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आलू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है। यह आम गरीब से लेकर अमीर सब की थाली में किसी न किसी स्वरूप में मौजूद रहता हैं। और आलू को गरीब का मित्र भी कहा जाता है क्योंकि ये सस्ता होता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 12 Nov 2020 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 12 Nov 2020 07:53 PM (IST)
आलू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
आलू की खेती के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है। यह आम, गरीब से लेकर अमीर सब की थाली में किसी न किसी स्वरूप में मौजूद रहता हैं। और आलू को गरीब का मित्र भी कहा जाता है, क्योंकि ये सस्ता होता है और इसको बनाने एवं खाने में ज्यादा यत्न भी नहीं करने पड़ते हैं। आलू की फसल देश के लगभग सारे राज्यों में उगाई जाती हैं और इसकी कई किस्में देश के बाहर भी उपभोग के लिए जाती है। आज हम आलू जो की देश की चौथी (चावल,गेहूँ,गन्ना के बाद) सबसे ज्यादा उगाने वाली फसल है और जो की प्रोटीन, स्टार्च, एवं कार्बोहाइड्रेट का बेहतरीन सूत्र है के बारे में विस्तार से बात करेंगे। और इसकी उत्पादन शक्ति को और बेहतर कैसे किया जा सके, उसके बारे में बात करेंगे।

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किसी भी फसल के लिए उसके जलवायु का बहुत ज्यादा प्रभाव रहता है। अगर कोई फसल किसी भिन्न जलवायु में उगाई जाये तो बहुत ज्यादा संयोग है कि वो आपके आकांक्षा के विपरीत हो।

तो अगर हम आलू की फसल के जलवायु के बारे में बात करें तो:-

आलू एक रबी की फसल है। यानि ये शीतोष्ण ऋतु में बोयी एवं उगाई जाने वाली फसल है। और ये ऋतु भारत में मुख्य रूप से अक्टूबर से लेकर मार्च तक रहती है। लेकिन किसी – किसी राज्य में ये अंतराल कम ज्यादा हो सकता है। आलू की वृद्धि के लिए अनुकूल तापमान 15 से 30 डिग्री सेल्सियस अच्छा रहता है। और जैसा की हम जानते हैं आलू कंद मूल है तो कंद की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापमान 15 से 19 डिग्री सेल्सियस सही रहता है। लंबी रातें एवं अच्छी धूप वाले छोटे दिन आलू की फसल के लिए लाभकारी रहते हैं। और उसकी बजाय अगर कम धूप, ज्यादा आर्द्रता एवं वर्षा इस फसल को नुकसान भी पहुँचाती है, साथ ही बैक्टीरिया एवं फफूंद रोगों को फैलाने में भी सहायता करती हैं।

भूमि एवं मिट्टी:-

भूमि एवं मिट्टी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है किसी भी फसल का और जहां तक बात है आज कल वैज्ञानिक कृषि का चलन है, जिसकी पूरी नींव ही मिट्टी एवं भूमि पर आधारित होती है। वैसे तो आलू किसी भी मिट्टी (क्षारीय रेट के अलावा ) पर उग जाता है और ये ही इसकी खास बात है, लेकिन हम जरा सा ध्यान रख कर इसकी पैदावार को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जीवांश युक्त रेतीली दोमट मिट्टी एवं सिल्टी मिट्टी इसकी पैदावार के लिए सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। अगर मिट्टी का पीएच 5.2 से लेकर 6.5 तक हो तो पैदावार बम्पर हो सकती है। और अगर जुताई के समय भूमि को भुरभुरी एवं समतल बनाई जाये और साथ ही साथ इसमें पर्याप्त मात्रा में नमी हो तो ये पैदावार के लिए काफी उचित माना जाता है ।

किसी भी फसल की खेती में ये दो कारक सबसे महत्वपूर्ण रहते हैं। और हम इन दो कारकों को प्राथमिकता देकर अपना पूरा ध्यान इस पर लागए, तो भी हम धीरे-धीरे वैज्ञानिक कृषि की तरफ बढ़ सकते हैं। और प्रति इकाई भूमि पर अपनी पैदावार नाटकीय तरीके से बढ़ा सकते हैं।

(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।)


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