Amazing Idea: उन्नतिशील पद्मश्री किसान का कमाल, घर की छत पर मछली पालन के साथ उगा रहे सब्जी
Amazing idea उन्नतिशील पद्मश्री किसान सुल्तान ने अब नई तकनीक इजाद की है। अब आसानी से घर की छत मछली पालन के साथ-साथ सब्जी भी उगा रहे हैं। आर्गेनिक सब्जियां बीमारियों से भी बचाएंगी और आय भी अच्छी होगी।

तरावड़ी (करनाल), संवाद सहयोगी। मछली पालन में लगातार बेहतर करते आ रहे उन्नतिशील किसान सुल्तान सिंह ने नई तकनीक इजाद की है। इससे न केवल किसानों की आय दोगुनी होगी बल्कि आम लोग भी अपने घरों की छत पर आर्गेनिक सब्जी उगाकर बीमारियों से बच सकेगें। तकनीक विकसित करने में पद्मश्री सुल्तान सिंह को पांच साल लग गए लेकिन अब सुल्तान की यह तकनीक देश के लाखों मछली पालक किसानों के लिए वरदान साबित होगी। दावा है कि इस तकनीक से किसान और आम लोग टमाटर, लाल, पीली हरी शिमला मिर्च, ब्रोकली, स्ट्रोबेरी, प्याज, तोरी, घीया और खीरा और हरी एवं लाल मिर्च का उत्पादन कर सकेगें। ये सब्जियां पूरी तरह जैविक होंगी।
इस तरह होगा उत्पादन
इस तकनीक के तहत एक हिस्से में मछलियां पलेंगी जबकि दूसरे हिस्से में पौधे विकसित होंगे। मछली का मल-मूत्र सब्जियों के लिए खाद बनेगा और पौधों में बार-बार पानी नहीं देना पड़ेगा। तकनीक में खास बात यह है कि किसान के खेतों में तीन महीने बाद आने वाली सब्जियों की फसल केवल 45 दिनों में हो जाएगी। मछली पालक किसान एक एकड़ में 64 क्विंटल सब्जियां पैदा कर सकेगा। सब्जियां पैदा करने पर होने वाला खर्च भी एक बार ही करना होगा। इससे मजदूरी बचेगी। खाद व दवाई भी नहीं डालनी पड़ेगी। किसान के खेत में पलने वाली मछली का आक्सीजन लेवल बढ़ेगा और मछली तंग भी नहीं होगी। मछली का मल मूत्र इन सब्जियों के लिए खाद बनेगा और पौधों में बार-बार पानी नहीं देना पड़ेगा। जैविक सब्जी से आमदनी ज्यादा होगी क्योंकि यह पूरी तरह शुद्ध होगी।
कनाडा में देखी थी तकनीक
पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित नीलोखेड़ी के किसान सुल्तान सिंह ने बताया कि यह तकनीक उन्होंने कनाडा में देखी थी। तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह इसे भारत में जरूर इजाद करेंगे। उन्होंने बताया कि इस तकनीक पर उनके बेटे नीरज चौधरी ने काफी रिसर्च की है। अब प्रयोग सफल हो गया है। अगली बार वह चार हेक्टेयर भूमि पर इस तकनीक को लाने वाले है। उन्होंने बताया कि आम व्यक्ति भी इस तकनीक को अपने घर की छत पर अपनाकर जैविक सब्जियां उगा सकता है। इसके लिए बाकायदा वह आम लोगों को भी ट्रेनिंग देने को तैयार हैं।

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