Move to Jagran APP

Success Mantra: 'कुटुंब' एक ऐसा कम्युनिटी ऐप जो एडमिन को लाभ भी देता है, जानें- वाट्सऐप से कैसे है अलग

Success Mantra बेंगलुरू स्थिति कुटुंब ऐप के संस्थापक अभिषेक केजरीवाल का मानना है कि किसी भी स्टार्टअप को उसका आइडिया कामयाब बनाता है। अभिषेक कारोबारी पृष्ठभूमि से हैं और नए-नए बिजनेस आइडिया की सोच उन्हें दादा-परदादा से विरासत में मिली है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 04:19 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 04:19 PM (IST)
Success Mantra: 'कुटुंब' एक ऐसा कम्युनिटी ऐप जो एडमिन को लाभ भी देता है, जानें- वाट्सऐप से कैसे है अलग
Success Mantra: अभिषेक के अनुसार वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव हो।

अंशु सिंह। फेसबुक, स्नैपचैट, वाट्सएप की मौजूदगी के बीच अभिषेक केजरीवाल ने कुटुंब नाम से एक ऐसा एप्लीकेशन तैयार किया है, जिसके माध्यम से कोई भी अपने समुदाय के लोगों से या समान विचारधारा वाले लोगों के साथ जुड़ सकता है। टाइगर ग्लोबल, सिकोआ, बेटर कैपिटल एवं व्हाइट बोर्ड कैपिटल ने सीड एवं सीरीज ए फंडिंग के तहत इसमें करीब 2.8 करोड़ डालर का निवेश किया है। बेंगलुरु स्थित कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ अभिषेक का कहना है कि काम तो सभी करते हैं। लेकिन वह कुछ ऐसा अर्थपूर्ण करना चाहते थे, जिससे समाज में एक सकारात्मक बदलाव आ सके। इनके लिए सफलता का मतलब भी है 'एक संतुष्ट जीवन जीना'। वह कहते हैं, ‘टीम मेरी ताकत है और सभी एक विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं।'

loksabha election banner

2020 में लांच किया था कुटुंब नाम से स्टार्टअप

राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले अभिषेक के परिवार की कारोबारी पृष्ठभूमि रही है। इनके दादा-परदादा हमेशा नये-नये बिजनेस आइडियाज पर काम करने के अवसर तलाशते रहते थे। इसी क्रम में दादा असम और पिता कोलकाता शिफ्ट हो गए। अभिषेक का जन्म कोलकाता में हुआ। उन्होंने 2013 में आइआइटी बांबे से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद कुछ कंपनियों में नौकरी करने के अलावा एक-दो स्टार्टअप भी शुरू किए। 2020 में उन्होंने ‘कुटुंब’ नाम से एक स्टार्टअप लांच किया, जो आज देश के शीर्ष कम्युनिटी प्लेटफार्म में से एक है। इससे करीब 4 करोड़ लोग जुड़े हैं। अभिषेक बताते हैं, ‘कुटुंब के पीछे दो प्रकार के विजन थे। मैंने महसूस किया था, वाट्सएप पर बड़े ग्रुप का बने रहना मुश्किल होता है। बड़े वाट्सएप ग्रुप के चैट अमूमन स्पैम बन जाते हैं। हर कोई ग्रुप को म्यूट कर देता है। दूसरा, ग्रुप पर महीने में 50 घंटे से अधिक देने के बावजूद उसके एडमिन को किसी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं होता है। इन्हीं दो बातों को ध्यान में रखते हुए कुटुंब की शुरुआत हुई। यह एक ‘फोरम फर्स्ट कम्युनिकेशन प्लेटफार्म’ है, जो एडमिन को ग्रुप मैनेज करने, उसे आगे बढ़ाने एवं कई तरीकों से उसे मोनिटाइज करने में मदद करता है।'

शून्य से शुरुआत

अभिषेक को समस्याओं का हल निकालने में मजा आता है। इससे उन्हें एक अलग प्रकार की संतुष्टि का अनुभव होता है। वह कहते हैं, ‘2012 में मैंने ‘फिनिक्स क्लासरूम’ नाम से पहला स्टार्टअप शुरू किया था। इसकी मदद से जेईई के अभ्यर्थी अपनी दुविधाओं, सवालों के उत्‍तर पा सकते थे। वहीं, कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद ‘जाइलून’ नाम से हेयर एवं ब्यूटी स्टार्टअप शुरू किया। वह एक तरह से सलून का ‘ओयो’ था। हम स्थानीय सलून में आधुनिक सुविधाओं के साथ वहां के एंबियंस को सुधारकर उनके बिजनेस को बढ़ाने में मदद करते थे। लेकिन इसमें कई प्रकार की चुनौतियां आईं और मुझे एक बड़े सलून चेन को टेक्नोलाजी बेचनी पड़ी। मैंने वह बिजनेस छोड़ दिया और ‘गोमेड’ नामक कंपनी ज्वाइन कर ली। वहां इंडोनेशिया के लोगों के लिए डाक्टरों की टेली-कंसल्टेशन सर्विस एवं मेडिसिन डिलिवरी सर्विस शुरू की। बिजनेस काफी तेजी से बढ़ा। वहीं, मैंने देखा कि एक स्टार्टअप कैसे शून्य से शुरू होकर आगे बढ़ सकता है।' 2017 का समय था, जब भारत जियो के चमत्कार का गवाह बना। अभिषेक ने गोमेड छोड़ कंटेंट क्रिएटिंग प्लेटफार्म ‘प्रतिलिपि’ ज्वाइन कर लिया। वह बताते हैं, ‘वहां भी मुझे शून्य से बढ़ने का बेहतरीन मौका मिला। तब प्लेटफार्म पर महीने के दस लाख एक्टिव यूजर्स थे, जिसे हमने 1.5 करोड़ तक पहुंचा दिया। इस प्रकार, अलग-अलग कंपनियों एवं स्टार्टअप में काम के अनुभव बटोरते हुए मैं उद्यमिता के अपने सफर पर आगे बढ़ता गया। इससे बहुत कुछ सीखने को मिला।'

आइडिया करते रहें एक्सप्लोर

अभिषेक की मानें, तो किसी को मालूम नहीं होता है कि उनका आइडिया क्लिक करेगा या नहीं। इसलिए एक उद्यमी को लगातार नये आइडियाज पर काम करना होता है। वह कहते हैं, ‘मैंने कई मामले देखे हैं जहां सफल उद्यमियों ने नया वेंचर शुरू किया। लेकिन उसमें वे नाकाम हो गए। कह सकते हैं कि उद्यमिता के सफर में नाकामी एवं सेटबैक साथ-साथ चलते हैं। वैसे में अच्छा यही रहता है कि असफलता के बारे में अधिक सोचने में अपना समय बर्बाद करने की जगह नये आइडिया पर काम करें। हमने चुनौतियों के बीच अपने विश्वास को डगमगाने नहीं दिया।‘ कुटुंब की टीम युवा है। बेशक यहां लोगों के पास कार्य का अधिक अनुभव नहीं है। लेकिन टीम के प्रत्येक सदस्य को अपनी जिम्मेदारी बखूबी पता है। यही इनकी शक्ति भी है। वेंचर आर्गेनिक तरीके से आगे बढ़ रहा है। अभिषेक ज्यादा से ज्यादा ग्रुप एडमिन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं, जो अनेक चैनलों के माध्यम से देशभर में बड़े कम्युनिटीज एवं एसोसिएशंस चला रहे हैं। दरअसल, वे कुटुंब को विश्व का सबसे बड़ा कम्युनिटी प्लेटफार्म बनाना चाहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.