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अंतरराष्ट्रीय यज्ञ दिवस पर धनबाद के 3100 घरों में हुआ यज्ञ, आर्य समाज ने घर-घर यज्ञ, हर-घर यज्ञ का किया आयोजन

बुधवार को अंतरराष्ट्रीय यज्ञ दिवस के अवसर पर 50-100 नहीं धनबाद के 3100 से अधिक घरों में एक साथ यज्ञ हुआ। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से सुबह सात बजे एक साथ एक ही समय पर लोगों ने अपने-अपने घरों आर्य समाज मंदिर गुरुकुल में यज्ञ किया।

By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiPublished: Wed, 03 May 2023 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 03 May 2023 05:13 PM (IST)
जड़ी-बूटी से बनी हवन सामग्री और देसी गो घी से यज्ञ में डाली आहुति।

जागरण संवाददाता, धनबाद: बुधवार को अंतरराष्ट्रीय यज्ञ दिवस के अवसर पर 50-100 नहीं, धनबाद के 3100 से अधिक घरों में एक साथ यज्ञ हुआ। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से सुबह सात बजे एक साथ एक ही समय पर लोगों ने अपने-अपने घरों, आर्य समाज मंदिर, गुरुकुल में यज्ञ किया।

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राजार्य सभा के प्रदेश अध्यक्ष हरहर आर्य ने बताया कि यज्ञ का आयोजन किसी पंडाल मैदान में न होकर घरों में किया गया। इसका उद्देश्य यही था कि यज्ञ के जरिए हर घर का माहौल सात्विक हो। लोग शांति-सफलता की अनुभूति करें। मानव समाज की भलाई के लिए विश्व के लिए सभी ने एक साथ एक समय अपने-अपने घर एवं कार्यस्थल पर यज्ञ किया। जड़ी-बूटी से बनी हवन सामग्री और देसी गो घी से यज्ञ में आहुति डाली गई।

सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा की देखरेख में सम्पन्न हुआ कार्यक्रम

उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से इसकी तैयारी की जा रही थी। लोगों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूक भी किया गया। धनबाद जिले में 3100 परिवार के घरों में वैदिक यज्ञ किया गया। घर-घर यज्ञ, हर घर यज्ञ का आयोजन आर्य समाज की सर्वोच्च संस्था सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा की देखरेख में संपन्न हुआ।

साधारण रोगों और महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय

राजार्य सभा के प्रदेश अध्यक्ष हरहर आर्या कहते हैं कि यज्ञ के माध्यम से शक्तिशाली तत्त्व वायुमंडल में फैलते हैं। इससे हवा में तैर रहे असंख्य कीटाणु सहज ही नष्ट हो जाते हैं। यज्ञ दवाइयों से कहीं अधिक कारगर उपाय है। साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है।

यज्ञ की वायु सर्वत्र पहुंचती है। सभी प्राणियों की सुरक्षा करती है। जहां यज्ञ होते हैं वो भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अंदर धारण कर लेता है। प्राचीनकाल में तीर्थ वहीं बने हैं जहां बड़े-बड़े यज्ञ हुए थे। जिन घरों, स्थान में यज्ञ होते हैं, वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है।


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