Explainer: क्या है अध्यादेश? कौन कर सकता है लागू, यहां से जानें अध्यादेश से जुड़े सभी सवालों के जवाब
Explainer अध्यादेश को संसद सत्र या विधानसभा सत्र के न चलने पर लाया जाता है। अध्यादेश केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा किसी आपात स्थिति में किसी कानून को लागू करने के लिए किया जाता है जिसके अवधि 6 महीने तक हो सकती है।

Explainer: सरकार द्वारा किसी विशेष कार्य को करने या रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से एक कानून लाया जाता है जिसे अध्यादेश कहा जाता है। अगर आप भी अध्यादेश क्या है, कैसे लागू होता है, कौन लागू कर सकता है, अध्यादेश कैसे कानून का रूप ले सकता है और अध्यादेश कब तक लागू रह सकता है जैसे सवालों के जबाव ढूढ़ रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए काम क्या है। इन सभी सवालों के उत्तर यहां दिए जा रहे हैं जिनसे आप अध्यादेश से जुड़ी पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है अध्यादेश?
अध्यादेश किसी विशेष स्तिथि लाया गया एक कानून होता है। यह तभी लागू किया जा सकता है जब भारतीय संसद का सत्र न चल रहा हो या किसी राज्य का विधानसभा सत्र न चल रहा हो। जब संसद या विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा हो और किसी नए कानून की जरूरत हो तो केंद्र सरकार या राज्य सरकार के द्वारा अध्यादेश लाया जाता है और इसे लागू किया जाता है। अध्यादेश राष्ट्रपति अनुच्छेद 123 के तहत लाया जाता है।
अध्यादेश लागू करने का किसके पास होता है अधिकार?
राष्ट्रपति अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश लागू करने की शक्तियां रखता है। इसके अलावा अगर कोई राज्य सरकार अध्यादेश लाना चाहती है तो इसकी शक्तियां राज्यपाल के पास होती हैं। राज्यपाल को अध्यादेश लागू करने की शक्तियां अनुच्छेद 213 के तहत प्रदान किये गए हैं। राष्ट्रपति और राज्यपाल अध्यादेश के लिए तभी आदेश दे सकते हैं जब संसद सत्र या विधानसभा सत्र न चल रहा हो।
अध्यादेश की कितनी होती है अवधि?
अध्यादेश अल्पकाल के लिए ही लागू किया जा सकता है। इसकी अवधि छह महीने से ज्यादा नहीं हो सकती है। अध्यादेश लागू होने के बाद अगले 6 महीने के अंदर इसे संसद सत्र या विधानसभा सत्र में बिल के रूप में पेश किया जाता है। किसी विशेष स्थिति में अध्यादेश को एक बार 6 महीने के लिए नवीनीकरण किया जा सकता है।
अध्यादेश कैसे बन सकता है परमानेंट कानून?
अगर केंद्र सरकार द्वारा या किसी राज्य सरकार द्वारा किसी अध्यादेश को कानून का रूप देना हो तो उसे 6 महीने के अंदर संसद सत्र में या विधानसभा सत्र में पेश करना होगा। इसके बाद अध्यादेश अगर संसद से पास हो जाता है तो अंतिम चरण के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद अध्यादेश परमानेंट कानून का रूप ले लेता है। अगर कोई अध्यादेश संसद में दोनों सदनों यानी की लोकसभा या राज्यसभा से पास नहीं होता है तो वह अध्यादेश आगे कानून का रूप नहीं ले सकता है। इसी प्रकार राज्य सरकार को अध्यादेश विधानसभा सत्र में पास कराना होता है तभी वह कानून का रूप ले सकता है।
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