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    वो अदृश्य ऊर्जा तरंगें

    By Edited By:
    Updated: Wed, 22 May 2013 01:26 PM (IST)

    शायद आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है कि मानव शरीर में भी विद्युत ऊर्जा की तरंगें मौजूद होती हैं। ये किस ढंग से काम करती हैं, इसी के बारे में बता रही हैं ...और पढ़ें

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    शायद आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है कि मानव शरीर में भी विद्युत ऊर्जा की तरंगें मौजूद होती हैं। ये किस ढंग से काम करती हैं, इसी के बारे में बता रही हैं परा मनोवैज्ञानिक

    पूनम वेदी।

    कभी आपने सोचा है कि गैस लाइटर जलाते, नल खोलते या नॉयलॉन की कोई चीज छूते समय कई बार अचानक बिजली का करंट लगने जैसी अनुभूति क्यों होती है? दरअसल मनुष्य के शरीर में भी विद्युत शक्ति मौजूद होती है। यह जिस केंद्र में रहस्यमय ढंग से विद्यमान है-उसे मूलाधार चक्त्र कहते हैं। इसमें तीन महत्वपूर्ण नाड़ियों का मेल होता है, जिस स्थान पर ये नाडि़यां मिलती हैं, वहां बाल से भी पतला एक तंतु होता है और इसी में यह विद्युतीय शक्ति मौजूद होती है। इस तंतु का रूप साप की कुंडली की तरह होता है। इसीलिए योग शास्त्र में इसे कुंडलिनी शक्ति कहा जाता है। तंतु में मौजूद विद्युतीय शक्ति तीनों महत्वपूर्ण नाड़ियों द्वारा क्रमश: ऊपर के चक्रों में प्रवेश करती है। उसके बाद जरूरत के अनुसार यहा से शरीर की प्रत्येक कोशिका में उसका प्रवाह होता है। लेकिन कभी-कभी यह शक्ति अव्यवस्थित हो जाती है। तब हमें इसकी मौजूदगी का आभास होता है। क्या कहता है विज्ञान

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    आजकल रूस मे वैज्ञानिकों द्वारा कुंडलिनी शक्ति पर शोध हो रहा है। इसके अनुसार योगी जिस कुंडलिनी को जाग्रत करने का प्रयास करते हैं, वह वास्तव में बायोइलेक्ट्रिसिटी है। इस विचारधारा को बल देने के लिए वहां के एक वैज्ञानिक ने विधिवत योग की दीक्षा ली तथा कई माह तक योगी की तरह साधना करके उन्होंने आतरिक शुद्धि भी की। नियमित योगाभ्यास के माध्यम से उन्होंने अपने शरीर में अतिरिक्त ऑक्सीजन का संचय किया। कुछ सप्ताह बाद उन्हें अपने सारे शरीर में विद्युत तरंगों का झटका महसूस हुआ। कुछ दिनों के अभ्यास के बाद उनमें इस शक्ति का इच्छित ढंग से प्रयोग करने की क्षमता विकसित हो गई और वह कुछ फीट की दूरी पर रखे बॉक्स को बिना स्पर्श के हिलाने में सफल हो गए।

    कुछ रोचक अनुभव

    यह तो किसी वैज्ञानिक का सफल प्रयोग था, लेकिन मुझसे मिलने वाले कई लोग अकसर अपने ऐसे ही अनुभवों के बारे में बताते हैं। एक वैज्ञानिक संस्थान में कार्यरत डॉ. आर. के. शर्मा भी ऐसे ही लोगों में से एक हैं। उनमें एक विचित्र सा गुण है कि उनके साथ हाथ मिलाने पर कई लोगों को बिजली का करंट लगने जैसी अनुभूति होती है। कई लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके हाथों के स्पर्श से बिजली के करंट जैसा झटका महसूस होता है। इसी तरह कुछ लोगों ने बताया कि गैस लाइटर जलाते समय उन्हें बिजली का झटका जैसा महसूस होता है। इलेक्ट्रिक क्विल्ट के प्रयोग से भी कुछ लोगों के शरीर में विचित्र सी अनुभूति होती है। इसी तरह अरुण कुमार शर्मा द्वारा लिखित किताब 'स्पॉन्टेनियस ह्ययूमन कम्बश्चन' में इस बात का जिक्र मिलता है कि बिहार के भागलपुर जिले में एक युवक सूर्य ग्रहण के अवसर पर सूर्य को निहारता हुआ अचानक जलकर भस्म हो गया। देखने वालों का कहना था कि उसके शरीर से भी नीले रंग की लौ निकली थी। रूस में ऐसे विषयों पर लंबे समय से शोध चल रहा है। इस प्रकार की घटनाओं की जाच विश्व विख्यात विशेषज्ञ प्रोफेसर विल्टन क्रोग ने गहनतापूर्वक किया था। अपनी टिप्पणी में उन्होंने इसे विज्ञान के लिए रहस्य बताया।

    चुंबकीय शक्ति की मौजूदगी

    कई बार यह बायोइलेक्ट्रिसिटी चुंबकीय विद्युत शक्ति के रूप में परिवर्तित होकर शरीर में फैल जाती है। इससे व्यक्ति का सारा शरीर चुंबकीय बन जाता है। इस शक्ति का विलक्षण उदाहरण फ्रांस के यूरी नामक व्यक्ति हैं। उनका शरीर चुंबकीय शक्ति से भरपूर है। वह पांच फुट की दूरी से धातु के किसी भी सामान को अपनी ओर खींच लेते हैं। छुरी, काटे, चम्मच, तवा, कड़ाही ही नहीं, बल्कि बिजली के सामान तक उनके शरीर से चिपक जाते हैं। यूरी की चिकित्सा वहां के डॉ. फूमिन की देखरेख में चल रही है। उनका कहना है कि किसी मनुष्य में ऐसा शक्तिशाली चुंबकत्व अभी तक देखने को नहीं मिला है।

    इससे यह जाहिर होता है कि मानव शरीर की प्रत्येक कोशिकापावरहाउस की तरह है। यह शक्ति बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। लेकिन इस ऊर्जा का प्रयोग किस तरह किया जाए यह शोध का विषय है। इसके रहस्यों को भेदकर ही इस असीम विद्युत ऊर्जा का प्रयोग किया जा सकता है।

    जागरण सखी

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