शेयर मार्केट में निवेश से पहले जानें क्या होती है Book Value, फंडामेंटल एनालिसिस के लिए है बेहद आवश्यक
प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो (Price to book value ratio) बुक वैल्यू से जुड़ा एक महत्वपूर्ण रेश्यो है। जब यह रेश्यो उच्च होता है तो इसका मतलब है कि शेयर ...और पढ़ें

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। इन्वेस्टमेंट (Investment) की दुनिया में एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। उसी निवेश विकल्प में पैसा लगाएं, जिसकी आपको समझ हो। अगर आपको जानकारी नहीं है, तो जानकारी जुटाने की कोशिश करें। शेयर मार्केट (Share Market) के साथ भी ऐसा है। किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले आपको उस कंपनी के बारे में कई सारी चीजें जान लेनी चाहिए। इनमें से ही एक है बुक वैल्यू (Book Value)। इसके साथ एक रेश्यो भी जुड़ा है। इसका नाम है प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो (Price to book value ratio)। निवेशक को इन दोनों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। आइए जानते हैं कि ये क्या हैं।
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क्या होती है बुक वैल्यू?
किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट से आप उसकी बुक वैल्यू जान सकते हैं। कंपनी के कुल एसेट्स में से कंपनी की एक्सटर्नल लायबिलिटीज को घटाने पर बुक वैल्यू आती है। इस तरह बुक वैल्यू को कंपनी की नेट एसेट वैल्यू (NAV) भी कहा जा सकता है। असल में शेयरहोल्डर फंड ही बुक वैल्यू है। बुक वैल्यू का मतलब किसी कंपनी की उस कीमत से है, जो उसे किसी समय पर बाजार में बेचने पर मिल जाए।
बुक वैल्यू = एसेट्स - एक्सटर्नल लायबिलिटीज
प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो
प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो (Price to book value ratio) बुक वैल्यू से जुड़ा एक महत्वपूर्ण रेश्यो है। जब यह रेश्यो उच्च होता है, तो इसका मतलब है कि शेयर महंगा है। वहीं, यह रेश्यो कम होता है, तो इसका मतलब है कि शेयर सस्ता है। हालांकि, रेश्यो के अनुसार शेयर के सस्ते होने पर यह जानने की कोशिश जरूर करें कि यह सस्ता क्यों है। प्राइस टू बुक वैल्यू पता करने के लिए आपको प्रति शेयर कीमत में प्रति शेयर बुक वैल्यू का भाग देना होगा। बुक वैल्यू पर शेयर की निकालने के लिए कंपनी की बुक वैल्यू में कुल शेयरों की संख्या का भाग देना होता है।
प्राइस टू बीवी रेश्यो = प्राइस पर शेयर/बुक वैल्यू पर शेयर
बुक वैल्यू पर शेयर= बुक वैल्यू/शेयरों की संख्या
यह भी जान लें
बुक वैल्यू कंपनी के एसेट्स की वह कुल वैल्य है, जो किसी कंपनी के लिक्विड हो जाने पर शेयरधारकों को मिलती है। जब हम बुक वैल्यू की तुलना कंपनी की मार्केट वैल्यू से करते हैं, तो यह पता लगा सकते हैं कि शेयर अंडरप्राइस्ड है या ओवरप्राइस्ड। बुक वैल्य आमतौर पर किसी कंपनी की मार्केट वैल्यू से कम होती है।
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