलता है।

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    क्यों किया गया नाम में पुर शब्द का इस्तेमाल

    पुर शब्द का इस्तेमाल शहरों या गावों के नाम में प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। क्योंकि पुर शब्द का मतलब शहर या किला होता था इसलिए राजा महाराजा किसी का निर्माण करने के बाद अपने नाम या किसी अन्य वस्तु, प्रसिद्ध चीज के नाम बाद पुर लगा देते थे और इस प्रकार किसी गांव या शहर का नामकरण हो जाता है।

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    जयपुर के नाम की रोचक कहानी

    इतिहास में दर्ज मान्यताओं के अनुसार राजा जयसिंह ने राजस्थान में स्थित जयपुर शहर का निर्माण करवाया था। इसलिए जब इसके नामकरण की बारी आयी तो राजा जयसिंह के नाम का जय और पुर लेकर शहर का नामकरण कर दिया गया जिसे हम आजतक जयपुर के नाम से जानते हैं।

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