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क्यों महिंद्रा ट्रैक्टर यूपी के आलू किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहा है?

भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी 50 फीसदी जनसंख्या कृषि आधारित कार्य कर रही है. वहीं देश कि 17-18 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. खेती की आधुनिक तकनीक को अपनाकर भारत आज अनाजों सब्जियों और फलों के उत्पादन में विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रहा है.

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 07:21 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 10:21 PM (IST)
क्यों महिंद्रा ट्रैक्टर यूपी के आलू किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहा है?
महिंद्रा ट्रैक्टर यूपी के आलू किसानों के बीच लोकप्रिय है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी 50 फीसदी जनसंख्या कृषि आधारित कार्य कर रही है. वहीं देश कि 17-18 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. खेती की आधुनिक तकनीक को अपनाकर भारत आज अनाजों, सब्जियों और फलों के उत्पादन में विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रहा है. यही वजह है कि भारत ने पिछले कुछ सालों में खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोत्तरी की है. देश में पहले किसानों के पास सबसे बड़ी समस्या थी कृषि के आधुनिक तकनीकी उपकरणों का महंगा होना लेकिन अब किसानों को कृषि यंत्र आसानी मिल जाते हैं. देश में अब खेती के लिए आधुनिक और उन्नत तकनीकी यंत्र है. ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों ने पैदावार को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. जहां पहले पारंपरिक खेती में अत्यधिक श्रम लगता था वहीं अब ट्रैक्टर से खेती काफी आसान हो गई है. ट्रैक्टर आज भारतीय किसानों का पसंदीदा कृषि उपकरण है. ट्रैक्टर की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि भारत में दुनिया को सबसे बड़ा ट्रैक्टर उद्योग है. भारतीय ट्रैक्टर का उत्पादन वैश्विक उत्पादन का लगभग एक तिहाई है. वहीं देश में ट्रैक्टर से जुड़ी नई तकनीकों ने कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है. भारत में 2017-18 में 284.83 मिलियन टन अनाज को रिकाॅर्डतोड़ उत्पादन हुआ था. आज भारत आम, अमरूद, नींबू, पपीता, अदरक और काली मिर्च जैसे मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत वर्तमान में ट्रैक्टर बनाने वाले अन्य देशों से आगे निकल गया है.

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ट्रैक्टर की भूमिका - 

आज ट्रैक्टर के बिना आधुनिक और उन्नत खेती करने की कल्पना नहीं की जा सकती है. हरित क्रांति के बाद खेती में हम आत्मनिर्भर हुए है इसमें ट्रैक्टर की अहम भूमिका है. यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रैक्टर ने ही हरित क्रांति की नींव रखी और आज कृषि की रीढ़ बना हुआ है. ट्रैक्टर महज एक मशीन नहीं बल्कि एक ऐसा यंत्र है जो खेती के कामों को आसान बनाता है. कृषि के हर छोटे बड़े काम आज ट्रैक्टर पर ही निर्भर है. खेत की तैयारी से लेकर फसल काटने तक के काम ट्रैक्टर से किए जाते हैं. यहां तक कि किसान उत्पादन को घर और फिर घर से मंडी ले जाने में ट्रैक्टर की मदद लेते हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि आज देश की आधुनिक खेती ट्रैक्टर पर ही निर्भर है. 

ट्रैक्टर का उपयोग -

खेती के लिए ट्रैक्टर बेहद उपयोगी है लेकिन कई सर्वे में यह बात सामने आई है कि किसानों के द्वारा ट्रैक्टर का उपयोग कुशलतापूर्वक नहीं किया जा रहा है. इन सर्वेक्षणों के मुताबिक देश के ज्यादतर राज्यों में सालभर ट्रैक्टर्स 500-600 घंटे ही उपयोग किए जा रहे हैं जबकि बैंचमार्क आंकड़ा 800 से 1000 घंटे का है. वहीं उत्तर प्रदेश के आलू की खेती करने वाले अधिकतर किसान आज भी पारंपरिक तरीकों से ही खेती कर रहे हैं. सीजन के समय पुरुष, महिलाएं और बच्चों द्वारा खेतों में काम लिया जाता है. जबकि आज अनेक नई टेक्नोलॉजी के ट्रैक्टर मौजूद है जिनका सही इस्तेमाल करने पर आसानी से न सिर्फ मशीनों का खर्च निकाला जा सकता है बल्कि अच्छा लाभ भी लिया जा सकता है.  

भारतीय किसानों के लिए ट्रैक्टर का महत्व -

भारत में ट्रैक्टर एक बहुउद्देशीय वाहन है. यही वजह है ट्रैक्टर को काफी मजबूत बनाया जाता है ताकि यह हर चुनौतियों का  सामना कर सकें. तो आइए जानते हैं भारतीय किसानों के लिए ट्रैक्टर किस काम आता है -

परिवहन के रूप में -

ट्रैक्टर का उपयोग मालवाहक के रूप में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह खाद, बीज और उर्वरकों को आसानी से एक से दूसरी जगह ले जा सकता है. वहीं फसल कटाई के बाद फसल ढुलाई के लिए इसका उपयोग किया जाता है. किसान अपनी फसल को मंडियों तक आसानी से लादकर ले जा सकते हैं.  

यात्रा के लिए -

भारत में अधिकतर ट्रैक्टर के इंजन ऐसे होते हैं जिनमें ईंधन की कम खपत होती है. इसलिए यह लंबी यात्रा के लिए बेहतर साधन है. खेती के कामों के अलावा ट्रैक्टर से एक स्थान से दूसरे स्थान जाया जा सकता है.

