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    जानिए क्या होता है One Nation, One Election, क्या होगा इससे फायदा, पढ़िए इससे जुड़ी सब डिटेल

    Updated: Tue, 17 Dec 2024 01:54 PM (IST)

    वन नेशन वन इलेक्शन मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। हालांकि कुछ राजनैतिक पार्टियां इसका विरोध भी कर रही हैं। हाल ही में पटना में राजद पार्टी ने इस बिल के खिलाफ अपना मोर्चा खोला। पार्टी का कहना है कि इस बिल से ज्यादा जरूरी मुद्दों पर सरकार को ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बता दें कि आज यह बिल संसद में पेश होने जा रहा है।

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    अर्जुनराम मेघवाल लोकसभा में पेश करेंगे वन नेशन वन इलेक्शन बिल

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। लंबी कवायद के बाद एक देश, एक चुनाव विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। अब आज 17 दिसंबर, 2024 को इस बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पेश करने जा रहे हैं। इसी बीच आइए समझते हैं कि क्या है एक देश और एक चुनाव बिल और संसद में इसके पास होने के क्या फायदे हैं। आइए डालते हैं इस पर एक नजर।

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    वन नेशन वन इलेक्शन का आशय यह है कि एक समय पर पूरे देश भर में एक साथ लोकसभा और विधान सभाव चुनाव संपन्न करवाए जाए। बता दें कि अभी तक देश भर में दोनों चुनाव अलग-अलग समय पर कराए जाते हैं, लेकिन अब मोदी सरकार इसे एक ही समय पर कराने के लिए कवायद कर रही है। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी, इसमें 8 सदस्य थे। कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। इसी कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। वहीं, अब इस बिल को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई है, जिसके बाद अब इसे संसद में पेश किया जाएगा।

    One Nation, One Election: क्या होगा इससे फायदा

    संसद में अगर सभी राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिलता है तो फिर इसके पास होने के बाद एक समय पर चुनाव कराए जाएंगे। इससे अलग-अलग चरणों में होने वाले चुनाव पर खर्च होने वाले पैसों की बचत होगी। साथ ही मैनपॉवर का भी सही इस्तेमाल हो सकेगा।

    One Nation, One Election:  कमेटी में थे आठ सदस्य

    एक देश, एक चुनावबिल के लिए बनाई गई कमेटी में आठ सदस्य थे। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, हरीश साल्वे सीनियर एडवोकेट, गृह मंत्री अमित शाह, अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस, गुलाम नबी आजाद सहित तीन अफसर शामिल थे। आठ सदस्यों की इसी कमेटी ने इस बिल के बारे में अपने सुझाव भी दिए थे। बता दें कि इसके अलावा, कई राजनैतिक पार्टियों ने इस चुनाव का समर्थन किया था।

    इस साल में एक साथ हो चुके हैं लोकसभा और विधान सभा के चुनाव

    लोकसभा और विधानसभा चुनाव साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ हो चुके हैं। हालांकि, इसकेबाद यह परंपरा कायम नहीं रह सकी। वहीं, अब एक देश और एक चुनाव बिल पर चर्चा की जा रही है। इसे अगले सप्ताह संसद में लाने की तैयारी है।

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