केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में रेडियो फ्रीक्वेंसी से होगी पुस्तकों की पहचान, विद्यार्थियों की परेशानी होगी दूर
Bihar News डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में अब डिजिटल पुस्तकों की मिलेगी सुविधा। विश्वविद्यालय में पांच लाख से अधिक पुस्तकें व बेहतरीन जर्नल्स का आनलाइन डाटाबेस उपलब्ध है। आरएफआइडी वायरलेस पहचान तकनीक है जो रेडियो तरंगों के माध्यम से पुस्तकों की पहचान व ट्रैकिंग करती है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। डा.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में अब पुस्तक पढ़ने के लिए अपको मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पुस्तकालय पूरी तरह डिजिटल हो गया है।
यहां आरएफआइडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) व माइलाफ्ट (माई लाइब्रेरी आन फिंगरटिप) तकनीक लागू कर दी गई है। आरएफआइडी वायरलेस पहचान तकनीक है जो रेडियो तरंगों के माध्यम से पुस्तकों की पहचान व ट्रैकिंग करती है।
इस तकनीक से पुस्तकालय से पुस्तकों को इश्यू (निर्गत) कराने और वापस करने के लिए छात्रों को अब पुस्तकालय सहायक के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। वे पुस्तकों को सेल्फ चेक इन और चेक आउट मशीन की सहायता से ले व वापस कर सकते हैं।
माइलाफ्ट तकनीक से मोबाइल पर मिलेगी सुविधा
डिजिटल तकनीक युक्त यह बिहार का पहला विश्वविद्यालय है। इसके कुलपति डा.पीएस पांडेय ने कहा छात्रों को अब पुस्तकालय सहायक के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। वे सीधे सेल्फ से पुस्तकों को सेल्फ चेक इन व चेक आउट मशीन की सहायता से ले सकते हैं और वापस कर सकते हैं।
छात्रों को हर समय हर जगह पुस्तकालय उपलब्ध हो, इसके लिए माइलाफ्ट तकनीक शुरू की गई है। इसमें डिजिटल फार्म में पुस्तकें मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष डा. राकेश मणि शर्मा ने कहा इस तरह की अत्याधुनिक तकनीक ज्यादातर विदेशी विश्वविद्यालयों में ही उपलब्ध है। इससे पुस्तकालय के रखरखाव के खर्च में कमी आएगी और छात्रों को अधिक फायदा होगा।
विश्वविद्यालय में पांच लाख से अधिक पुस्तकें व दुनिया के सबसे बेहतरीन जर्नल्स का आनलाइन डाटाबेस उपलब्ध है। राज्य में ऐसी सुविधा व ऐसे शोध जर्नल कहीं और उपलब्ध नहीं हैं। कुलसचिव डा.मृत्युंजय कुमार ने कहा विश्वविद्यालय हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है।
आने वाले समय में इसकी पहचान दुनियाभर में स्थापित होगी। लाइब्रेरी को डिजिटल व अत्याधुनिक बनाने के लिए कुलपति और विश्वविद्यालय पुस्तकालय अध्यक्ष को बधाई।
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