सेमीकंडक्टर की पढ़ाई के लिए बनेंगे कई डिप्लोमा और डिग्री कोर्स, नए विषयों को भी जोड़ा जाएगा
भारत को सेमीकंडक्टर उद्योग का हब बनाने के लिए बड़े स्तर पर है सरकार की तैयारी। सरकार की स्ट्रेटजी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने सुझाया रोडमैप। सेमीकंडक्टर में छात्रों की रूचि को और अधिक विकसित करने के लिए नए विषयों को जोड़ने की सिफारिश। साथ ही सेमीकंडक्टर के अध्ययन के लिए नए डिप्लोमा व डिग्री कोर्स भी बनाएं जाएंगे।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियों से निपटने के लिए उसे स्कूली स्तर से ही शिक्षा में शामिल करने की योजना बना चुकी सरकार ने ऐसी ही तैयारी सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए भी की है। इंडिया सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम वर्कफोर्स डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी रिपोर्ट में पूरा रोडमैप बताया गया है कि किस तरह से स्कूल स्तर से इस क्षेत्र में छात्रों की रुचि को विकसित करते हुए डिप्लोमा, स्नातक और परास्नातक स्तर के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं।
छात्रों को सेमीकंडक्टर क्षेत्र से किया जाएगा परिचित
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम वर्कफोर्स डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने स्पष्ट कहा है कि स्कूली छात्रों को सेमीकंडक्टर क्षेत्र से परिचित कराने से उनमें इससे संबंधित तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने में शुरुआती रुचि विकसित हो सकती है। इस क्षेत्र में बुनियादी समझ से लेकर उन्नत विषयों तक छात्रों का मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने अनुशंसा की है कि उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए परियोजना-आधारित शिक्षण पाठ्यक्रमों का विकास करना होगा, जिन्हें स्नातक छात्रों के पाठ्यक्रम और इंटर्नशिप कार्यक्रमों में एकीकृत किया जाना चाहिए। स्नातकोत्तर छात्रों के लिए भी ऐसे पाठ्यक्रमों पर विचार किया जाना चाहिए।
सेमीकंडक्टर में नए पाठ्यक्रम जोड़ने की सिफारिश
एआईसीटीई और विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम मॉड्यूल बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए, जो सेमीकंडक्टर समस्याओं पर केंद्रित हों। सेमीकंडक्टर कंपनियों के साथ साझेदारी की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त निकायों को स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पाइरिंग माइंड्स) प्लेटफार्म के अंतर्गत सेमीकंडक्टर विकास में नए पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए। शैक्षणिक पेशेवरों और उद्योग जगत के अग्रणी लोगों के लिए कौशल उन्नयन और संकाय विकास कार्यक्रम भी बनाने होंगे। एआईसीटीई प्रमुख सेमीकंडक्टर विशेषज्ञों के साथ साझेदारी में इन पाठ्यक्रमों को डिजाइन कर सकता है।
ये सुविधाएं दी जाएगी
संकाय विकास कार्यक्रमों में कार्यशालाएं, प्रमाणन और प्रशिक्षण सत्र शामिल होंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक कोर्स पढ़ाने के लिए सक्षम हों। उद्योग जगत के पेशेवरों को भी निरंतर कौशल विकास के लिए इन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने इसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार इस पर गंभीरता से काम करेगी।
वीएलएसआई डिजाइन में विशेषज्ञता
वीएलएसआई (वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) डिजाइन में एक विशेष डिग्री शुरू करने की सिफारिश की गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इंजीनियरिंग के पहले दो वर्षों में बुनियादी सेमीकंडक्टर पाठ्यक्रम शामिल किए जाएं। सेमीकंडक्टर डिजाइन के वैकल्पिक पाठ्यक्रम तीसरे और चौथे वर्ष में पेश किए जाने चाहिए और अंतिम वर्ष के दौरान व्यावहारिक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
रीस्किलिंग कार्यक्रमों के लिए वर्चुअल प्लेटफार्म
टियर-2 और टियर-3 कॉलेजों के छात्रों के लिए रीस्किलिंग और अपस्किलिंग कार्यक्रम शुरू करने के लिए स्वयं और दीक्षा जैसे वर्चुअल प्लेटफार्म का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए एआईसीटीई विभिन्न जटिल स्तर वाले डिजिटल मॉड्यूल तैयार करेगा, जो सेमीकंडक्टर की बुनियादी बातों से लेकर उन्नत विषयों को कवर करेंगे।
प्रशिक्षुता और कौशल विकास कार्यक्रम
कौशल विकास मंत्रालय से अपेक्षा की गई है कि प्रशिक्षुता, करियर पाथवे कार्यक्रमों और तकनीकी शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से 1,00,000 नए तकनीशियनों को प्रशिक्षित करना चाहिए, जिससे सेमीकंडक्टर से संबंधित क्षेत्रों में स्नातकों की संख्या तीन गुणा हो जाएगी। अनुशंसा की गई है कि सेमीकंडक्टर उद्योग और आईटीआई के सहयोग से प्रशिक्षुता कार्यक्रम विकसित किए जाएं।

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