12वीं के बाद कामर्स में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध
शोरूम बड़े-बड़े स्टोर बीपीओ केपीओ या फैक्ट्रीज या कारपोरेट कंपनियों आदि में हर जगह एकाउंटेंसी प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है। अगर आप किसी भी स्ट्रीम से 12वीं या ग्रेजुएशन हैं तो छह माह से लेकर एक साल की अवधि का कंप्यूटर एकाउंटेंसी कोर्स करके इस फील्ड में आ सकते हैं।
धीरेंद्र पाठक। पिछले कई वर्षों से कामर्स हाट बना हुआ है। छात्र नामी विश्वविद्यालयों/कालेजों में कामर्स से जुड़े कोर्सों में एडमिशन पाने के लिए जद्दोजहद करते रहे हैं। दरअसल, कामर्स में विशेषज्ञता हासिल करने वाले युवाओं के लिए सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र में जाब के अवसर कहीं ज्यादा होते हैं, इसलिए युवा इस विषय में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद से सीए, एकाउंटेंसी/कंप्यूटर एकाउंटेसी जैसे प्रोफेशनल्स की मांग पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
12वीं के बाद कामर्स में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए इन दिनों कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे कि बैचलर आफ कामर्स (बीकाम), बैचलर आफ इकोनामिक्स, बैचलर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए), बैचलर आफ ला (एलएलबी), चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए), कंपनी सेक्रेटरी (सीएस), कास्ट ऐंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट (सीएमए) या फिर एकाउंटेंसी और कंप्यूटर एकाउंटेंसी। ये सभी ऐसे कोर्सेज हैं, जिनमें दूसरे कोर्सेज की तुलना में तुरंत नौकरी मिलने के अवसर कहीं ज्यादा होते हैं। इसके अलावा, इसमें अच्छी सैलरी और करियर ग्रोथ भी मिलता है।
चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) : कामर्स की डिमांड बढ़ने के पीछे एक वजह यह है कि पिछले कुछ सालों से बड़ी संख्या में युवा चार्टर्ड एकाउंटेंसी प्रोफेशनल में आ रहे हैं। दूसरे प्रोफेशनल्स कोर्सेज की तुलना में इस कोर्स को करने में पैसे भी कम लगते हैं और नौकरी के स्कोप कहीं ज्यादा होते हैं। खासकर, जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद इनकी डिमांड और ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि सभी छोटे-बड़े कारोबारियों को अपना लेजर और दूसरे लेखा-जोखा मेंटेंन रखने के लिए इनकी जरूरत पड़ रही है। द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट आफ इंडिया (आइसीएआइ) यह कोर्स कराता है। सीए करने के लिए आपको तीन एग्जाम क्लियर करने होते हैं। शुरुआत कामन प्रोफिशिएंसी टेस्ट से होती है, जिसके बाद आइपीसीसी एवं फाइनल ईयर पूरा करना होता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद आप किसी एकाउंटिंग फर्म या कंपनी में सीए के रूप में काम शुरू कर सकते हैं। कुछ साल के अनुभव के बाद सीए के रूप में स्वतंत्र रूप से भी कार्य करके अच्छा पैसा सकते हैं।
कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) : चार्टर्ड एकाउंटेंसी की तरह ही इस प्रोफेशन की कारपोरेट कंपनियों में काफी पूछ है। कंपनी सेक्रेटरी बनने के लिए भी तीन स्तर की परीक्षा पास करनी होती है। सीएस का यह कोर्स देश की एकमात्र संस्था द इंस्टीटयूट आफ कंपनी सेक्रेटरीज आफ इंडिया कराती है। 12वीं कामर्स के बाद कंपनी सेक्रेटरी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। ग्रेजुएट उम्मीदवारों द्वारा यह कोर्स करने पर आठ महीने के फाउंडेशन कोर्स से छूट होती है। उन्हें सीधे दूसरे चरण के एग्जीक्यूटिव कोर्स में एडमिशन मिल जाता है। यह कोर्स करने के बाद किसी अनुभवी कंपनी सेक्रेटरी के साथ ट्रेनिंग करना भी अनिवार्य होता है। प्रोफेशनल कोर्स और ट्रेनिंग के बाद आप आइसीएसआइ के एसोसिएट सदस्य बन जाते हैं।
