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बनना चाहते हैं सफल उद्यमी तो इन बातों का रखें ध्यान, जरूर मिलेगी कामयाबी

स्मार्टकाइन के सीईओ एवं सह संस्थापक रोहित गर्ग ने अपना करियर मार्गन एंड स्टेनली में एक आइटी एसोसिएट के रूप में शुरू किया था। वह डायचे बैंक में एक वरिष्ठ विश्लेषक के रूप में भी काम कर चुके हैं।

By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyPublished: Sat, 25 Feb 2023 04:42 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2023 04:42 PM (IST)
बनना चाहते हैं सफल उद्यमी तो इन बातों का रखें ध्यान, जरूर मिलेगी कामयाबी
कोटा( राजस्थान) के रहने वाले रोहित गर्ग उद्यमिता में आने से पहले नौकरी में थे।

धीरेंद्र पाठक । कोटा( राजस्थान) के रहने वाले रोहित गर्ग उद्यमिता में आने से पहले नौकरी में थे। उनका फिनटेक प्लेटफार्म स्मार्टकाइन कम सुविधाप्राप्त लोगों को वित्तीय मदद पहुंचाता है। वह कहते हैं कि मेरे लिए सफलता का मतलब एक ऐसे टिकाऊ बिजनेस का निर्माण करना है, जिससे लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव आ सके। वही उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। उनकी सेवाओं से लाभान्वित होने वाले हजारों ग्राहकों की कहानियां उन्हें और उनकी टीम को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

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स्मार्टकाइन के सीईओ एवं सह संस्थापक रोहित गर्ग ने अपना करियर मार्गन एंड स्टेनली में एक आइटी एसोसिएट के रूप में शुरू किया था। वह डायचे बैंक में एक वरिष्ठ विश्लेषक के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से कंप्यूटर विज्ञान में बीटेक तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। उन्होंने बचपन से ही परिवार की आर्थिक तंगी को बहुत करीब से देखा था, अनुभव किया था। इस स्थिति को बदलने की छटपटाहट उनमें हमेशा से थी। इसलिए कुछ वर्षों तक नौकरी करने के बाद उन्हें लगा कि इस दिशा में कुछ काम करने की जरूरत है, क्योंकि उस समय इस मध्यम वर्ग के वित्तीय समावेशन को लेकर बहुत ज्यादा लोग मार्केट में नहीं थे। इसी प्रेरणा के साथ उन्होंने स्मार्टकाइन की स्थापना की। इसकी यूएसपी यह है कि यह दूसरी फिनटेक कंपनियों की तरह सिर्फ वेतनभोगी वर्ग पर ही फोकस नहीं करती है।

इसके ग्राहकों में युवा मिलेनियल्स जो अपने करियर के शुरुआती दौर में हैं या उभरते छोटे फर्म और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोग हैं या वे जो माइक्रो-उद्यमी हैं, जो छोटे व्यवसाय और दुकानें चला रहे हैं, वे सब इसके ग्राहक हैं। कुल मिलाकर, कंपनी हर महीने 10 हजार से 50 हजार रुपये की आयसीमा वालों को ध्यान में रखकर क्रेडिट सुविधा उपलब्ध कराती है। अब तक यह फिनटेक कंपनी देश के 700 से अधिक जिलों में सेवा प्रदान कर चुकी है, जिनमें से 75 प्रतिशत से अधिक टियर टू या इससे नीचे के शहर हैं। रोहित कहते हैं कि हम अपने इस प्लेटफार्म के जरिये कम सुविधा प्राप्त लोगों की क्रेडिट प्रोफाइल बनाने में मदद करने के अलावा उनके औपचारिक क्रेडिट की राह आसान बना रहे हैं, जिससे वे भी मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें।

उद्यमिता आई मुश्किलें : रोहित गर्ग के अनुसार, अपना उद्यम स्थापित करते समय शुरुआत में आपको कई तरह की चुनौतियों या बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। उसके लिए आपको पहले से तैयार रहना होता है। चूंकि हमारी शुरुआत से ही यह कोशिश थी कि तकनीक संचालित अपने माडल के माध्यम से कैसे कम सेवा प्राप्त करने वाले या इस तरह की सेवाओं से वंचित लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाई जा सकें। ऐसे में चुनौतियां तो आनी थीं। पहली चुनौती तो अपने भागीदारों को यह समझाने की थी कि हम उन्हें तैयार कैसे करें। क्योंकि हम जिस तरह से अर्थशास्त्र को फिर से परिभाषित करने जा रहे थे और जिस वर्ग को सेवा देने जा रहे थे, उसको लेकर यह धारणा थी कि इस वर्ग की कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है और ना ही भुगतान चुकता करने की कोई प्रामाणिक क्षमता रखते हैं। इस तरह का पहले से कोई ;उदाहरण भी नहीं था।

एक धारणा यह भी थी कि जिस वर्ग को हम सेवा देने की सोच रहे थे, उसे बिजनेस के स्थायित्व के लिए उपयुक्त भी नहीं माना जाता था, क्योंकि पारंपरिक बैंकिंग संस्थान केवल गिने चुने को ही ऋण देने पर ध्यान देते थे। कंपनी ने टीम संरचना का पूरा ध्यान रखा और उन्हीं लोगों को रखा जो संबंधित भूमिका के लिए फिट थे। इसके साथ हमने बिजनेस की जरूरत के अनुसार लगातार बदलावों पर ध्यान दिया। अलग-अलग माडल व्यवस्था अपनाया। यही वजह है कि आज कम सुविधाप्राप्त लोगों के बीच हमारे उत्पादों की आज बड़े पैमाने पर मांग है। कुल मिलाकर मायने यह रखता है कि आप किसी अवसर को संभावना में कैसे बदलते हैं, कैसे आप दूसरों की मदद में भागीदार बन सकते हैं या किसी खास वर्ग को लेकर बनी धारणाओं को बदल सकते हैं।

नवोदित उद्यमियों को सुझाव : भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम वर्तमान में तेजी से आगे बढ़ रहा है। निवेशक आगे बढ़कर इसमें पैसे लगा रहे हैं। मीडिया में भी इसकी खूब चर्चाएं हो रही हैं। इसलिए निवेशक या कर्मचारी भी बड़ी कंपनियों के बजाय ऐसे स्टार्टअप्स को चुन रहे हैं, जो नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हो रहा है। घरेलू मांग भी रफ्तार पकड़ रही है। स्मार्टफोन की पहुंच बढ़ने से ई-कामर्स की पैठ टियर टू या टियर थ्री शहरों में जिस तेजी से हो रही है, वह यह दर्शाता है कि भारतीय बाजार में कैसे नवोदित उद्यमियों के लिए भी उचित स्थितियां बन रही हैं। कुल मिलाकर, आशय यही है कि भारत में उद्यमी बनने का यह अच्छा समय है। हालांकि एक बात का ध्यान रखें कि व्यवसाय निर्माण एक दीर्घकालिक खेल है। इसलिए यह सोच कर आएं कि आपका बिजनेस माडल लोगों की समस्या से किसी न किसी तरह से जुड़ा हुआ हो, जिसका समाधान आपके बिजनेस से होता हो। अगर इस सोच के साथ आएंगे, तो निश्चित रूप से एक सफल व्यवसाय के निर्माण में कामयाब होंगे।

रोहित गर्ग

सीईओ एवं सह-संस्थापक

स्मार्टकाइन


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