उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं बाजीराव पेशवा के वंशज
वीर मराठा बाजीराव पेशवा पर बनाई गई फिल्म बाजीराव मस्तानी की चर्चा चारों तरफ है। संजयलीला भंसाली ने इसे भव्य बनाया है और करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
पुणे । वीर मराठा बाजीराव पेशवा पर बनाई गई फिल्म बाजीराव मस्तानी की चर्चा चारों तरफ है। संजयलीला भंसाली ने इसे भव्य बनाया है और करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। दूसरी तरफ बाजीराव के वंशज पुणे में उपेक्षित जिंदगी जी रहे हैं। यही नहीं अंग्रेजी हुकुमत ने इनकी संपत्ति भी हड़प ली थी।
पेशवा की पीढ़ी
पेशवा परिवार की दसवीं पीढ़ी के दो परिवार इन दिनों शहर के कोथरुड इलाके के एक साधारण से मकान में रहते हैं। इनमें से एक है डॉक्टर विनायकराव पेशवा का परिवार। 74 वर्षीय विनायकराव एक भूगर्भ विशेषज्ञ हैं और पुणे विश्वविद्यालय में 33 वर्ष तक नौकरी कर चुके हैं। विनायकराव के अलावा उनके परिवार में उनकी पत्नी जयमंगलाराजे, बहू आरती और उनकी 2 बेटियां हैं। दूसरा परिवार है विनायकराव के बड़े भाई कृष्णराव का। कृष्णराव का कुछ दिनों पहले ही निधन हुआ है। वे सेंट्रेल गवर्नमेंट की नौकरी में थे। फिलहाल परिवार की जिम्मेदारी उनके बेटे महेंद्र सिंह पेशवा के कंधों पर है। महेंद्र के अलावा उनके परिवार में उनकी मां उषा राजे, पत्नी सुचेता और एक बेटी है। पेशे से इंजीनियर महेंद्र का फैब्रिकेशन का व्यवसाय है।
अंग्रेजों ने जब्त की संपत्ति
ये सारे सदस्य पेशवा ख़ानदान के अमृतराव पेशवा के वंशज हैं। पुणे में जो पेशवा रहते हैं, उनके पास खानदानी जायदाद या संपत्ति नहीं है। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने दूसरे बाजीराव की सारी संपत्ति और हथियार जब्त करते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश के बिठूर में भेज दिया था। वहां उन्हें सालाना 80 हजार पाउंड की पेंशन दी जाती थी। उनकी मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने इसे भी बंद कर दिया। इसके बाद पेशवा का परिवार सन् 1800 के आसपास वाराणसी चला गया। कई पीढ़ियों तक ये लोग वहीं रहे। लेकिन तीन पीढ़ी पहले यह पुणे बापस आ गए। आज पेशवाओं के दोनों परिवारों को हर माह लगभग 15 हजार रुपए पेंशन के तौर पर मिलती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।