Move to Jagran APP

धान की खेती करते समय किसान किन-किन बातों का रखते हैं ध्यान

धान या उससे बना चावल एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो शुरू से ही भारतीय सांस्कृतिक-धार्मिक जीवन का हिस्सा रहा है। शादी तीज-त्योहार या धार्मिक अनुष्ठानों में इसका हमेशा से ही प्रयोग होता रहा है। धान पूरी दुनिया में उगाई जाती है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 02:10 PM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 02:10 PM (IST)
धान की खेती करते समय किसान किन-किन बातों का रखते हैं ध्यान
धान की खेती करने वाले किसानों का सबसे अधिक खर्च सिंचाई में लगता है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। धान या उससे बना चावल एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जो शुरू से ही भारतीय सांस्कृतिक-धार्मिक जीवन का हिस्सा रहा है। शादी, तीज-त्योहार या धार्मिक अनुष्ठानों में इसका हमेशा से ही प्रयोग होता रहा है। धान पूरी दुनिया में उगाई जाती है और यह तकरीबन हर देश की थाली में शामिल है, और जो किसान इसे या इससे जुड़े दूसरे अनाजों को हजारों सालों से उगा रहे हैं, वह सबके लिए सम्माननीय हैं।

prime article banner

धान हो या कोई और अनाज किसानों द्वारा उसकी खेती ऐसे की जाती है, जैसे किसी बच्चे का पालन पोषण उसके माता पिता द्वारा किया जा रहा हो। बुवाई से लेकर कटाई तक के अंतराल में अगर किसान अपने फसल का ध्यान न दे तो उसे कई तरह के नुकसानों का सामना करना पड़ता है। उसकी फसल खराब हो सकती है या बाजार में उसकी फसल का वाजिब मूल्य मिल नहीं पाता। आइए जानते हैं कि धान की खेती करते समय एक किसान किन-किन बातों पर ध्यान देता है।

मृदा पर काम

जिस जमीन या मृदा पर एक किसान अपनी फसल बोकर कलाकारी दिखाता है, वह मृदा उसका जीवन है। किसान उसकी पूजा करता है और फसल उगाने से पहले उसे अच्छी तरह से तैयार करता है। धान के किसान बारिश के मौसम से पहले अपने खेत तैयार कर लेते हैं। खरपतवारों को साफ कर दिया जाता है और ट्रैक्टरों द्वारा कुछ इंच की गहराई तक खेत की जुताई भी कर ली जाती है। खेत की जुताई के मामले में Mahindra 475 DI XP Plus किसानों के बहुत काम आता है। मिट्टी को अच्छे से तैयार करने के लिए उस पर खाद और उर्वरक डाले जाते हैं। इसके बाद पूरी सतह को पानी से ढका जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद जमीन धान रोपड़ के लिए तैयार हो जाती है।

बुआई की प्रकिया

धान की खेती करने वाले किसानों का सबसे अधिक खर्च सिंचाई में लगता है। हालांकि, कई विशेषज्ञों ने सिंचाई के कई आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके भी बताएं हैं, जिसके बारे में जानकर किसान कम पानी में बुआई करके सिंचाई के खर्चों को कम कर सकते हैं। बात करें धान की बुआई की तो भारत में जून-जुलाई के महीने इसकी बुआई की जाती है। आम तौर पर धान के पौध पहले नर्सरी में तैयार होते हैं और फिर उसके 40 दिनों बाद खेत में रोपाई की जाती है। धान की बुआई करते समय किसान दूरी का भी पूरा ख्याल रखते हैं। क्योंकि इससे धान तेजी से बढ़ता है और पकने में ज्यादा समय नहीं लेता।

कीट, पतंग और फंगस से रक्षा

धान की बुआई के बाद किसान सबसे ज्यादा सतर्क हो जाता है, क्योंकि उसे अपनी फसल को कीट, पतंग, फंगस तथा जानवरों से रक्षा करनी है। इसके लिए वह कीटनाशकों का भी इस्तेमाल करता है। इसलिए धान के खेतों को नियमित रखरखाव आवश्यक है। इसके अलावा निराई-गुड़ाई और अधिक भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों को पतला करना, विकास के अनुसार पानी का स्तर बनाए रखना भी जरूरी होता है।

धान की कटाई

पारंपरिक कटाई घुमावदार चाकू या तेज धार वाले चाकू के माध्यम से होती है। कटाई का यह तरीका बहुत श्रमसाध्य है और इसमें बहुत समय भी लगता है। कटाई शुष्क मौसम में की जाती है, जब मौसम सुहावना होता है। भारत में धान की कटाई नवंबर और दिसंबर के मौसम में की जाती है। धान के डंठलों या पराली को इकट्ठा करने और थोड़े समय के लिए सूखने के बाद, उनकी थ्रेसिंग की जाती है। गट्ठर को डंडों से पीटकर दानों को डंठलों से अलग कर दिया जाता है। वैसे कटाई के लिए बड़ी-बड़ी हार्वेस्टिंग मशीनों का भी इस्तेमाल होता है। ये मशीने इतने आधुनिक होते हैं कि ये चावल को अलग और भूसे को अलग कर देती हैं।

(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।) 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.