शादियों में आज भी बरकारार है पारंपरिक जायकों की बादशाहत
शादी के समारोह में भोज की परंपरा इसलिए भी अहम है क्योंकि इस समारोह के बाद भी यहां के सुस्वाद कई दिन तक घरों में चर्चा होती है। शायद यही वजह है कि खाने ...और पढ़ें

शादी का खाना ऐसा हो जो लोग घर जाने के बाद भी चटकारे लेकर बातें करें। ऐसा मैन्यू हो जो सबसे मुख्तलिफ हो या उसका थीम भी दूसरों से जुदा हो। यह कहना है भारत अग्रवाल का जो तीन सालों से कैर्टंरग का काम कर रहे हैं। वे अलहदा थीम और विदेशी जायकों के तड़के के साथ अपना शाही चांदनी चौक का जायका परोस रहे हैं। यह फार्मूला भी हिट है। चांदनी चौक के चाट, कचालू, पूरी सब्जी, नान, दाल मखनी, मिक्स वेज, मूंग दाल के हलवे के साथ नाइट्रोजन आइसक्रीम, पान, इटालियन पिजा, बर्गर, मैक्सीकन सलाद, नान की 30 वैरायटी, डबल रोटी, गार्लिक ब्रेड, हलवे में फलों के सुस्वाद वाले जायके शामिल हैं। कुछ जायकों में देशी विदेशी जायकों का मजेदार काकटेल भी चखने को मिल रहा है।

इन दिनों शादियों में दूसरे प्रांतों के खाने को भी खूब तवज्जो दी जा रही है मसलन मुरादाबादी चटपटी दाल, पंजाबी साग, बाजरे की रोटी, इडली, उतपम, आलू बोंडा, मुंबई का वड़ा पाव, पूरन पोली जैसी लजीज व्यंजन शादियों में खूब पसंद भी किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि इन्हें परोसने के लिए दोने, केले के पत्ते, पत्तल, कुल्हड़ का ही इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
आज भी कायम है बावर्ची का राज
चांदनी चौक में हर आयोजन के लिए खास स्थान चिंहित है, उसी में से खास मौकों के लिए भोज की तैयारी करने वाले महाराज, बावर्ची की गलियां भी हैं जहां पुराने तरीके से आज भी खाना पकाया जाता है। कूचा पाती राम नाम की गली में महाराज का राज आज भी है वहीं, मुगल जायकों के मुरीदों के लिए भी रौधग्राम गली है जहां आज भी कई बावर्चियों की दुकान हैं। महाराज सुरेश बताते हैं कि वरमाला, फेरों से पहले हल्दी, टीका, मेहंदी, गीत-सोहर कई आयोजन हुआ करते थे जिसमें महाराज बुलाए जाते थे। अब एक दो दिन में ही शादी निपटा ली जाती है। जो बड़े लोग हैं वे तो अब कैटरिंग करवाते हैं। इन गलियों में पहले जैसी रौनक नहीं है। पहले खाना बनाने के काम में पूरा परिवार जुटता था। मटर छीलना, आलू काटना, चावल साफ करना ये सब काम महिलाएं गीत गाते गाते कर लिया करती थी। लेकिन अब वो अपनापन गायब हो गया है। वहीं रौधग्राम की गली में भी अब चार पांच खानसामें रह गए हैं। लेकिन यहां आज भी शाही बिरयानी और चिकन व मटन करी तैयार की जाती है। दावतों में ऐसा सुस्वाद लोगों को परोसते हैं कि लोग अंगुलियां चाटते रह जाते हैं। इनकी मटन बिरयानी के स्वाद की आज भी बातें होती हैं।

थीम के साथ विदेशी जायका
अब लोग विदेशी जायकों को भी शामिल कर रहे हैं। कारपोरेट जगत में काम करने वालों के कई मेहमान सात समंदर पार से आते हैं। उन्हें देश में अपनत्व लगे इसके लिए उनके व्यंजनों को भी खासतौर पर शामिल किया जाता है। हालांकि वे शादियों में भारतीय व्यंजनों को भी ट्राई करते हैं। इन सबके बीच विदेशी थीम और उनके जायके भी शामिल करना स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। अब शादियों में स्नैक्स से लेकर मेन कोर्स तक में कई व्यंजन विदेशी रखे जा रहे हैं। स्वाद के साथ उसे पेश करने के तरीके पर भी काफी ध्यान दे रहे हैं। उदाहरण के तौर पर अब शादियों में बीयर के कैन थीम, बैलगाड़ी, दिल्ली की चाट पकौडिय़ों, कैरेबियन, जंगल थीम, रजवाड़े थामी पसंद की जा रही हैं। इसके लिए खास शेफ भी बुलाए जाते हैं।
-भारत अग्रवाल, श्याम कैटर्स
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चर्चे सात समंदर पार तक
रजवाड़ों के जमाने लद गए हैं लेकिन उस जमाने की शानोशौकत और जायकों की बादशाहत न सिर्फ देश में कायम है बल्कि सात समंदर पार भी चर्चे हैं। यही वजह है कि विदेश में होने वाली शादियों में दिल्ली की चाट, टिक्की, आलू की सब्जी, मेथी की चटनी, कचालू खट्टे मीठे, नागौरी हलवा, कुल्फी के स्टाल लगाने के काफी सारे ऑफर आ रहे हैं। साउथ अफ्रीका, सन सिटी, सिडनी, हांगकांग में रह रहे भारतीय शादी में पुरानी दिल्ली के पकवान ही बनाना पसंद करते हैं।
-अनिल कूरेमल, कूरेमल कैटर्स
-प्रस्तुति: विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली

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