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    वकीलों को 15 से 20 हजार रुपये स्टाइपेंड के लिए BCI ने की सिफारिश, शुरुआती दिनों में अच्छी कमाई न होने का दिया हवाला

    Updated: Thu, 17 Oct 2024 04:33 PM (IST)

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने जूनियर वकीलों को शुरुआती दिनों में होने वाली वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड देने की सिफारिश की है। सिफारिश के अनुसार शहरी क्षेत्रों से आने वाले जूनियर एडवोकेट्स को 20 हजार रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले जूनियर वकीलों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जाना चाहिए।

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    BCI Recommends Stipend for Junior Advocates, पूरी डिटेल यहां से करें प्राप्त (file photo)

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की ओर से जूनियर एडवोकेट के हितों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। बीसीआई की ओर से जूनियर वकीलों के लिए प्रति महीना 15 से 20 हजार रुपये स्टाइपेंड देने के लिए सिफारिश की गई है। बीसीआई की ओर से कहा गया है कि शुरुआत दौर में वकीलों को विभिन्न प्रकार की वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि उनके हितों का ध्यान रखते हुए उनकी कुछ मदद की जा सके। इसके के लिए बीसीआई की ओर से सर्कुलर जारी कर दिया गया है।

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    क्षेत्र के अनुसार तय किया गया स्टाइपेंड

    बीसीआई की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक शहरी क्षेत्रों से आने वाले जूनियर एडवोकेट्स को 20000 हजार रुपये प्रति माह स्टाइपेंड प्रदान किया जाये वहीं ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले जूनियर वकीलों को 15 हजार रुपये का मासिक स्टाइपेंड प्रदान किया जाएगा। यह स्टाइपेंड ज्वाइनिंग की तिथि से कम से कम तीन वर्ष तक दिया जाये ताकी इनको वित्तीय कठिनाइयों से लड़ने में मदद मिल सके। हालांकि BCI की ओर से कहा गया है कि दिशा-निर्देश को सभी के लिए अनिवार्य नहीं बना सकते हैं।

    इसके साथ ही BCI की ओर से कहा गया है कि "सीनियर वकीलों, वकीलों और फर्मों को अपनी क्षमता के अनुसार स्टाइपेंड दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया यह मानता है कि वित्तीय सीमाओं को अनुशासनहीनता या जिम्मेदारी की कमी के बराबर नहीं माना जाना चाहिए।"

    बीसीआई की ओर से यह भी कहा गया है कि मेट्रो सिटीज में वकीलों में पास बेहतर मौके होते हैं और साथ ही उनके क्लाइंट भी अच्छे होते हैं। इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में वकीलों के पास कम मौके होते हैं और साथ ही उनके पास कम पैसे देने वाले क्लाइंट्स होते हैं।

    (file photo)

    वरिष्ठ अधिवक्ताओं को भी दिया निर्देश

    बीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं को भी दिशा निर्देश दिया गया है। बीसीआई ने कहा कि सीनियर एडवोकेट्स और कानून फर्मों को वित्तीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही जूनियर वकीलों के मार्गदर्शन भी करना चाहिए ताकि वे जल्दी से आगे बढ़ सकें।

    रिकॉर्ड रखने को कहा

    बीसीआई ने स्टाइपेंड भुगतान और नियुक्ति के लिए शर्तों का सटीक रिकॉर्ड बनाये रखने का निर्देश भी दिया है और साथ ही कहा है कि राज्य बार काउंसिल में इसे वार्षिक रिपोर्ट में भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। बीसीआई ने जूनियर वकीलों की सहायता के भी निर्देश दिए हैं जिसमें कहा गया है कि अगर किसी जूनियर वकील को निर्धारित स्टाइपेंड नहीं मिलता है तो वे संबंधित राज्य बार काउंसिल में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

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