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    आलू के बाजार और मार्केटिंग दक्षता को समझना

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Mon, 28 Dec 2020 05:51 PM (IST)

    आलू के उत्पादन के लिए एक तरफ किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के साथ विभिन्न परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। वहीं आलू को खेत से मंडी तक पहुंचाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। आज देश में बड़े पैमाने पर आलू उत्पादन किया जा रहा है।

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    दुनिया में आलू उत्पादन में भारत का चौथा स्थान है।

    नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। आलू के उत्पादन के लिए एक तरफ किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के साथ विभिन्न परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। वहीं आलू को खेत से मंडी तक पहुंचाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। आज देश में बड़े पैमाने पर आलू उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता है। यहां तक की कई बार तो किसानों की लागत तक नहीं निकल पाती है। जबकि दूसरी तरफ आलू किसान के खेत से बाजार तक पहुंचता है तो उसके दाम आम आदमी के लिए परेशानी बन जाते हैं। जो आलू किसान से 10 रुपये किलो तक ख़रीदा जाता है, वही आलू सब्जी बाज़ार में पहुंचते-पहुंचते 40 से 50 रुपये प्रति किलो हो जाता है। इसमें एक तरफ तो आलू किसान को लागत के अलावा अतिरिक्त मुनाफा नहीं मिल पाता है, वहीं आम आदमी के लिए आलू काफी महंगा हो जाता है। तो आइए जानते हैं आलू को खेत से मंडियों तक पहुंचाने में किन परेशानियों का सामना करना पड़ता हैः 

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    कमीशन एजेंट का हावी होना  


    आलू किसानों के लिए आलू का उत्पादन काफी खर्चीला होता जा रहा है। वहीं मंडियों में बिचौलियों के हस्तक्षेप, भंडारण और परिवहन की उचित व्यवस्था न होने की वजह से किसानों को इसका उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता है। कभी-कभी तो उन्हें अपनी फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। देशभर की मंडियों में कमीशन एजेंट हावी है। जहां एक तरफ किसानों को अपनी फसल की लागत निकालने के लिए जुझना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ कमीशन एजेंट सिर्फ बोलियां लगाकर बड़ा मार्जिन कमाते हैं। इससे उत्पादक किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।  

     

    भारत निर्यात में भी पीछे


    एक तरफ किसानों को मंडियों में उनका अपेक्षित लाभ नहीं पाता है, वहीं दूसरी तरफ भारत आलू निर्यात में भी निराशाजनक परिणाम है। इसका सबसे बड़ा कारण है विदेशी बाजार में भारतीय आलू की किस्मों के प्रति जागरूकता का न होना तथा आलू निर्यात की दीर्घकालिक निर्यात रणनीति की कमी और उपयुक्त पैकेजिंग न होने से भारतीय आलू का विदेशी बाजार में मांग नहीं रहती है। ऐसे में आलू निर्यात की दीर्घकालिक रणनीति करनी होगी। तभी भारतीय आलू को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान मिल पाएगी।  

     

    कोल्ड स्टोरेज की कमी


    दुनिया में आलू उत्पादन में भारत का चौथा स्थान है तथा दुनिया का 7.55 प्रतिशत आलू का हमारे यहां उत्पादन होता है। पिछले कुछ वर्षो से देश में आलू उत्पादन में जबरदस्त इजाफा हुआ। इसकी वजह है आलू की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों के साथ आलू बुआई के उन्नत तरीके अपनाना लेकिन इसके बावजूद आज भी आलू किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पाया। इसमें सबसे बड़ी समस्या आलू के भंडारण की है। दरअसल, किसान आलू का उत्पादन तो कर लेता है, लेकिन भंडारण के कोल्डस्टोरेज न होने के कारण उसे आलू औने-पौने दाम बेचना पड़ता है। यदि भंडारण की उचित व्यवस्था हो तो उसे किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम मिल सकता है। 

     

     

    कृषि उत्पादन की मार्केटिंग की प्रमुख समस्याएंः


    1. जब किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता तो सबसे बड़ा सवाल यही आता है कि किसानों को उनके उत्पादन को ग्राहक तक सीधे पहुंचाना चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि किसानों की पहुंच न तो उसके ग्राहकों तक सीधे होती है और न ही ऐसा कोई प्लेटफॉर्म है, जहां से वह ग्राहकों को सीधे अपना उत्पादन बेच सकें। वहीं उत्पादन इतनी बड़ी मात्रा में होता है कि उसे खेरची में बेचना भी उसके असंभव है, यही वजह उसे अपनी उपज को किसी बिचैलिए के जरिये अपने ग्राहकों तक पहुंचाना पड़ता है।

     

    2. अमेरिका में आज बड़ी संख्या में किसान अपनी फसल को बेचने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन हमारे देश में किसानों के पास ऐसा को प्लेटफॉर्म नहीं है, जहां सीधे वे अपने उत्पादन को बेच सकें।

     

    3. मंडी में किसान अपनी उपज को सीधे एक साथ बेच सकता है। लेकिन यदि उसे यही फसल खेरची में अपने ग्राहकों को बेचना हो तो उसे लंबे समय तक बेचना पड़ेगा, इसके लिए भंडारण की उचित व्यवस्था के साथ परिवहन की भी व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं सब्जी और कम समय की फसल को लंबे समय तक बेचना असंभव है। इसकी सबसे बड़ी वजह है शहरों और गांवों के बीच की दूरी।  

     

    कैसे बनाए आलू की खेती को मुनाफे का सौदाः


    1. डिजिटलीकरण को अपनाना


    आधुनिकता के इस दौर में हर क्षेत्र डिजिटलीकरण हो गया है। सुई से लेकर बड़ी मशीनें तक एक क्लिक पर आप घर बैठे मंगा सकते हैं। इसके बावजूद आलू की खेती में इस नई तकनीक का उपयोग न के बराबर है। हमने जब उत्तर प्रदेश के आलू किसान से अपनी फसल को ऑनलाइन बेचने के बारे में पूछा तो वह इस बात से पूरी तरह अंजान थे। उन्हें ऑनलाइन मार्केटप्लेस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जबकि आज सरकारी और गैर सरकारी ऐसे कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां आप अपनी उपज को घर बैठे बेच सकते हैं। ऐसे में किसानों को भी डिजिटलीकरण होना बेहद आवश्यक है। 

     

    2. खर्च को कम कैसे करें


    आज आलू का उत्पादन करना काफी खर्चीला हो गया है, लेकिन हम खेती की अत्याधुनिक मशीनों और उपकरणों का उपयोग करके खर्च को कम कर सकते हैं। आज देश के 'आलू के उस्ताद' किसान इन आधुनिक कृषि मशीनों और साधनों का बेहतर उपयोग कर रहे हैं। इन किसानों के बीच महिंद्रा ट्रैक्टर काफी लोकप्रिय हो रहा है। दरअसल, इसका सही उपयोग करके खेती की लागत को कम किया जा सकता है। वहीं उत्पादन भी ज्यादा होता है। 

     

    (यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।)