कास्ट ऐंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट: अब 12वीं पास छात्र भी फाउंडेशन कोर्स के जरिये यह कोर्स कर सकते हैं। इंस्टीट्यूट आफ कास्ट एकाउंटेंट्स आफ इंडिया इसका सर्टिफिकेशन प्रदान करता है। यह कोर्स करने वाले प्रोफेशनल बड़ी-बड़ी कंपनियों में उनके लिए बजट बनाने से लेकर कास्ट मैनेजमेंट, परफार्मेंस इवैलुएशन एवं एसेट मैनेजमेंट जैसे कार्य देखते हैं। इसके अलावा, फाइनेंशियल प्लानिंग एवं स्ट्रेटेजी बनाने में भी सहयोग देते हैं।
आडिटर के रूप में: आडिटर के रूप में सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में नौकरी की अच्छी संभावनाएं होती हैं। आप एसएससी की ग्रेजुएट/सीनियर सेकंडरी स्तरीय परीक्षा पास करके मंत्रालयों से लेकर तमाम सरकारी विभागों में लेखा अधिकारी, सहायक लेखा अधिकारी, आडिटर या फोरेंसिक आडिटर के पदों पर सरकारी नौकरी पा सकते हैं। कंपनियों को भी अपने बैलेंस बुक और वित्तीय लेन-देन की फाइनल जांच कराने के लिए नियमित रूप से आडिटर्स की जरूरत होती है। जिन छात्रों की एकाउंटिंग में रुचि है, वे 12वीं के बाद बैचलर आफ कामर्स (बैंकिंग ऐंड इंश्योरेंस) का कोर्स करके इस फील्ड में आ सकते हैं। आजकल इंश्योरेंस कंपनियों, बैंकिंग और फाइनेंशियल फर्म्स में इन प्रोफेशनल्स के लिए अच्छी संभावनाएं हैं।
एकाउंटेंट/जीएसटी स्पेशलिस्ट: यह हमेशा से एक सदाबहार पेशा रहा है। ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए जीएसटी लागू होने के बाद कमाई के मौके और बढ़ गए हैं, जो कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और जीएसटी को ध्यान में रखकर कारोबार करने में मदद व सलाह देते हैं। 12वीं कामर्स के छात्र ग्रेजुएशन स्तर पर बैचलर आफ कामर्स इन एकाउंटिंग ऐंड फाइनेंस कोर्स करके इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं। ऐसे प्रोफेशनल फाइनेंशियल एकाउंटिंग, मैनेजमेंट एकाउंटिंग, आडिटिंग एवं टैक्स एकाउंटिंग जैसे विभिन्न डोमेन में अपनी सेवाएं देते हैं। एकाउंटिंग में डिग्री कर लेने के बाद जीएसटी में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करके जीएसटी एक्सपर्ट भी बन सकते हैं।
बैंकिंग सेक्टर: कामर्स बैकग्राउंड के साथ बैंकिंग सेक्टर में करियर को आगे बढ़ाना आसान हो जाता है। सरकारी बैंकों के लिए जहां आइबीपीएस और एसबीआइ द्वारा क्लर्क, पीओ और अन्य पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है, वहीं निजी बैंकों में भी कामर्स ग्रेजुएट्स के लिए एंट्री लेवल पर नौकरी पाना आसान हो जाता है। यदि फाइनेंस, मार्केटिंग में एमबीए भी कर लेते हैं, तो निजी क्षेत्रों के बैंकों में सीधे असिस्टेंट मैनेजर/मैनेजर जैसे पद पा सकते हैं।
कंप्यूटर एकाउंटेंसी की बढ़ रही डिमांड: एकाउंटिंग से जुड़े कार्य कंप्यूटर और साफ्टवेयर की मदद से होने के कारण कंप्यूटर एकाउंटिंग का फील्ड नौकरी पाने के लिए सदाबहार है। ऐसे में किसी भी आफिस में आय-व्यय का लेखा-जोखा तैयार करना हो, रिटर्न तैयार कर उसे आनलाइन दाखिल करना हो या डाटा आपरेशन से जुड़े कोई और कार्य हों, कंप्यूटर एकाउंटसी के प्रोफेशनल्स की मदद से ये सभी काम बड़ी आसानी से हो जाते हैं। आइसीएफई, दिल्ली के डायरेक्टर राजेश संथानी के अनुसार, बिना कामर्स की पढ़ाई किये ही बारहवीं के बाद ही टैली, सैप जैसे साफ्टवेयर सीखकर आसानी से नौकरी हासिल किया जा सकता है। कंप्यूटर एकाउंटेंसी के तहत जीएसटी रिटर्न, बैंकिंग, टैक्स रिटर्न आदि फाइल करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
प्रमुख संस्थान
-श्रीराम कालेज आफ कामर्स, दिल्ली
www.srcc.edu
-लोयोला कालेज, चेन्नई
www.loyolacollege.edu
-आइसीएफई, दिल्ली
www.icfeglobal.com
-आइसीए, दिल्ली
www.icajobguarantee.com/pusa-road