सहयोग से समाधान: संकट में ग्राहकों ने ही दिया साथ, 'फ़ार्मेसी' को मिली संजीवनी!
कारोबार में सफलता के लिए समय के अनुरूप चलना पड़ता है। वर्तमान में कारोबार में कठिन प्रतिस्पर्द्धा है बाजार में मजबूती से टिके रहना किसी साहस से कम नहीं है। कारोबारी के पीछे अगर ग्राहक ढाल की तरह खड़ा है तो संकट सफलता में बदल जाता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कारोबार में सफलता के लिए समय के अनुरूप चलना पड़ता है। वर्तमान में कारोबार में कठिन प्रतिस्पर्द्धा है, बाजार में मजबूती से टिके रहना किसी साहस से कम नहीं है। कारोबारी के पीछे अगर ग्राहक ढाल की तरह खड़ा है तो संकट सफलता में बदल जाता है। कारोबार की सफलता के लिए यह जरूरी है कि किसी भी हालात में आपको ग्राहकों के दिल व मन की बात परखने का हुनर आता हो। इसी बात को समझ सोल फार्मेसी तरक्की के रास्ते पर चला। कोरोना संकट के दौरान भी प्रबंधन कारोबार के इस बेसिक्स पर टिका रहा और संकट से निकलने में कामयाब हुआ।
2016 में हुई शुरुआत, बढता गया कारवां
मयूर विहार फेज-1 आचार्य निकेतन मार्केट स्थित सोल फार्मेसी कंपनी के निदेशक प्रवीण गुप्ता ने बताया कि साल 2016 से सोल फार्मेसी की शुरुआत हुई। नोएडा के अलग-अलग स्थानों पर तीन मेडिकल स्टोर खोले। शुरुआती दिनों में कारोबार में ज्यादा लाभ नहीं हुआ, लेकिन जब धीरे-धीरे ग्राहकों से संवाद शुरू हुआ तो पहचान भी बनने लगी और ग्राहकों का भरोसा भी जीतने लगे। आचार्य निकेतन मार्केट में वर्ष 2018 में स्टोर खोला। गुरुग्राम में एक नया स्टोर खोलने जा रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में 50 नए स्टोर खोलने की योजना है। पूरी योजना बनकर तैयार हो गई है एक-एक कर अलग-अलग जगह स्टोर तैयार किए जाएंगे। आइए, प्रवीण गुप्ता से जानते हैं कि उन्होंने कोरोना महामारी से उपजे संकट का सफलतापूर्वक सामना कैसे किया।
(सोल फार्मेसी कंपनी के निदेशक प्रवीण गुप्ता)
समाधान 1: कोरोना काल में भी ग्राहकों से रखा सीधा संवाद
कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में अधिकतर व्यापार बंद थे, बस खानपान व दवाई के स्टोर को अनुमति थी। इस कोरोना काल में सोल फार्मेसी के कर्मचारी ने अपना काम अच्छे से किया। ग्राहकों को फोन कनेक्शन से जोड़ा। लॉकडाउन में कर्मचारियों ने ग्राहकों और परिचितों से संपर्क साधे। उनसे बातचीत की और उनकी समस्या सुनी। ग्राहकों को किसी दवाई की जरूरत पड़ी तो उन्होंने मैसेज कर दिया। कर्मचारियों ने सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दवाइयां ग्राहकों के घर तक पहुंचाई। इस कार्य से उन्होंने हम पर भरोसा किया और हमारा भी ग्राहकों संग रिश्ता और प्रगाढ़ हुआ। मौजूदा समय में वही ग्राहक हमारी पूंजी बन गए हैं। हमारे स्टोर पर उन ग्राहकों की आवाजाही और रिफरेंस के माध्यम से दूसरे लोगों का आना-जाना बढ़ा है।
समाधान 2: नई योजनाओं को रखा जारी, उम्मीद रखी कायम
कोरोना काल से पहले गुरुग्राम के स्टोर का निर्माण कार्य शुरू हो गया था, लेकिन लॉकडाउन के समय निर्माण कार्य बंद रहा। जल्द ही स्टोर का शुभारंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम जानते थे कि किसी भी कारोबार को बढ़ने में समय लगता है। ऐसे में हमने कोरोना काल में स्टोर खोलने की योजना को रद नहीं की। हमारे कर्मचारी भी परिवार की तरह मिलकर काम करते है। प्रत्येक कर्मचारी सोल फार्मेसी को अपना कारोबार समझकर काम करता है। असल में कारोबार कर्मचारियों के भरोसे ही चल रहा है। कोरोना काल में बिना छुट्टी लिए पूरी सेवा-भाव के साथ सभी ने कार्य किया।
समाधान 3: ग्राहकों की सुरक्षा के लिए चलाया अभियान, भेजे जागरूकता संदेश
कोरोना महामारी की शुरुआत में सरकार ने सभी लोग को अपने घरों में सुरक्षित रहने के आदेश दिए थे। सोल फार्मेसी ने अपने ग्राहकों व अन्य लोगों को सुरक्षा के बारे में जागरूक किया। सभी को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप आदि से जोड़ा। सभी को सुरक्षा से जुड़े जागरूकता वीडियो भेजे गए। इसका मकसद ग्राहकों में विश्वास जगाना था कि अगर आप स्टोर में आते हैं या दवाई खरीदते है, तो आपकी सुरक्षा पुख्ता रहेगी।
समाधान 4: कोरोना काल की जरूरतों को समझा
हम अधिकृत वितरक से 100 प्रतिशत माल बिल पर खरीदते है और ग्राहक को भी 100 प्रतिशत पर सामान बेचते हैं। कोरोना काल में लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत डेटॉल व सैनिटाइजर की पड़ी। जिस दाम पर हमने डेटॉल व सैनिटाइजर खरीदा उसी दाम पर हमने लोगों को दिया।
समाधान 5: कर्मचारियों का दिया साथ, वो भी डट कर खड़े रहे
कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो गया था। पहले जिस तरह ग्राहकों की लाइन लगा करती थी, वो लाइन खत्म हो गई थी। ऐसे में हमें कर्मचारियों से पूरे सहयोग की अपेक्षा थी। कर्मचारियों को आवश्यक सामानों की पूर्ति की और उन्हें इस बात के प्रति आश्वस्त किया कि किसी भी मुश्किल समय में हम उनके साथ हैं। इस महामारी के दौर में भी कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिला। हमारे कर्मचारी भी परिवार की तरह मिलकर काम करते हैं। असल में कारोबार कर्मचारियों के भरोसे ही चल रहा है।