एकल परिवारों में बढ़ा है संघर्ष?
उफान पर है 'छोटा परिवार सुखी परिवार' का नारा देकर शादी के कुछ समय बाद ही संयुक्त परिवार से अलग होने का ट्रेंड। मगर घरेलू हिंसा और गृह क्लेश से आत्महत्याओं के आंकड़े बताते हैं कि एकल परिवारों में अधिक होते हैं उपद्रव। क्या है इसकी वजह, राय जागरण की..

उफान पर है 'छोटा परिवार सुखी परिवार' का नारा देकर शादी के कुछ समय बाद ही संयुक्त परिवार से अलग होने का ट्रेंड। मगर घरेलू हिंसा और गृह क्लेश से आत्महत्याओं के आंकड़े बताते हैं कि एकल परिवारों में अधिक होते हैं उपद्रव। क्या है इसकी वजह, राय जागरण की..
एकल परिवार में स्वच्छंद और मनमाफिक जिंदगी जीने को मिलती है, यह सिर्फ कहने में अच्छा लगता है। एकल परिवार में भले ही आर्थिक समस्याओं का सामना कम करना पड़ता हो, लेकिन झगड़ा होने पर आप न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते है और न ही अपना पक्ष बेबाकी से रख पाते है। जाहिर है कि ऐसे में झगड़े और तनाव बढ़ने की संभावना अधिक होगी।
मीनू
आंकड़े भले ही कुछ कहते हों, लेकिन गृह क्लेश, झगड़े या फिर आत्महत्या की घटनाओं का संबंध एकल या संयुक्त परिवार से नहीं है। यह घटनाएं हर उस परिवार में घटती है, जहां विचारों में मतभेद और संवादहीनता काबिज होती है। हां, यह कह सकते है कि एकल परिवार के लोग अधिक महात्वाकांक्षी होते है और यही कलह का कारण होता है।
श्रद्धा
एकल परिवार का कांसेप्ट भले ही शांति और स्वतंत्र जिंदगी की चाह पर बना हो, लेकिन संयुक्त परिवार में जिंदगी की गाड़ी कहीं अधिक सुकून से चलाई जा सकती है। संयुक्त परिवार में आप जिम्मेदारियां बांट सकते है, सहयोग ले सकते हैं या फिर तनाव होने पर अपनी बात घर के किसी भी सदस्य से कह सकते है। एकल परिवार में यह सब कहां संभव होता है?
धीरेद्र
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