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    फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं है तो आर्थिक खुशहाली की जगह मानसिक बदहाली का खतरा!

    By Siddharth PriyadarshiEdited By:
    Updated: Mon, 24 Oct 2022 01:35 PM (IST)

    Financial Planning लोन लेने वाले 46 फीसद लोग किसी न किसी रूप में मानसिक सेहत में गिरावट महसूस कर रहे हैं। ऐसे 86 फीसद लोगों का मानना है कि कर्ज की वजह ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आर्थिक खुशहाली के साथ दिखावे की चाहत आ ही जाती है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। लेकिन जब दिखावे का भूत सवार होता है तो पैसे की भूख खत्म होने का नाम नहीं लेती है। और आज जरूरी हो या न हो, दिखावे के लिए आप चुटकी में कुछ भी खरीद लेते हैं। इसके लिए बैंक, एनबीएफसी के लोन, क्रेडिट कार्ड और अब तो ना जाने कितने तरह के छोटे-छोटे इंस्टैंट लोन देने वाले ऐप हैं जो पलक झपकते आपके खाते में पैसे डाल देते हैं।

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    आनन-फानन में लोन लेना किसी ड्रग्स की तरह है। आदत लग जाए तो पहले तंगहाल फिर कंगाल कर दे। इसका सबसे भयानक पहलू मानसिक घुटन है जो दिखता नहीं, पर अंदर ही अंदर खाए जाता है। मनी एण्ड मेंटल हेल्थ पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने इस पर शोध के जो आंकड़े सामने रखने हैं बेहद चिंताजनक हैं। किसी भी वजह से लोन लेने वाले 46 फीसद लोग किसी न किसी रूप में मानसिक सेहत में गिरावट महसूस कर रहे हैं। ऐसे 86 फीसद लोगों का मानना है कि कर्ज की वजह से उनकी मानसिक बदहाली बढ़ रही है। आम इंसान से तीन गुना अधिक आत्महत्या की प्रवृत्ति महसूस कर रहे हैं।

    खतरनाक है ये निराशा

    आर्थिक तंगी के चलते मन में एक घबराहट बनी रहती है। रातों की नींद उड़ जाती है। घोर निराशा और हमेशा थकान रहता है। ऐसे में लाजमी है दिनचर्या भी प्रभावित होगी। आप सही से काम नहीं कर पाएंगे। घर के लोगों और साथ काम करने वालों से आपका संबंध बिगड़ जाएगा। नशे की लत पड़ सकती है और पहले से बदहाल आर्थिक स्थिति अब किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगी। उसे भी नहीं, जिसके लिए दिखावा किया था!

    इससे बचने और बाहर निकलने के लिए क्या करें? सबसे पहले तो ‘स्वांतः सुखाय’ अर्थात खुद की खुशी का मर्म जान लें तो खुदकुशी का खयाल भी न आए। कहने का तात्पर्य यह है कि कमाई कम हो या ज़्यादा खर्च करने से पहले दो बार सोच लें कि क्या यह वाकई जरूरी है। इसका अर्थ कंजूसी समझने की नासमझी कतई न करें। इसे एक उदाहरण से समझें- ईएमआई से बोझिल जिंदगी में दिखावे के आईफोन के लिए एक और ईएमआई के चंगुल में फंसना आर्थिक मौत को गले लगाना है। तनिक धैर्य रखिए। एक ईएमआई से तो निपट लीजिए।

    आर्थिक मोर्चे पर अग्नि परीक्षा

    यह धैर्य की परीक्षा है। इसमें पास हो जाएंगे तो आर्थिक मोर्चे पर अग्नि परीक्षा नहीं देनी होगी। जिन्दगी लंबी है जरा रिटायरमेंट की भी सोचिए। सोच-समझ कर खर्च कीजिए। कर्जा नहीं तो दर्जा नहीं की कहावत सुनने में अच्छी लगती है। खुद पर चरितार्थ मत कीजिए। जिंदगी के बड़े कामों के लिए बचत कीजिए। निवेश और बीमा की अहमियत समझिए। उम्र के साथ इनके मायने अधिक समझ आते हैं। इसलिए जल्द फाइनैंशियल प्लानिंग कीजिए ताकि देर ना हो जाए।

    कैसे करें फाइनेंशियल प्लानिंग

    अब सवाल उठता है कि कैसे करें फाइनेंशियल प्लानिंग? इंटरनेट के युग में दुनिया भर के जानकार इसमें आपकी मदद के लिए तैयार हैं। मंथन करें तो खुद भी बहुत कुछ समझ जाएंगे। पर बेहतर होगा फाइनेंशियल प्लानर की मदद लें। हमेशा याद रखें कि फाइनेंशियल हेल्दी इंसान ही मेंटली हेल्थी रह सकता है।

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