फुलवारीशरीफ में इस्लामिक शासन के लिए चंदा जमा कर रहे थे प्रतिबंधित संगठन PFI के लोग, NIA ने दाखिल की चार्जशीट
पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) से जुड़े लोग फुलवारीशरीफ में आतंकी साजिश रच रहे थे। इनका मकसद भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना था जिसके लिए वे हिंसा के जरिए देश की अखंडता को तोड़ने की साजिश कर रहे थे।
पटना, राज्य ब्यूरो: पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) से जुड़े लोग फुलवारीशरीफ में आतंकी साजिश रच रहे थे। इनका मकसद भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना था, जिसके लिए वे हिंसा के जरिए देश की अखंडता को तोड़ने की साजिश कर रहे थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की जांच में यह बातें सामने आई हैं। शनिवार को एनआइए ने पटना की विशेष अदालत में केस से जुड़ी चार्जशीट सौंप दी है।
फुलवारीशरीफ में पीएफआइ के आतंकी माड्यूल के खुलासे के बाद गिरफ्तार किए गए अतहर परवेज, मो जलालुद्दीन खान, अधिवक्ता नुरूद्दीन जंगी और अरमान मलिक उर्फ मो. इम्तियाज अनवर के विरुद्ध विस्तृत आरोप-पत्र समर्पित किया गया है। आरोप पत्र आइपीसी की धारा 121, 121 (ए), 122, 153 (ए), 153 (बी) और यूएपी की धारा 13, 17, 18, 18 (ए), 18 (बी) और 20 के तहत दाखिल किया गया है।
नए सदस्यों की भर्ती कर दिया जाता था प्रशिक्षण
एनआइए की जांच से पता चला कि आतंक और हिंसा की घटना को अंजाम देने के इरादे से अभियुक्तों ने पटना के फुलवारीशरीफ के अहमद पैलेस में किराये का मकान लिया था। यहां देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए यहां प्रशिक्षण और बैठकें आयोजित की जाती थीं। विदेशों से जुटाए फंड के जरिए यह नए सदस्यों की भर्ती करते थे और उन्हें प्रशिक्षण देकर देश विरोधी गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता था। इनका मकसद आतंक का माहौल पैदा कर देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करना था।
22 जुलाई को संभाली थी एनआइए ने कमान
पिछले साल जुलाई में फुलवारीशरीफ में पीएफआइ के देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का पर्दाफाश हुआ था। इसके बाद 12 जुलाई को फुलवारीशरीफ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। बाद में मामले की गंभीरता को देखते हुए एनआइए ने 22 जुलाई को नए सिरे से प्राथमिकी दर्ज कर जांच की कमान संभाली। इस मामले के बाद बिहार समेत देश भर में कई राज्यों में पीएफआइ से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की गई।
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