म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले ध्यान दें इन 4 बातों पर
Mutual Funds ने निवेश करने से पहले कुछ बातों को ध्यान रखना जरूरी है वरना काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि म्यूचुअल फंड स्कीम लेने से पहले ध्यान देने वाली कौन-सी बातें हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अपने पैसे को सही जगह पर निवेश करके अच्छा रिटर्न हर कोई कमाना चाहता है। जो लोग स्टॉक मार्केट के रिस्क से खुद को दूर रखना चाहते हैं, लेकिन एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) से ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड सही हो सकता है। आइए जानते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले किन चार बातों पर ध्यान देना चाहिए।
Asset Management Company का ट्रैक रिकॉर्ड
Asset Management Company एक तरह का फंड हाउस है जो आपकी तरह कई निवेशकों के पैसे को मैनेज करता है। आपने भी इस तरह की कंपनियों का नाम सुना होगा। एक अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम को लेने से पहले सही फंड हाउस को चुनना बहुत ही जरूरी है। इसके लिए आप उसके 5, 10, 15 सालों के ट्रैक रिकॉर्ड को देख सकते हैं। उसने किस तरह से निवेशकों को रिटर्न दिया है, उसने निवेशकों के साथ कोई फ्रॉड तो नहीं किया, इस तरह की सभी जानकारियां लेने के बाद ही आप उस फंड हाउस में रजिस्टर करें।
फंड मैनेजर का एक्सपीरियंस
म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर वह व्यक्ति होता है, जो बाजार और बिजनेस को अच्छी तरह से समझे। वह बाजार के उतार-चढ़ाव के सेंटीमेंट को जानता है और उसके हिसाब से निवेश के फैसले लेता है। अगर आप कोई म्यूचुअल फंड खरीद रहे हैं, तो आप यह जरूर देखें कि उस फंड को मैनेज करने वाले मैनेजर का एक्सपीरियंस पर्याप्त हो। साथ ही यह भी देखें कि उसने कितने सालों तक लगातार निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है। वह लगातार कई सालों तक निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने में कामयाब रहा है तो आप उस पर दाव लगा सकते हैं।
एक्सपेंस रेश्यो
अगर आप किसी म्यूचुअल फंड हाउस के किसी खास फंड में निवेश कर रहे हैं, तो आपके लिए एक्सपेंस रेश्यो को भी जानना बहुत जरूरी है। यह एक तरह की सर्विस फी है जो Asset Management Company (AMC) या म्यूचुअल फंड कंपनी को देनी पड़ती है। दूसरे शब्दों में, यह म्यूचुअल फंड को चलाने और मैनेज करने की पर-यूनिट कोस्ट है। म्यूचुअल फंड के हर प्लान का अलग-अलग रेश्यो हो सकता है। आपको यह ध्यान देना है कि आप जिस भी प्लान में निवेश कर रहे हैं उसका एक्सपेंस रेश्यो कम हो।
डायरेक्ट प्लान देता है ज्यादा रिटर्न
म्यूचुअल फंड स्कीम को चुनने वाले व्यक्ति के सामने दो तरह के प्लान होते हैं। एक है डायरेक्ट प्लान और दूसरा है रेगुलर प्लान। इन दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि डायरेक्ट प्लान में कोई एजेंट या ब्रोकर नहीं होता है, इसलिए कोई कमीशन या ब्रोकरेज नहीं लगता है। इसका मतलब है कि फंड हाउस की कम लागत और अंततः कम वार्षिक लागत जो आपको अपने निवेश के लिए भुगतान करने की आवश्यकता है। अगर आप कोई स्कीम ले रहे हैं तो कोशिश करें कि आप डायरेक्ट प्लान खरीदें।
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लेखक- शक्ति सिंह