किराए पर चलाया जा सकता है -

जिन किसानों के पास ट्रैक्टर है वे अपने खेती के कामों के बाद इसे किराए पर चला सकते हैं. भारत में ज्यादातर किसान कम खेती वाले किसान है जो ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते हैं वे अपनी खेती किराये के ट्रैक्टर से कर सकते हैं. वहीं जिन किसानों के पास ट्रैक्टर उपलब्ध है वे छोटी जोत के किसानों का खेती कार्य घंटे के हिसाब से करके अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं.

   

खेती के लिए ट्रैक्टर की भूमिका - 

कृषि पूरी तरह से बारिश और मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करती है इस वजह से कृषि क्षेत्र को ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें जोखिम ज्यादा होता है और अल्प रिटर्न मिलता है. पहले किसानों के पास सबसे बड़ी समस्या थी कृषि के आधुनिक तकनीकी उपकरणों का महंगा होना. लेकिन अब किसानों को कृषि यंत्र आसानी मिल जाते हैं. देश में अब खेती के लिए आधुनिक और उन्नत तकनीकी यंत्र से खेती करने में आसानी हुई है. ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों ने पैदावार को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. यही वजह है कि कृषि के अधिकतर कार्य ट्रैक्टर से ही किए जाते हैं. 

क्यों महिंद्रा ट्रैक्टर यूपी के आलू किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहा है? 

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा आलू उत्पादक प्रान्त है. यहां के आलू के किसानों के बीच अन्य ट्रैक्टरों की तुलना में महिंद्रा ट्रैक्टर की XP Plus Series काफी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. महिंद्रा की XP plus series 35 HP से 50 HP तक के आधुनिक ट्रैक्टर की श्रृंखला है जिसमें अग्रणी हैं 575 DI XP Plus और 475 D.O. XP Plus. यह दोनों मॉडल अपनी श्रेणी में सबसे बेहतर कवरेज के साथ अधिक माइलेज के लिए जाने जाते हैं. इनमें नई लिफ्ट हाइड्रोलिक आने से यह आलू की खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ हो गए हैं.

महिंद्रा की  XP Plus series क्यों ख़ास है:

महिंद्रा की XP Plus series के ट्रैक्टर न केवल हर मायने में आधुनिक हैं बल्कि हर तरह के मुश्किल काम को करने में बेहद निपुण हैं. इस श्रृंखला के ट्रैक्टर अन्य ट्रैक्टर की तुलना में अधिक पावर के होते हैं इसके कारण ज्यादा कवरेज मिलती है और समय की बचत होती है. इनमें महिंद्रा का DI इंजन कम RPM में अधिक माइलेज देता है. साथ ही ट्रैक्टर इंडस्ट्री में पहली बार आपको 6 साल की वारंटी मिलती है. इसकी m-Lift हाइड्रोलिक मौजूद है जिससे आलू की खेती में आप सटीक काम कर सकते हैं. जिससे न सिर्फ आलू की पैदावार बढ़ती है बल्कि आलू की खुदाई में भी कम वक्त लगता है. 

महिंद्रा 575 DI XP Plus: इसका इंजन 35 kW (47 HP)  का है तो इसमें ड्यूल एक्टिंग पावर स्टीयरिंग है.  Constant Mesh गियरबॉक्स के साथ 8 फॉरवर्ड गियर और 2 रिवर्स गियर है. इसके हाइड्रोलिक में 1500 किलो वजन उठाने की क्षमता है.  

475 डीआई एक्सपी: इसका इंजन 32.8 kW (44 HP)  का है तो इसमें ड्यूल एक्टिंग पावर स्टीयरिंग है.  Constant Mesh गियरबॉक्स के साथ 8 फॉरवर्ड गियर और 2 रिवर्स गियर है. इसके हाइड्रोलिक में 1500 किलो वजन उठाने की क्षमता है.

आलू की खेती में फायदा:

रोटावेटर:

1. अन्य हाइड्रोलिक की तुलना में इसका रोटावेटर ज्यादा पी.टी.ओ. पावर, ज्यादा मैक्स टॉर्क और ज्यादा बैकअप टॉर्क टफ है. जो भारी मिट्टी को भी आसानी से भुरभुरा बना देता है.

2. रोटावेटर कम समय में ज्यादा क्षेत्र कवर करता है. 

3. कम SFC के कारण बेस्ट इन क्लास माइलेज मिलता है.

कल्टीवेटर:

1. दूसरे ट्रैक्टर की तुलना में सही वजन होने से यह गहरी जुताई करता है.  कल्टीवेटर सख्त जमीन में धंसा रहता है. 

2. एडवांस ADDC हाइड्रोलिक के कारण पूरे खेत की जुताई एक समान और गहरी होती है.

रिवर्सिबल MB स्लो -

1. इसका मैक्स टॉर्क कठोर जमीन में भी गहरी जुताई करता है. साथ ही यह इम्प्लीमेंट को लगातार जमीन से जोड़े रखता है.

थ्रेशर:

1. वाटर कूल्ड इंजन की वजह से ज्यादा हीटिंग नहीं होती. साथ ही थ्रेश गार्ड की वजह से भूसा भी पैदा नहीं होता जो कि रेडिएटर में जाकर रुकावट की समस्या पैदा कर सकता है.

2. ज्यादा पी.टी.ओ. पावर से ट्रैक्टर को ज्यादा लोड लेने और टफ कामों को करने की ताकत मिलती है.

(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।)


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