MSME की उन्नति में ही सबकी प्रगति, पड़ोस के दुकानदारों का व्यवहार ज़्यादा पारदर्शी-ईमानदारी भरा
एमएसएमई की वृद्धि ही राष्ट्र की समृद्धि है ये आदर्श वाक्य लघु मध्यम कारोबार को पूरी तरह परिभाषित करता है। इस बात में दो राय नहीं है कि कोरोना के दौर में देश में डिजिटल सोच अधिक सुदृढ़ हुई है। इसने कारोबारियों की पहुंच को व्यापक किया है।
नई दिल्ली, अजय सिंह। 'एमएसएमई की वृद्धि ही राष्ट्र की समृद्धि है' ये आदर्श वाक्य लघु मध्यम कारोबार को पूरी तरह परिभाषित करता है। इस बात में दो राय नहीं है कि कोरोना के दौर में देश में डिजिटल सोच अधिक सुदृढ़ हुई है। इसने कारोबारियों की पहुंच को व्यापक किया है। डिजिटलाइजेशन का फायदा यह है कि कम कीमत में अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाई जा सकती है। इसका लाभ छोटे दुकानदारों को उठाना चाहिए। ग्राहकों को भी अपने आस-पड़ोस के कारोबारियों से खरीददारी को प्रोत्साहन देना चाहिए, क्योंकि वह अधिक विश्वसनीय-पारदर्शी होते हैं और आपके समाज का हिस्सा होते हैं। ऑनलाइन का सबसे बेहतर प्रयोग सूचना के संवाहन में होना चाहिए। वर्तमान समय में अकाउंटिंग व्यवस्था में लघु मध्यम कारोबारी टैली को अपना कर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में सरकार को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कारोबारियों को लाने के लिए ऐसा माध्यम उपलब्ध कराना होगा, जो व्यापारियों की सामर्थ्य के अनुरूप हो। वहीं, लोकल को वोकल अधिक होना होगा। उन्हें प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखनी होगी और नए समाधान तलाशने होंगे।
सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपये का फंड बिना किसी गारंटी के दिया है। 20 करोड़ का फंड कोरोना की वजह से परेशान लघु-मध्यम कारोबारियों को दिया। सरकार ने लघु-मध्यम कारोबारियों की नई परिभाषा दी है। इन सब बातों का फायदा भी लघु-मध्यम कारोबारियों को होगा। इसमें सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग को एक साथ कर दिया है, जो कि लाभप्रद है। कोरोना की वजह से पूंजी और मजदूर वर्ग प्रभावित रहे हैं। कारोबारी 50 से 60 फीसदी कामगारों के द्वारा ही काम कर पा रहे हैं, जिसका असर उनकी उत्पादकता पर पड़ रहा है। एक तरफ कारोबारियों के समक्ष यह चुनौती है कि वह डिजिटल को किस तरह अपनाएं तो दूसरी तरफ तमाम पारंपरिक चुनौतियां भी हैं। ऐसे में जरूरी है कि लघु-मध्यम कारोबारियों को सशक्त बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाए, क्योंकि राष्ट्र की उन्नति का मार्ग यही प्रशस्त करते हैं।
इसके लिए बैंकिंग सिस्टम, लोन प्रक्रिया, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का सशक्त और व्यापारियों के लिए सामर्थ्यवान डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने की महती आवश्यकता है। इसके अलावा मार्केट इंटेलीजेंस सिस्टम को कारोबारियों की सामर्थ्य के अनुरूप बनाना चाहिए। एमएसएमई की वित्तीय व्यवस्था में दूरगामी बदलाव की आवश्यकता है। भारतीय एमएसएमई के लिए एक अंतरराष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म होना चाहिए। किसी बेहतर विशेषज्ञ को यह कार्य दिया जा सकता है, ताकि इसका फायदा वृहद और व्यापक स्तर पर हो। जहां तक खुदरा व्यापारी वर्ग के लिए डिजिटल के इस्तेमाल की बात है तो इसका बड़ा फायदा यह है कि इससे उनकी पहुंच बढ़ती है। मेक स्मॉल स्ट्रॉन्ग के माध्यम से एमएसएमई को सशक्त करने की जरूरत है। इसमें एमएसएमई के तकनीक हस्तांतरण, इंटेलीजेंस सिस्टम की भी सुदृढ़ व्यवस्था बनानी होगी।
इसके अलावा यह जरूरी है कि एमएसएमई को जानकारीप्रद सूचना उपलब्ध करानी होगी। उदाहरण के तौर पर उन्हें किफायती दर पर कौन सामान उपलब्ध कराएगा, किससे अनुबंध करने पर फायदा होगा इसके बारे में पता होने की आवश्यकता है। गूगल इस मामले में काम कर रहा है। गूगल को कारोबारियों की सामर्थ्य के अनुसार, पैकेज उपलब्ध कराना होगा। प्रमुख बात यह भी है कि छोटे कारोबारियों को इस नए माहौल में खुद को बेहतर बनाने का इल्म सीखना होगा, उन्हें उपभोक्ताओं के नए व्यवहार को समझना होगा। उन्हें काम और उत्पादकता की प्रक्रिया को पुनर्परिभाषित करना होगा।
इसके अलावा बैंकिंग सिस्टम को भी दुरूस्त करने से कारोबारियों को फायदा होगा। वहीं, व्यापारियों के उत्पाद को राष्ट्रीय और अंतरारष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के इन्फॉर्मेशन नेटवर्क के जरिए बड़ा प्लेटफॉर्म बनाया जाए तो फायदा होगा। छोटे दुकानदारों के लिए जरूरी है कि उन्हें घरेलू परिदृश्य की पूरी जानकारी हो। साथ ही वह नए बदलावों को भी आत्मसात करें। गूगल का जागरण की सहभागिता से शुरू किया गया मेक स्मॉल स्ट्रॉन्ग अभियान बेहतर प्रयास है। अगर यह एमएसएमई की दिक्कतों का समाधान प्रस्तुत करने में सफल रहा तो यह अच्छी उपलब्धि होगी।
(लेखक इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (दिल्ली स्टेट चैप्टर) में उप-निदेशक हैं)