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शेयर मार्केट में क्या होती हैं Large, Mid और Small Cap कम्पनियां

Stock Market में कंपनियों को मुख्य रूप से तीन कैटेगरी में बांटा गया है जो लार्ज मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के नाम से जाने जाते हैं। पर आप जानते हैं कि असल में इनका मतलब क्या है और निवेश में इसका क्या महत्व है? पूरी जानकारी नीचे देखें।

By Sonali SinghEdited By: Published: Wed, 23 Nov 2022 05:50 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 05:50 PM (IST)
शेयर मार्केट में क्या होती हैं Large, Mid और Small Cap कम्पनियां
What is Share Market, Know About Large, Mid And Small Cap Companies

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्टॉक मार्केट में कंपनियों को उनके कैपिटल या कैप के आधार पर बांटा गया है। कैप का मतलब कैपिटलाइजेशन से होता है। बता दें कि किसी भी कंपनी के शेयरों की संख्या को उनकी मार्केट वैल्यू से मल्टीप्लाई करने पर उस कंपनी की कैपिटलाइजेशन को निकाला जाता है। साथ ही, इसी तरह से कंपनियों का कैपिटलाइजेशन शेयर मार्केट द्वारा निर्धारित उनकी वैल्‍यू को बताता है। कैपिटलाइजेशन के आधार पर इन कंपनियों को मुख्य तीन कैटेगरी यानि लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में रखा गया है। अगर आप भी शेयर बाजार में  दिलचस्पी रखते हैं और इनमें निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो सबसे पहले आपको लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के बारे में जरूर जानना चाहिए।

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स्‍मॉल कैप कंपनी

जिन कंपनियों की मार्केट कैपिटलाइजेशन 2,000 करोड़ रुपए से कम होती है, वो स्‍मॉल कैप की कैटेगरी में रखें जाते है। इन कंपनियों की भविष्य में मिड कैप बनाने की बहुत संभावना होती है। स्मॉल-कैप कंपनियां हाई रिस्‍क और हाई रिटर्न स्टॉक इन्वेस्टमेंट हैं। इनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, लेकिन अगर चीजें ठीक न हो तो बड़ा नुकसान हो सकता है।

मिड कैप कंपनी

आमतौर पर जिस कंपनी का मार्केट वैल्यू करीब  2,000 करोड़ रुपए से लेकर 10,000 करोड़ रुपए तक होता है, वो कंपनी मिड कैप की कैटेगरी में आती है।  मिड कैप कंपनियों में बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है। इसमें इन्वेस्टमेंट से ज्यादा रिटर्न पाने का मौका होता है। अगर आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने का मन बना रहे हैं, तो आपको एक बार कंपनी की कैटेगरी देख कर ही आप अपना इन्वेस्टमेंट कर सकते है। जिसको आपको बाद में  पछताना नहीं पड़े।

लार्ज कैप कंपनी

दरअसल, जिस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 10,000 करोड़ रुपए से अधिक होती है, तो उन्हें लार्ज कैप कैटेगरी में रखा जाता है। वहीं, लार्ज कैप होने के कारण इन कंपनियों की मार्केट में मजबूत पकड़ होती है। लार्ज कैप में मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर मिड कैप और स्माल कैप की तुलना में कम से कम होता है। बता दें कि,  मार्केट करेक्शन पर इसमें ज्यादा अस्थि‍रता देखने को नहीं मिलती, इसकी ग्रोथ संतुलित होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कैप में इन्वेस्टमेंट को सुरक्षित मानते हैं। हालांकि, भारत की ज्यादातर लार्ज कैप कंपनियां वर्ल्‍ड रैंकिंग में मिड कैप या स्‍मॉल कैप कंपनियां हो जाती हैं इसलिए दुनिया  भर में उन्हीं कंपनियों को लार्ज कैप का दर्जा मिलता है जिसका मार्केट कैप करीब 10 अरब डॉलर से ज्यादा होता है।

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नोट: यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।

लेखक- सुमित रजक

 


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