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    नागपुर नगर निगम प्रमुख ने दंगों के दो आरोपियों के घर गिराए जाने पर हाईकोर्ट से माफी मांगी

    Updated: Wed, 16 Apr 2025 08:47 PM (IST)

    आयुक्त चौधरी ने हलफनामे में कहा है मैं अदालत से बिना शर्त माफी मांगता हूं क्योंकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ता के अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त कर दिया है। आयुक्त ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच की और पाया कि नगर नियोजन विभाग को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं थी।

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    नागपुर नगर निगम प्रमुख ने दंगों के दो आरोपियों के घर गिराए जाने पर हाईकोर्ट से माफी मांगी

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। नागपुर नगरपालिका (एनएमसी) आयुक्त ने हाल ही में नागपुर में हुए दंगों के एक मामले में दो आरोपितों के घरों को ध्वस्त करने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने कहा है कि नगर निगम के अधिकारियों को संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों की जानकारी नहीं थी।

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    एनएमसी आयुक्त अभिजीत चौधरी ने मंगलवार को उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष दायर हलफनामे में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के बारे में महाराष्ट्र सरकार से नागपुर नगर निगम को कोई परिपत्र प्राप्त नहीं हुआ है।

    नगर निगम के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अनभिज्ञ थे, जिसमें दंगा आरोपितों से जुड़ी संपत्तियों को ध्वस्त करने से पहले प्रक्रियागत सुरक्षा उपाय करने का निर्देश दिया गया है। न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने इस मामले में जवाब देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है।

    बता दें कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान 17 मार्च को नागपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा हुई थी। इस मामले में नागपुर पुलिस ने कई गिरफ्तारियां भी की हैं। दंगों का मुख्य साजिशकर्ता फहीम खान को बताया गया है।

    उस पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। एक अन्य आरोपित यूसुफ शेख पर भी गंभीर आरोप हैं। मार्च के तीसरे सप्ताह में नागपुर नगर निगम ने उक्त दोनों आरोपितों के घरों पर बुलडोजर से तोड़क कार्रवाई शुरू कर दी थी। लेकिन 24 मार्च को मुंबई उच्चन्यायालय की नागपुर पीठ ने आरोपितों के घरों को ध्वस्त करने पर रोक लगाने का आदेश दिया, और प्रशासन को फटकार लगाई थी।

    हालांकि खान के दो मंजिला मकान को 24 मार्च की दोपहर में उच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित करने से पहले ही गिरा दिया गया था, लेकिन अधिकारियों ने अदालत के निर्देश के बाद दूसरे आरोपित यूसुफ शेख के मकान के 'अवैध' हिस्से को गिराने का काम रोक दिया था। दोनों ने उसी दिन विध्वंस के खिलाफ उच्च न्यायालय में तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

    चौधरी ने कहा कि कुछ कार्रवाइयां सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए की गई हैं। हालांकि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया है, बल्कि जानकारी के अभाव में किया गया है। एनएमसी और उसके अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं और उनकी संपत्ति के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण इरादे से काम नहीं किया है, बल्कि मौजूदा स्थिति और स्लम अधिनियम, 1971 के वैधानिक प्रावधानों के अनुसार काम किया है।

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