महिंद्रा का XP Plus ट्रैक्टर कैसे आलू किसानों की पहली पसंद है?
उत्तर प्रदेश के आलू किसानों में महिंद्रा XP Plus सीरीज के ट्रैक्टर्स पसंदीदा और भरोसेमंद ब्रांड है। इस सीरीज के ट्रैक्टर्स शानदार माइलेज देने के साथ ही पावर में काफी दमदार होते हैं। इनमें नया एक्स्ट्रा लॉन्ग स्ट्रोक इंजन है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। उत्तर प्रदेश के आलू किसानों में महिंद्रा XP Plus सीरीज के ट्रैक्टर्स पसंदीदा और भरोसेमंद ब्रांड है। इस सीरीज के ट्रैक्टर्स शानदार माइलेज देने के साथ ही पावर में काफी दमदार होते हैं। इनमें नया एक्स्ट्रा लॉन्ग स्ट्रोक इंजन है। जिसमें 2 हार्सपावर का ज्यादा इंजन पावर है। वहीं इसमें कम ईंधन खर्च होता है। इस सीरीज के ट्रैक्टर्स पर 6 साल की वॉरंटी मिलती है, जो इंडस्ट्री में पहली बार है। यह पहले से ज्यादा मैक्स और बैक अप टॉर्क देता है। इसमें आधुनिक एडीडीसी हाइड्रोलिक है। यह खेती के भारी से भारी उपकरणों को आसानी से चलाने में सक्षम है। यह खेती के हर काम अधिक सटीकता से करता है।
यूपी के 'आलू के उस्ताद' क्यों इसे अपना पसंदीदा और भरोसेमंद ब्रांड मानते हैं:
- यहां के आलू की खेती करने वाले किसानों का मानना है कि इसमें अत्याधुनिक एमलिफ्ट हाइड्रोलिक है। यह आलू खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि आलू की खेती के लिए हैवी हाइड्रोलिक होना बेहद जरूरी माना जाता है। दरअसल, महिंद्रा का प्रिसिशन हाइड्रोलिक सही और समान गहराई पर आलू की बुआई करता है। इस वजह से आलू का अधिक उत्पादन मिलता है।
महिंद्रा की वो बातें जिसके ''आलू उस्ताद'' कायल है:
- आलू के उस्तादों का कहना है कि इसका पावर ब्रेक्स इसे सबसे अलग बनाता है जो अन्य कंपनियों के ट्रैक्टर में नहीं मिलते हैं।
- दूसरी कंपनियों के ट्रैक्टर की तुलना में इसकी सीट काफी आरामदायक होती है। इस वजह से ट्रैक्टर ड्राइवर थकता नहीं और वह अधिक समय तक ट्रैक्टर को चला सकता है। जिससे अधिक काम होता है।
- वहीं किसानों का मानना है कि महिंद्रा का गियर बदलना काफी आसान है, इसलिए चलाना बेहद आरामदायक हो जाता है।
- इसका डबल क्लच बेहद टिकाऊ होता है। इसकी देखभाल काफी किफायती होती है। वहीं सर्विसिंग में भी ज्यादा खर्च नहीं होता है। साथ ही इसके पार्ट्स देश के किसी भी कोने सुलभता से मिल जाते हैं। यही वजह है कि किसान महिंद्रा को अपना भरोसेमंद ब्रांड मानते हैं।
आइए जानते हैं आलू के उस्ताद क्या मानते हैं कि आलू प्लांटर कैसा होना चाहिए:
- आलू प्लांटर ऐसा होना चाहिए जो आलू के बीज को खराब नहीं होने दें। साथ ही एक जगह पर एक ही बीज डालें ताकि पौधों का दोहराव न हो।
- प्लांटर ऐसा होना चाहिए जो यह आलू के बीज को एक समान दूरी और एक समान गहराई पर बुआई करता हो। ताकि आलू का अधिक उत्पादन प्राप्त हो।
- आलू बुआई के लिए प्लान्टर का डिजाइन ऐसा होना चाहिए, जो आलू के बीज के मुताबिक सही बुआई करें। इसका मतलब यह है कि यदि आलू का बीज सही सीधी रेखा में और यदि आलू का बीज कटा हो तो जिगजैग पद्धति में बुआई करें।
(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।)
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